Tuesday 22 September 2015

अनुमंडल कार्यालय के लिए जब हुआ आन्दोलन


अनुमंडल गठन की राजनीति-3
भखरुआं बनाम बाजार का था विवाद
खूब था सामाजिक-राजनीतिक दबाव

उपेन्द्र कश्यप, दाउदनगर (औरंगाबाद) रामबिलास सिंह के जवाब के बाद सदन के अध्यक्ष ने व्यवस्था दी की- सरकार विचार करेगी।मामला फिर लटक गया। इसके बाद सन् 1990 में बिहार विधानसभा का चुनाव हुआ और सत्ता का स्वरूप बदल गया। सामाजिक बदलाव का नारा बुलंद करने वाले लालू प्रसाद को मुख्यमंत्री बनाया गया। जातीय, राजनीतिक समीकरण प्रभावित हुए तो स्वभावतः सत्ता का भीतरी चेहरा भी प्रभावित हुआ। सत्ता के गलियारे में नयी जमात का प्रभाव बढ़ना शुरू हुआ। तब सरकार के एक आयुक्त (राम बिलास सिंह को नाम याद नहीं रहा था) ने रामबिलास सिंह को बताया कि अनुमण्डल गठन की बात चल रही है, सूचि तैयार है और उसमें दाऊदनगर का नाम भी है। फिर वे सक्रिय हुए। 31 मार्च 1991 को दाऊदनगर अनुमण्डल का विधिवत उद्घाटन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद ने किया और बतौर क्षेत्रीय विधायक एवं कारा सहायक पुर्नवास मंत्री रामबिलास सिंह इस समारोह में उपस्थित रहे। अनुमण्डल की मांग को ले चला संघर्ष यहाँ खत्म हो गया, लेकिन इसके बाद एक आन्दोलन दाऊदनगर शहर के लोगों ने शुरू किया। अनुमण्डल कार्यालय नहर के उस पर भखरुआं में बनेगा कि इस पार बाजार में, इसे लेकर विवाद शुरू हुआ। शहर वालों ने जब आन्दोलन छेड़ा तो मंत्री रामबिलास सिंह ने कहा कि जगह का अभाव है। तब डा० राय (ह्वाइट हाउस), शांति निकेतन (पुराना शहर) तथा खुर्शीद खान के मकान दिखाये गये। उधर बारहगांवा का दबाव मंत्री पर था कि अनुमण्डल भखरूआँ ही बने। शहरियों का तब नारा था- माड़-भातखायेगें, अनुमण्डल यहीं बनायेगें ।देवरारायण यादव की अध्यक्षता में आईबी में बैठक की गयी। वहाँ मंत्री श्री सिंह ने कहा- क्या करें? इस ऊँगली को काटो तो उतना ही दर्द होगा, जितना उसको काटने से।यानी वे द्वंद्ध झेल रहे थे । अंततः शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय में अनुमण्डल कार्यालय अस्थाई तौर पर शुरू हुआ। प्रशासनिक इकाई के तौर पर यहाँ अनुमण्डल कार्य करना शुरू कर दिया। संघर्ष खत्म हो गये। मगर पूर्णता कभी नहीं आयी, अब भी नहीं। पदाधिकारियों को रहने को न आवास मिले, न विभागीय कार्यालय को भवन । जैसे तैसे चलता हुआ वर्ष 2006 में करोड़ो की लागत से अनुमण्डल का निजी कार्यालय परिसर बनकर तैयार हुआ, और शिक्षक-प्रशिक्षण महाविद्यालय से उठकर यह कार्यालय नये भवन में चला आया। विकास को गति तो मिली किंतु पूर्णता का अभाव अब भी है। 

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