Saturday 12 September 2015

बंधी हुई हैं अब भी गठबन्धन की गांठें

बंधी हुई हैं अब भी गठबन्धन की गांठें

प्रत्याशियों को लेकर है अटकलबाजियां
कयास से आगे नहीं बढ रही राजनीति
उपेन्द्र कश्यप , दाउदनगर (औरंगाबाद) चुनावी महासमर की रणभेरी बज गयी है। दस दिन बाद नामांकन प्रारंभ हो जायेगा। इधर अब तक गठबंधन की न तो गांठें खूली है, न ही किसी प्रत्याशी का नाम सार्वजनिक हो सका है। अभी इसे ही लेकर अतकलबाजी चल रही है। राजनीतिक चर्चा कयास से आगे बढ ही नहीं पा रही। लोग किंतु-परंतु में खोये हुए हैं, कुछ बात आगे भी बढती है तो प्रत्याशी के बिना दूर तक नहीं पहूंच पाती है। ओबरा विस क्षेत्र की स्थिति अभी तक स्पष्ट नहीं हो सकी है। राजद, जदयू और कांग्रेस में यह सीट किसकी होगी कोई नहीं जानता। वैसे कांग्रेस के उम्मीद नहीं है। यहां से निर्दलीय सोम प्रकाश सिंह जीते थे। अब बिना विधायक का यह क्षेत्र है। जद यू से प्रत्याशी रहे प्रमोद सिंह चंद्रवंशी मात्र 802 वोट से हार गये थे। राजद के सत्यनारायण सिंह 16851 मत लाकर चौथे स्थन पर थे। दावा जदयू कर रही है। चर्चा राजद के खाते में सीट जाने की भी है। क्या होगा खुदा जाने। सत्यनारायण सिंह अब भजपा में हैं, जिनके ओबरा से चुनाव लडने की कोई चर्चा तक नहीं है। राजद से कई नाम हवा में हैं। सीट ही जब स्पष्ट नहीं है तो चर्चा कितनी दूर तक जायेगी भला? जद यू के साथ 2010 का चुनाव लड चुकी भाजपा अब अलग है। उसके साथ लोजप और रालोसपा है। 1980 में भजपा से बीरेन्द्र सिंह चुनाव जीते थे। उसके बाद 1985 और 1990 में लगातार भाजपा हारती गयी। 1995 में गठबंधन में यह सीट समता पार्टी को चली गयी। तब से भाजपा कभी चुनाव नहीं लडी है। अब एनडीए के तीनों घटक दल अपनी अपनी दावेदारी कर रहे हैं। किसके खाते में यह सीट जायेगी, अभी यही रहस्य बना हुआ है।     

साथ की खबर--------------------
गोह में भी एनडीए का रहस्य बरकरार
महागठबंधन की गांठ भी नहीं खुली
संवाद सहयोगी, दाउदनगर (औरंगाबाद) गोह विधान सभा क्षेत्र में भी स्थिति स्पष्ट नहीं है। यहां से जदयू के रणविजय सिंह सिटिंग विधायक हैं। इनके खिलाफ राजद के प्रत्याशी राम अयोध्या सिंह मात्र 694 मत से हारे थे। अब दोनों दल एक साथ हैं। यहां भी भाजपा कभी रनर या विनर नहीं रही है। हालांकि भाजपा और इसके सहयोगी दल लोजपा एवं रालोसपा के कई नेता प्रत्याशी बनने की होड में अपना प्रयास कर रहे हैं। यह सीट भी गठबंधन के दौर में भाजपा ने समता पार्टी के लिए छोडा था जिस पर उसी के नेता पहले देव कुमार शर्मा और फिर रणविजय शर्मा जीतते रहे हैं। यहां भी जैसी चर्चा है दोनों ही गठबन्धनों की ओर से अभी तक सीट स्पष्ट नहीं किया गया है जबकि नामांकन प्रारंभ होने में मात्र दस दिन बचा है। 

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