Friday 2 December 2016

आइए महसूस करिए जिन्दगी के ताप को

विश्व विकलांग दिवस पर विशेष रिपोर्ट
अदम गोंडवी के एक शेर को विश्व विकलांग दिवस पर थोडा बदल दे रहा हूँ| आइए महसूस करिए जिन्दगी के ताप को, मै दिव्यंगो की गली तक ले चलूँगा आपको|| जी हां| दिव्यांगो के बारे में चर्चा का यह दिन विशेष है| अनुमंडल में सिर्फ अस्थि विकलांगो का ही प्रमाण पात्र बनता है| हद यह कि लाभ हानी देखा कर मुद्दे चुनने वाले राजनीतिक दलो को इसमे कोइ “प्रोटीन” नहीं दीखता| यहाँ चिकित्सक नहीं होने के कारण दिव्यांगो की मुश्किल है| पीएचसी में  आँख, कान, गला के चिकित्सक नहीं है| इस कारण इससे जुड़े दिव्यांगो के प्रमाण पत्र नहीं बनते| मानसिक तौर पर भी जो दिव्यांग है उनको प्रमाण पात्र नहीं बनाए जाते| इन सबके लिए सदर अस्पताल की दौड़ लगानी होती है| वहा भी कई विभागो के डाक्टर नहीं है| सो दिव्यंगो को गया मगध मेडिकल कालेज या पीएमसीएच पटना रेफर कर दिया जाता है| ऐसे में अनुमान करिए की गरीब दिव्यांगो को क्या क्या झेलना पड़ता है| विकलांग अब दिव्यांग हो गए है, किन्तु विशेषण बदल देने से किसी संज्ञा के हालात नहीं बदल जाते| अनुमंडल के प्राय: सभी प्रखंडो की स्थिति एक सी है| इस मुद्दे पर सरकार और प्रशासन दोनों को सोचना होगा और लाभ हानी देखने वाले नेताओं को इसे मुद्दा बनाना होगा अन्यथा दिव्यांग लाचार ही बने रहेंगे|

माह में दो बार शिविर-डा.कौशिक
प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डा.मनोज कौशिक ने बताया की माह में प्रथम और त्रतीय शुक्रवार को शिविर लगता है| कोइ भी दिव्यांग प्रमाण पात्र बनवा सकता है| चूंकि ईएनटी व मानसिक रोग विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं है इस कारण इनका प्रमाण पत्र नहीं बनता| प्रभारी के अलावा डा.उपेन्द्र कुमार सिंह व डा.विनोद प्रसाद शर्मा की तीन सदस्यीय समिति अस्थि दिव्यंगो की जांच कर प्रमाण पात्र निर्गत करती है| एक साल में यहाँ से ५० निश्शाक्तता प्रमाण पत्र जारी किए गए है|

दो साल पर ट्राइसाइकिल और हर माह मिले पेंशन
 बिहार दिव्यांग अधिकार मंच के प्रखंड अध्यक्ष मो.जुनैद खान ने कहा कि आठ महीने से पेंशन नहीं मिला है| यह हर महीने मिलना चाहिए| रूपए 400 की जगह इसे अब 2000 रूपए किया जाना चाहिए| दो साल पर ट्राइसाइकिल मिलने का प्रावधान हो| दिव्यांग किसी तरह जीवन यापन करते है उनके लिए इसे बार बार बनवाना संभव नही होता| नौकरी में 3 की जगह 10 फीसदी आरक्षण मिले| आधार कार्ड कई जगह मांग जाता है जबकि जिनके हाथ नहीं होते या एक होता है या उंगली नहीं होती उनका आधार नहीं बनाया जाता है| किसी भी सरकारी कार्यालय में दिव्यांगो के लिए अलग से सुविधा की व्यवस्था नही है| इससे परेशानी होती है|

ईएनटी दिव्यांगो के यंत्र व पढाई नहीं-डा.विकास
एक्यूप्रेसर चिकित्सक व बिहार दिव्यांग अधिकार मंच के कोषाध्यक्ष डा.विकास मिश्रा ने कहा कि आँख व कान से दिव्यांग को यंत्र उपलब्ध नहीं कराया जाता| न सुनने का यंत्र न ही ह्वाईट स्टीक कभे जिला में वितरित किया गया है| यहाँ इतना महंगा होता है कि इसे क्रय नहीं करा पाते है दिव्यांग| कहा कि कही भी ब्रेल लिपि में पढाई की सुविधा जिला में उपलब्ध नही है| कहा कि यदि जिला में इनकी सुविधा उपलब्ध हो जाए तो कई दिव्यांगो को स्वरोजगार या नौकरी का अवसर मिलता| सुविधा न होने के कारण ही दिव्यांग लाचार और पराश्रित बने हुए है|

१९८१ से अन्तरराष्ट्रीय विकलांग दिवस
अन्तरराष्ट्रीय विकलांग दिवस सयुंक्त राष्ट्र संघ ने ३ दिसंबर १९९१ से प्रतिवर्ष मनाने की स्वीकृति दी थी। सयुंक्त राष्ट्र महासभा ने सयुंक्त राष्ट्र संघ के साथ मिलकर वर्ष 1983-१९९२ को अन्तरराष्ट्रीय विकलांग दिवस दशक घोषित किया था। भारत में विकलांगों से संबंधित योजनाओं का क्रियान्वयन सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के अधीन होता है।
उद्देश्य भेद भाव समाप्त करना
आधुनिक समाज में शारीरिक रूप से अक्षम लोगों के साथ हो रहे भेद-भाव को समाप्त किया जाना इसा दिवस का उद्देश्य है। इस भेद-भाव में समाज और व्यक्ति दोनों की भूमिका रेखांकित होती रही है। भारत सरकार द्वारा किये गए प्रयास में, सरकारी सेवा में आरक्षण देना, योजनाओं में विकलांगो की भागीदारी को प्रमुखता देना, आदि को शामिल किया जाता है। ताकि भेद भाव समाप्त हो|

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