Friday 4 August 2023

सड़क, कूड़ा दान, गली-नली में फेंक देते हैं मेडिकल अपशिष्ट

 


15 अस्पतालों व पैथोलैब से 100 क्विंटल निकलता है मेडिकल वेस्ट फोटो- 

आम आदमी पर गंभीर बीमारी की चपेट में आने का रहता है खतरा


 अवैध रूप से चल रहे दर्जनों अस्पताल और जांच घर 

मात्र 13 निजी अस्पताल व पैथोलाजी सेनेटरी वेस्ट मैनेजमेंट से हैं जुड़े 

कई अस्पताल व जांच घर सिर्फ धन बचाने में लगे हैं

उपेंद्र कश्यप, दाउदनगर (औरंगाबाद) : दाउदनगर में निजी तौर पर चल रहे अस्पताल, क्लीनिक और जांच घरों की संख्या लगभग एक सौ बताई जाती है, लेकिन सेनर्जीक प्रमाण पत्र मात्र 13 निजी संस्थानों के पास ही है। दाउदनगर में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और अनुमंडल अस्पताल के अलावा मात्र 13 ऐसे निजी संस्थान हैं जो सेनेटरी वेस्ट मैनेजमेंट से जुड़े हैं और उनका मेडिकल वेस्ट यह संस्था ले जाकर नष्ट करती है। ऐसे में एक गंभीर चिंता का विषय है कि बाकी अस्पतालों और जांच घरों के मेडिकल वेस्ट सामान्य कचड़ों में ही फेंक दिया जाता है। नगर परिषद द्वारा लगाए गए कूड़ेदान में या फिर सड़क पर या गली-गली में, जिससे सामान्य लोगों के इसकी चपेट में आकर गंभीर बीमारी की चपेट में आने का खतरा बना रहता है। गया में सेनेटरी वेस्ट मैनेजमेंट है जो यहां के निबंधित अस्पताल व जांच घरों में एक पालिथीन देता है जिसमें मेडिकल कचरा को रखा जाता है। उस पर सेनेटरी वेस्ट मैनेजमेंट लिखा हुआ है। अरविंद कुमार इमरजेंसी हास्पिटल के डाक्टर अरविंद कुमार, बिहार आरोग्यं हास्पिटल के डा. विमलेन्दू, निदान जांच घर के अशरफ जहांगीर, सिटी लाइफ के मोहम्मद फजलुर रहमान ने बताया कि वह मेडिकल वेस्ट को इस पालिथीन में रखते हैं और मैनेजमेंट वाले आकर ले जाते हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रत्येक एक दिन के बाद अगले दिन मैनेजमेंट वाले आते हैं और कचरा उठाकर ले जाते हैं। इस बात की पुष्टि वेस्ट मैनेजमेंट के मार्केटिंग मैनेजर प्रिंस कुमार सिन्हा ने भी की। बताया कि बायोमेडिकल वेस्ट सरकार से मान्यता प्राप्त है और इसी के तहत अस्पताल और जांच घरों से मेडिकल वेस्ट को ले जाता है। इसके लिए कंपनी निबंधित संस्थानों से 1814 रुपये प्रति माह लेती है। यह कंपनी सरकारी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र व अनुमंडल अस्पताल के अलावा 13 अन्य अस्पताल व जांच घरों से कचरा उठाकर ले जाती है। जिसका नियम के तहत निस्तारण किया जाता है। प्रिंस कुमार ने बताया कि प्रत्येक महीने लगभग 90 से 120 क्विंटल मेडिकल कचरा दाउदनगर शहर से उठाकर ले जाते हैं। बताया कि सरकारी अस्पतालों से कंपनी पैसा नहीं लेती है। पैसा सरकार देती है। जानकारों की मानें तो सेनेटरी वेस्ट मैनेजमेंट से जो अस्पताल और जांच घर नहीं जुड़े हैं वह अपना मेडिकल कचरा सड़क पर, नगर परिषद द्वारा सड़क पर रखे गए कूड़ादन या यूं ही नाली गली में फेंक देते हैं। इसे कभी भी कोई भी व्यक्ति गंभीर बीमारी की चपेट में आ सकता है। लेकिन ये अस्पताल व जांच घर रुपया कमाने और रुपया बचाने के अलावा कुछ नहीं सोचते। सेनेटरी वेस्ट मैनेजमेंट ने तो यहां तक कहा कि कुछ लोग काम करा कर भी रुपया नहीं देते हैं और धन बचाने के लिए कुछ संस्थान इससे नहीं जुड़े हुए हैं। वह गंदगी सड़क पर, खुले में फेंक देते हैं और आम लोग इसकी चपेट में आकर गंभीर बीमारी का शिकार हो रहे हैं।



कार्रवाई का अधिकार नहीं 


अनुमंडल अस्पताल के उपाधीक्षक डा. राजेश कुमार सिंह ने कहा कि इस संबंध में दंडात्मक कार्रवाई करने का अधिकार उनके पास नहीं है। इस संबंध में सिविल सर्जन या जिला प्रशासन कोई कार्रवाई कर सकता है। उन्होंने अपील की कि तमाम अस्पताल और जांच घरों को सेनेटरी वेस्ट मैनेजमेंट से जुड़कर मेडिकल अपशिष्ट निस्तारण की पक्की गारंटी करनी चाहिए।



इनके यहां निकलता इतना कचरा


भखरुआं स्थित स्थित अरविंद कुमार इमरजेंसी हास्पिटल के डा. अरविंद कुमार सिंह ने बताया कि प्रतिदिन लगभग 20 किलो मेडिकल अपशिष्ट उनके यहां निकलता है। बिहार आरोग्यं हास्पिटल के डा. विमलेंदु कुमार ने बताया कि 60 किलोग्राम प्रति माह कचरा निकलता है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की प्रबंधक आयुषी वर्मा ने बताया कि 110 किलो गीला, 80 किलो सुखा और निडिल व शीशा जैसे 50 किलो मेडिकल अवशिष्ट प्रत्येक वर्ष निकलता है। अनुमंडल अस्पताल प्रबंधक ठाकुर चंदन सिंह के अनुसार यहां अप्रैल में 96 किलो, मई में 80 किली, जून में 136 किलो और जुलाई में 82 किलो मेडिकल कचरा निकला है।



सेनेटरी वेस्ट मैनेजमेंट से संबंधित अस्पताल व जांच घर


 अरविंद कुमार इमरजेंसी हास्पिटल, मंटू हास्पिटल, हाईटेक जांच घर, डीएन पैथोलैब, निदान पैथोलैब, अमन पैथोलाजी, संजीवनी डायग्नोस्टिक, ए आर इमरजेंसी हास्पिटल, बिहार आरोग्यं हास्पिटल, सिटी लैब, मोना डेंटल क्लिनिक, सोनार डायग्नोस्टिक, कृतिका ईएनटी क्लिनिक।

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