Sunday 11 December 2016

बाप रे ! अब ठिठुर रहे गर्म हाथ भी

अब बर्दास्त से बाहर होने की स्थिति बनने लगी है| देश के प्रधानमंत्री ने जब कहा तथा कि 1000 व 500 के नोट अब रद्दी का टुकड़ा हो जाएगा तो यकीन था कि अच्छे दिन बस अब आने ही वाले है| शहर भर में चर्चा चल पडी कि अब तो दिन गरीबन के बदलनेवाले है| फिर सूट- बुट वाले पीएम ने कहा कि- भाइयों, बस 50 दिन मांगे है हमने और उसके बाद स्थिति बदल जायेगी|  अब कहा रहे है कि 50 दिन बाद स्थिति धीरे-धीरे सुधारने लगेगी| धीरज धरें| अरे भाई, शहर तो कब से धीरज रखे हुए है| अब लेकिन गर्म हाथ ठिठुरने लगे है| कडाके की ठंढ में अलाव नहीं जल रहे और जो जल रहे है उसमे प्रशासन नहीं है| अपने स्तर से कितना लकड़ी जलाए| यह आम बात है| ख़ास थोड़ा अलग है| गर्म हाथ उनके है जिनके 1000 और 500 के नोट जल रहे है या नहीं तो फिर दिल जला रहे है| बेचारे कई है शहर में जिन्होंने कम खाया-पीया, पढाई पर खर्च कम किया, देश दुनिया नहीं देखा, घुमा-फिरा नहीं, पेट, तन काटकर धन जमा किया और अब मोदी जी उसे भी बर्बाद करने पर तुले हुए है| शहर में रोज चर्चा है कि फलां का पैसा खूब बर्बाद हुआ, फलां ने अपने रद्दी नोटों को ऐसे खपाया| बहुत सारे उपाए चर्चा में है| रद्दी नोट बदलने के आरोप यहाँ के कई बैंक पर लग रहे है| पता नहीं आईटी विभाग क्या करेगा और कैसे करेगा? फिलहाल जिनके पास रद्दी बन गए नोट है उनके हाथो में कैद धन की गर्मी इस कडाके की ठंढ में बर्फ बन गयी है| गर्म हाथ ठिठुरने लगे है| समझ नहीं आ रहा कि हाथो को गर्म कैसे करे| भाई लोग जुगाड़ भिडाने में लगे है| कोइ सफल हो रहा है कोइ असफल| इस मुआ नोट्बंदी ने छुपे धन्नासेठो को भी बैंक पहुंचवा दिया| देखी आगे आगे क्या होता है?

अंत में इसे समझिए--
शहर के फुटपाथ पर कुछ चुभते मंजर देखना|
सर्द रातो में कभी घर से निकल कर देखना||
ये समझ लो तिश्नगी का दौर सर पर आ गया|
रात को ख्वाबो में रह रह कर समंदर देखना|| 

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