Friday 13 November 2015

चकनाचूर हो गया सोम प्रकाश का जादू

फोटो- दैनिक जागरण में प्रकाशित खबर
काठ की हांडी दूबारा नहीं चढी
नवनेर मुठभेड समेत कई मामले पर कार्रवाई
उपेन्द्र कश्यप, दाउदनगर (औरंगाबाद) खाकी उतार कर खादी का चोला पहन और देश में स्वराज लाने को संकल्पित सोमप्रकाश का तिलस्म चकनाचूर हो गया। 2010 का हीरो पांच साल में कहीं नजर नहीं आया और जब चुनाव में नजर आये तो परिणाम ने कहीं का नहीं छोडा। अपनी पार्टी बनाकर राज्य में बडा बदलाव लाने की तमन्ना भी धाराशायी हो गयी। काठ की हांडी दूबारा नहीं चढती वाली कहावत चरितार्थ होने की चर्चा की जा रही है। ओबरा में थानेदार बन कर आये सोमप्रकाश विधानसभा क्षेत्र का जातीय समीकरण देख कर राजनीतिक महत्वाकांक्षा पाल बैठे। फिर थानेदारी कम और राजनीति अधिक करने लगे। नवनेर में नक्सली बनाम पुलिस मुठभेड हो या अन्य कई मामलों को लेकर उनके खिलाफ विभागीय कारर्वाई शुरु की गयी। शैक्षिक जागृति मंच के जरिये शिक्षा का अलख जगाने निकले। नक्सल क्षेत्र में स्कूल खोल कर ख्याति बटोरी। मीडिया का जमकर इस्तेमाल किया। जब स्थानांतरण कर दिया तो तत्कालीन विधायक सत्यनारायण सिंह ने अपने वोटरों में उत्साह जगाने के लिए “ईमानदारी बचाओ” आन्दोलन चलाया। काफी जन धन का इस्तेमाल किया गया। बाद में बख्तियारपुर के थानेदार रहते इस्तीफा देकर ओबरा चुनाव लडने आ गये। नामांकन खारिज न हो जाये इसके लिए पत्नी का भी नामांकन कराया। चुनाव हुआ तो 36815 मत लाकर भाजपा-जदयू की आन्धी में भी निर्दलीय जीत गये। बिहार में इमानदारी का डंका बजाया। अपनी इमानदारी की खबर बिहार के बाहर के अखबारों में प्रकशित करा अपनी छवि बेहतर बनाने की कोशिश की। इधर इनसे मात्र 800 मत से पराजित प्रमोद सिंह चंद्रवंशी ने न्यायालय में इनके खिलाफ मुकदमा किया कि इनका नामांकन ही अवैध है। सुप्रिम कोर्ट तक मामला गया और 2015 में चुनाव से कुछ समय पूर्व फैसला इनके पक्ष में गया। तब भी विधान सभा द्वारा इनकी सदस्यता बहाली की अधिसूचना जारी नहीं की जा सकी है। इस बार जब चुनाव लडे फिर भावुक चर्चा उठाया कि कानूनी लडाई के कारण काम करने का अवसर नहीं मिला। चार करोड प्रमोद सिंह चंद्रवंशी के कारण नहीं मिला तो विकास प्रभावित हुआ। जनता एक बार फिर झांसे में आने से रही और उसने महागठबन्धन के पक्ष में खुलकर मतदान किया। खाकी से खादी पहने सोम प्रकाश को मात्र दस हजार मत आ सका। जितना लाकर जीते थे उसका 1/3 से भी कम मत कुल 10031 मिला। जमानत तक नहीं बचा सके। इस हार की चर्चा तरह तरह से की जा रही है।



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