Wednesday 27 September 2023

शीघ्र होगा अनुमंडल व्यवहार न्यायालय का विस्तार



होना है 10 न्यायालय का निर्माण, बनेगा भवन 

न्यायिक दंडाधिकारियों के लिए बनेगा जी प्लस चार भवन 

संज्ञेय अपराधों की होने लगेगी यहीं सुनवाई

15 साल बाद पूरी होती दिख रही है विस्तार की मांग 

उपेंद्र कश्यप, दाउदनगर (औरंगाबाद) : 26 अप्रैल 2008 को अनुमंडल कार्यालय परिसर में अनुमंडलीय व्यवहार न्यायालय का उद्घाटन तत्कालीन कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश पटना उच्च न्यायालय चंद्र मौली कुमार प्रसाद ने किया था। उसके कुछ साल के बाद से यहां का विधिज्ञ संघ मांग उठाता रहा कि न्यायालय का विस्तार होना चाहिए ताकि संज्ञेय अपराधों की सुनवाई यहीं हो सके। बहुत सारे मामले ऐसे हैं जिनकी सुनवाई के लिए औरंगाबाद जिला मुख्यालय जाना पड़ता है और इसमें मामले के सभी पक्षकारों को आर्थिक, शारीरिक और मानसिक क्षति झेलनी पड़ती है। परेशानी होती है। 15 वर्ष बाद लगता है कि न्यायालय के विस्तार की मांग पूरी हो सकेगी। प्राप्त जानकारी के अनुसार 30 डिसमिल जमीन इसके लिए चिन्हित कर लिया गया है। एसडीजेएम आफताब आलम ने बताया कि 10 न्यायालय का निर्माण होना है, जिसके लिए जी प्लस आठ भवन बनना है। स्वीकृति एवं अन्य प्रक्रिया प्राप्त होते ही निर्माण की प्रक्रिया पूरी शुरू हो जाएगी। इसके अलावा न्यायिक दंडाधिकारियों के लिए यहां कमरा बनेगा। यह जी प्लस चार होगा। कभी भी भवनों के निर्माण का काम शुरू हो सकता है। एसडीजेएम आफताब आलम ने बताया कि जिन मामलों में तीन साल से अधिक सजा का प्रविधान है उसकी भी सुनवाई दाउदनगर न्यायालय में होने लगेगी। यहां एडीजे कोर्ट होगा जिससे जमानत मामलों में भी आने वाली समस्या खत्म हो जाएगी। वादों की सुनवाई से संबंधित कई तरह की समस्या खत्म हो जाएगी। हालांकि यहां कितने एडीजे बैठेंगे यह संख्या पटना उच्च न्यायालय को तय करना है। इसके अलावा विधिज्ञ संघ यह मांग करता रहा है कि यहां मद्य निषेध उत्पाद न्यायालय भी रखा जाए। इसमें पेंच यह है कि इस न्यायालय के लिए एडीजे न्यायालय होना आवश्यक है। जब तक एडीजे न्यायालय यहां नहीं होता तब तक मद्य निषेध उत्पाद न्यायालय प्रारंभ नहीं हो सकता। इसलिए आवश्यक है कि यहां एडीजे न्यायालय हो। न्यायालयों के विस्तार से लोगों को काफी लाभ होगा।



इन मामलों की सुनवाई होने लगेगी दाउदनगर


एडीजे कोर्ट बनने के बाद संज्ञेय अपराधों की सुनवाई शुरू हो जाएगी। जिसमें 307, 376, 302 भादवि की धाराएं शामिल हैं। यहां जमानत खारिज होने के बाद में जिला जाना पड़ता है। यह समस्या भी खत्म हो जाएगी। अदालत से यहां जमानत खारिज होते ही एडीजे न्यायालय में जमानत के लिए आग्रह किया जा सकता है। तीन साल से अधिक सजा वाले मामलों की सुनवाई भी यहीं होने लगेगी। डेढ़ लाख रुपए से अधिक के सिविल वादों की सुनवाई यहीं होने लगेगी। और इसकी अंतिम सीमा तय नहीं है।



इन आठ थानों को होगा लाभ 


दाउदनगर अनुमंडल में आठ थाने हैं जो अनुमंडल व्यवहार न्यायालय के अंतर्गत आते हैं। इसमें शामिल हैं- दाउदनगर, गोह, हसपुरा, ओबरा, उपहरा, खुदवां, देवकुंड और बंदेया।




लोगों को मिलेगा काफी लाभ 



एसडीजेएम आफताब आलम ने बताया कि यहां न्यायालय के विस्तार के बाद काफी लोगों को लाभ होगा। लोगों को जिन मामलों में औरंगाबाद जाना पड़ता है उनकी समस्या का समाधान दाउदनगर अनुमंडल व्यवहार न्यायालय में ही संपन्न होने लगेगा। उनके वादों का निस्तारण यहीं हो जाएगा। इससे उनका समय ऊर्जा और पैसा तीनों की बचत होगी।

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