Thursday 15 December 2016

क्या भारतीय रेलवे में सुधार संभव है?

 यात्रा-कथा। बरेली से अहमदाबाद। आला हजरत-अहमदाबाद एक्सप्रेस ट्रेन।

शीर्षक बतौर प्रश्न मुझे उद्द्वेलित कर रहा है। समस्या गंभीर है। सुबह को बरेली में ट्रेन पर बैठा। आला हजरत - अहमदाबाद ट्रेन यहाँ से खुलती है। सही समय पर आने के वावजूद 25 मिनट विलंब से अपने निर्धारित समय से खुली। ट्रेन खुलने पर बोगियों में रौशनी आयी। मोबाइल के टॉर्च जलाकर सबने अपने सीट पकड़े और लैगेज रखने का बंदोबस्त किया। पता चला मेरे और बगल के एक बोगी में पानी नही है। एक tte आये तो लोगो ने उनसे शिकायत की। उन्होंने फोन पर किसी साहब से बात की और बताया कि मुरादाबाद में पानी उपलब्ध हो जाएगा। ऐसा नही हुआ। लोग उम्मीद ही करते रहे। दिल्ली में tte से कहा कोइ फर्क नही पड़ा। काफी देर और दूरी तय करने के बाद एक tte से फिर कहा गया। उसने कहा कि दिल्ली में ही मैसेज किया गया है। जयपुर में पानी मिल जाएगा। जयपुर में दूसरा tte मिला। लोगो ने उसे कहा। उसने कहा कि कहा गया है। शिकायत की गयी है पानी भरा जाएगा। तब तक ट्रेन पटरी से खिसकने लगी। ट्रेन में रेलवे पुलिस के जवान साड़ी वर्दी में जांच कराने आये। इस मुद्दे पर बहस हुई तो कहा कि आईडी देख लीजिए। खैर। जवान ने कहा कि अजमेर में पानी भरा जाएगा। नहीं भरेगा तो चेन पल कर दें। गाड़ी बढ़ने नही देना। अपने पानी भरेगा। खैर, अंतिम बात यह कि पानी नही भरा गया। अजमेर में लड़के ने पाइप लगा कर पानी भरा तो भी पानी नहीं मिला। कहा कि रेल चलेगी तो प्रेशर से पानी आयेगा। पानी न मिलना था न मिला।
आप सोचिए। सुरेश प्रभु जी सोचिए। तीन बोगियों में पानी ख़त्म और मुसाफिर 24 घंटे से अधिक आपकी ट्रेन में बिना पानी के मछली की तरह। लोग क्यों शांत रहे?  यह आप पर या आपकी सरकार पर भरोसा होने या न होने की वजह से नही बल्कि मौसम में नमी ने सबको नर्म बनाये रखा। यदि गर्मी होती तो क्या लोग शांत बैठते? तब सरकार जनता को कोसती। पुलिस प्रशासन कार्रवाई जनता के खिलाफ करता। उसके खिलाफ जो 24 घण्टे की यात्रा में बिना पानी के है। कई बार फरियाद करा रहा है और आश्वासन के सिवा कुछ नहीं।
इसके अलावा कई स्टेशनों पर बिजली भक भक करती दिखी। शौचालय गंदा है। पानी नहीं है का बहाना है किंतु एक पहलू यह भी तो है कि व्यवस्था देने वाले गंदे है, लापरवाह है, आश्वासन परोसते है तो मुसाफिर भला क्या करे? पहले तो व्यवस्था देने वालों को जिम्मेदार होना होगा अन्यथा स्वच्छ भारत फुस्स्स हो जाएगा।

2 comments:

  1. जी बिल्कुल, सुधार होना संभव है। वाकई ये समस्या गंभीर है। भारत में खासकर ट्रेन का देर होना रोजमर्रा की जिन्दगी में शामिल हो चुका है। दैनिक परिवेश में इसकी शिकायत करना लोग आवश्यक समझना छोड़ चुके हैं। हाँ, इसके अलावा जैसे पानी का न होना, बिजली न होना इत्यादि संबंधित शिकायत तो करते हैं, लेकिन अधिकारियों (कुछेक को छोड़कर) द्वारा उचित समय पर संज्ञान नहीं ली जाती है। इस तरह की परेशानियों से निपटने के लिए हमें व संबंधित अधिकारियों को सजग रहने की जरूरत है।

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