Friday 16 December 2016

शौचालय बनाने में ग्रामीणों की रूचि नहीं, कैसे बदलेगा भारत?


गरीबी और अशिक्षा के कारण समस्या बढ़ी
 सरकार स्वच्छ भारत अभियान चला आरही है तो राज्य सरकार लोहिया स्वच्छा बिहार मिशन चला रही है| दोनों का मकसद एक है-गाँव हो या शहर उसे स्वच्छ बनाना| घरो में शौचालय निर्माण के लिए सरकारे १२ हजार रूपए उपलब्ध करा रही है| कोशिश है कि सभी घर शौचालय युक्त बन जाय| इस योजना में आकर्षण दीखता है| प्रथम दृष्टया यह प्रतीत होता है कि यह लक्ष्य सहजता से हासिल हो जाएगा किन्तु धरातल पर हकीकत उलटा है| ग्रामीणों की कोइ रूचि इस योजना में नहीं है| मुख्य वजह है उनके पास पैसे का अभाव| हालांकि इसके अलावा अशिक्षा और गरीबी भी एक वजह है| लोग इसके प्रति जागरुक नहीं है और पूर्व में किसी सरकार ने इसके लिए जागरुँकता का फैसलाकुन अभियान नही चलाया, न ही योजना के कार्यान्वयन में दृढ़ता दिखाई| नतीजा आज भी गाँव हो या शहर, खुले मे शौच की समस्या बनी हुई है| जो माहौल गाँवों में है उससे लगता है कि घर घर शौचालय निर्माण के लिए सरकार को और अधिक परिश्रम करने की जरुरत है| प्रखंड के तीन पंचायत अंकोढा, तरारी व करमा अका चयन किया गया है| इन्हें पहले प्राथमिकता के आधार पर शौचालययुक्त पंचायत बनाने का लक्ष्य रखा गया है| दैनिक जागरण ने इस योजना की हकीकत जानने के लिए तरारी के धरातल का सच जानना चाहा|

पैसे नहीं है कैसे बनाए-ग्रामीण
तरारी के वार्ड संख्या-13 निवासी मोती यादव 15 कठा के जोतदार किसान है| मिट्टी का खपरैल घर है| किसानी ही आजीविका का प्रमुख साधन है| शौचालय के मुद्दे पर बोले कि आवश्यक जय किन्तु बनाने को पैसे कहाँ से लाये? कहा कि १२ हजार रूपया है नहीं| वार्ड -११ के निवासी बुधन चौधरी ने शौचालय बनाने के लिए गड्ढा खोद लिया है किन्तु आगे काम के लिए उनके पास पैसे नहीं है| बताया कि मुखिया संगीता देवी के प्रतिनिधि राकेश कुमार से पैसे माँगा रहा हूँ| डेढ़ हजार ईंट चाहिए| बना लेने के बाद पैसा सरकार दे या न दे मुझे तो उधार लिया चुकता करना ही होगा| वार्ड १४ निवासी आशा देवी बताती है कि उन्होंने गड्ढा खोद लिया है किन्तु आगे का काम करने के लिए पैसा नहीं है| गाँवों में समस्या यही है कि पैसे कैसे आयेंगे और अगर कर्ज लिया और सरकार पैसे नही दी तब कर्ज चुकता कैसे करेंगे?


कितना कर्ज दे सकेगा मुखिया-संगीता 
 तरारी की मुखिया संगीता देवी से कई ग्रामीणों ने शौचालय निर्माण के लिए मदद माँगी है| इनका कहना है कि कितने लोगो को एक मुखिया मदद या कर्ज दे सकता है| कहा कि किसी को अपिसा दिया भी तो उसकी वापसी की क्या गारंटी है? कौन देगा पैसा? इसकी व्यवस्था बननी चाहिए| कहा कि पैसे वापसी की गारंटी भी हो तो कितने लोगो को आखिर एक मुखिया कर्ज दे सकता है| कितना पैसा है किसी के पास|

करीब 3800 बनेंगे शौचालय
दाउदनगर प्रखंड के चयनित तीन पंचायतो में करीब 3800 शौचालय बनने है| बीडीओ अशोक प्रसाद के अनुसार करमा पंचायत में १२२० शौचालय, अंकोढा में १२७८ और तरारी में १३०० शौचालय का निर्माण होना प्रस्तावित है| यह संख्या लगभग है और अंतिम नहीं| योजना में पैसा मुद्दा नहीं है| संख्या के हिसाब से पैसे आ सकते है|

2 comments:

  1. इसकी जिम्मेवारी कौन लेगा ? सरकार या जनता ।

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  2. जब शौचालय बन्नवाने के लिए पैसा कोई मुद्दा नही है,और ये ग्रामीण लोग खुले में शौच करने का शोख रखते है तो इसके लिए सरकार को एक सार्वजनिक व्हाट्स एप्प नम्बर जारी करना चाहिए। शौच को रोकने के लिए जो कोई भी खुले में शौच के सबूत वाट्सएप करेगा,चाहे फोटो या वीडियो,शौच करता व्यक्ति पर जुरमाना लगे और जुर्माने की आधी रकम बतौर इनामके रूप में व्हात्सप्प भेजने वाले व्यक्ति को दे दी जाये। इतना ही नहीं शौच करने वाले का लोटा जब्त कर लिया जाए और उसे जेल भेज दिया जाए। और समाज के बीच में उस खुले में शौच करने वाले व्यक्ति का नाम उछाला जाए इसे बेइज्जत किया जाए।

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