Monday 28 September 2015

जानिए गोह विधान सभा क्षेत्र को

गोह के साथ हसपुरा नहीं था टेकारी प्रखंड
फोटो- गोह विस का नक्शा
जानिए गोह विधान सभा क्षेत्र को
सत्तर के दशक में ही ढह गया था कांग्रेस का किला
समाजवादियों और वामपंथियों की बना फिर गढ
उपेन्द्र कश्यप, दाउदनगर (औरंगाबाद) सन 1972 तक गोह विधान सभा क्षेत्र के साथ हसपुरा प्रखंड नहीं था। तब तक टेकारी प्रखंड जुडा हुआ था। परिसीमन के बाद 1977 में चुनाव के वक्त गोह से हसपुरा जुडा और टेकारी अलग क्षेत्र बना। ताजा परिसीमन के बाद जब 2010 में विधान सभा चुनाव हुआ तो गोह और हसपुरा सीडी ब्लाक के साथ रफीगंज ला पौथु, ईटार, लट्टा और सिहुली ग्राम पंचायत को जोडा गया। इससे इस क्षेत्र में एक जाति विशेष की जनसंख्या दढ गयी। इससे जाति विशेष की राजनीति में प्रभाव बढा। जब गोह और टेकारी प्रखंड मिला कर विधान सभा क्षेत्र था तब 1952 के चुनाव में टेकारी के रेवई निवासी मुन्द्रिका सिंह, 1957 में सुखदेव प्रसाद वर्मा, 1962, 1967 और 1972 में गोह के एकौना के ठाकुर मुनेश्वर सिंह कांग्रेस से विधायक बने। यह कंग्रेस का जमाना था। बावजूद इसके 1969 में गोह के सलेमपुर झारी निवासी अवध सिंह सन्युक्त सोसलिस्ट पार्टी से विजेता बने और फिर समाजवाद का झंडा बुलन्द कर दिया। इसी से एक धारा सुभाषचन्द्र बोस की फारवर्ड ब्लाक क्रांतिकारी की नीति और सिद्धांत से प्रभावित वामपंथ की जमीन तैयार हुई, और 1977 में हसपुरा के टनकुप्पी निवासी रामशरण यादव भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी से विधायक बने। इसके बाद जब परिसीमन हुआ और हसपुरा एवं गोह प्रखंड को मिलाकर गोह विस क्षेत्र बना तो भी 1980, 1990 और 1995 में रामशरण यादव ही विधायक बने। हालांकि 1985 में इन्दिरा गान्धी की हत्या से बनी लहर में एक बार फिर कांग्रेस को पैर जमाने का अवसर मिल गया। इस चुनाव में ईंका से जहानाबाद (अब अरवल) के कुर्था के बिथरा निवासी देवकुमार शर्मा जीते, किंतु और 2000 में उन्हें समता पार्टी से टिकट लेकर विजेता बने। 2005 फरवरी एवं अक़्टूबर और 2010 में डा.रणविजय सिंह जनता दल यू से विधायक बने। इस बार समाजवाद, वामपंथ और दक्षिणपंथ के बीच मुकाबला है, देखिए कौन जीतता है।      



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