Saturday 19 September 2015

अस्सी के दशक में अनुमंडल का तय हुआ भुगोल




                               
अनुमंडल गठन की राजनीति-1

पहली बार अनुमंडल बनाने की उठी मांग
चार प्रखंडों को मिलाकर गढा गया स्वरुप
और इच्छाएं रह गई जब अधुरी
उपेन्द्र कश्यप] दाउदनगर (औरंगाबाद)
जब औरंगाबाद को गया से अलग कर जिला बनाने के लिए जमीन पर रेखायें खींची जा रही थी तब ओबरा (241), दाऊदनगर(240) अलग-अलग विधान सभा क्षेत्र में था लेकिन यह जहानाबाद लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा था। ओबरा के साथ बारूण, दाऊदनगर के साथ हसपुरा प्रखण्ड जुड़ा था,जबकि गोह टेकारी विधान विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा था। यह भौगोलिक राजनीतिक स्थिति1972 तक रही। इसी वर्ष दाऊदनगर विस.क्षेत्र से जीते रामबिलास सिंह और ओबरा से नारायण सिंह। नारायण सिंह ने ओबरा-बारूण विधान सभा क्षेत्र के साथ दाऊदनगर प्रखण्ड को मिलाने की कवायद शुरू की तो रामबिलास सिंह ने दाऊदनगर, हसपुरा, ओबरा एवं गोह प्रखण्डों को मिलाकर अनुमण्डल बनाने की चर्चा प्रचार में लाया। दोनों अपनी राजनीतिक जरूरतें पूरी करने में लगे थे। इसी समय जिला पुर्नगठन समिति का गठन दारोगा प्रसाद राय की अध्यक्षता में किया गया। श्री राय बाद में मुख्यमंत्री बने। रामबिलास सिंह (अब स्वर्गीय) ने इस पत्रकार से अपने इस प्रयास पर लंबी बातचीत किया था। राजस्व मंत्री चन्द्रशेखर सिंह तथा मंत्री लहटन चौधरी के साथ जाकर श्री राय से मिले और आंकड़ों के साथ दाऊदनगर को अनुमण्डल बनाने का तर्क दिया। बातचीत में श्री सिंह ने यह भी कह दिया कि- औरंगाबाद को जिला तथा दाऊदनगर को अनुमण्डल बना दिया जाये। तब श्री राय ने टिप्पणी की - जिला बने से ऊ लोग के राज हो जाई। तब पुनः श्री सिंह ने कहा- हम इसलिए प्रयासरत हैं कि दाऊदनगर अनुमण्डल बन जाये। उधर जिला निर्माण के लिए तत्कालीन आकाशवाणी संवाददाता कृष्णवल्लभ सिंह नीलम भी सक्रिय थे। जब जिला गठन की प्रक्रिया पूरी हो रही थी उसी समय दाऊदनगर अनुमडल गठन का प्रस्ताव तैयार हो गया था। सिर्फ अधिसूचना जारी होनी शेष थी। लेकिन मामला लटक गया और सिर्फ 23 जनवरी 1973 को औरंगाबाद जिला गठन की औपचाचिकता पूरी कर ली गयी। इसके बाद 1977 के चुनाव में विधान सभा क्षेत्रों का वजूद बदल गया। दाऊदनगर-ओबरा तथा गोह-हसपुरा विधानसभा क्षेत्र बना और टेकारी तथा बारूण इससे अलग हो गये। यानी इस समय रामबिलास सिंह और नारायण सिंह दोनों अपनी इच्छा पूरी नहीं कर सकें। अनुमण्डल बनाने की मांग वाले आन्दोलन में ठहराव आ गया।


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