Tuesday 15 September 2015

दबाव बनाने के लिए खिलाते थे खाना

दबाव बनाने के लिए खिलाते थे खाना

उपेंद्र कश्यप, दाउदनगर (औरंगाबाद) 1नाव में मतदाताओं को अपने पक्ष में करने का हर जतन प्रत्याशियों द्वारा किया जाता है। बूथ मैनेजमेंट बिहार में खूब होते रहा है। पीठासीन अधिकारी और सुरक्षा बलों को भोजन कराकर दबाव में लाने की कोशिश प्रत्याशियों द्वारा किया जाता रहा है। डीडीओ के पद से सेवानिवृत और सीनियर सिटीजन एसोसिएशन के प्रांतीय संगठन सचिव लक्ष्मण चौधरी इस अनुभव को ङोल चुके हैं। उन्होंने 1973 से लगातार 2010 तक चुनाव कराया है। बताया कि पीठासीन पदाधिकारियों और चुनाव कराने वाले तमाम कर्मचारियों और सुरक्षाबलों को रात्रि में ही बूथों पर पहुंचा दिया जाता था। जहां न रोशनी की व्यवस्था होती थी न खाने की। ग्रामीण इसका लाभ उठाते थे और खाना का इंतजाम कर सहानुभूतिपूर्वक दबाव बनाते थे कि अमुक प्रत्याशी के पक्ष में मतदान की दिशा मोड़ दें या अधिक मत डालने दें। कभी-कभी तो जबरन बूथ कब्जा कर लिए जाते थे। बताया कि इस समस्या से तब निजात मिल गया जब चुनाव आयुक्त टीएन शेषण बने। कई बूथों को मिलाकर नजदीक में एक कलस्टर सेंटर बनाया। इससे बूथों पर रात्रि विश्रम की अपेक्षा थोड़ी सहूलियत मिली। बताया कि बैलेट पेपर के बदले जब ईवीएम से वोटिंग होने लगी तो गलत ढंग से मतदान पर नियंत्रण पाया जा सका।

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