बदलता शहर 20
ब्रांडों की फ्रेंचाइजी से शहर की बदली रौनक
इनपुट और आउटपुट के साथ बदल गया शहर का आउटलुक
शहर में खुले कई माल, शोरूम और फ्रेंचाइजी
उपेंद्र कश्यप, जागरण ● दाउदनगर (औरंगाबाद) : चट्टी में मशहूर दाउदनगर 1885 में नगर पालिका बना लेकिन विकास धीमी गति से आगे की ओर बढ़ती रही। आज स्थिति यह है कि बीते दो दशक में पूरा शहरी आउट लुक प्राप्त कर लिया है। इसके पीछे अगर कारण देखें तो बाजार का विस्तार होना, दुकानों की संख्या बढ़ना, दुकानों का रंग रूप में बदलाव आना और नई पीढ़ी के दुकानदारों की सोच आधुनिक होना महत्वपूर्ण कारण है। कभी लखन मोड़ से लेकर शुक बाजार तक ही दुकान थी। बजाजा रोड रोड और दुर्गा पथ ज्वेलरी व बर्तन के साथ कपड़े की दुकानों के लिए मशहूर हुआ। कसेरा टोली पथ में भी दुकान थी। लेकिन आज स्थिति है कि लखन मोड़ से लेकर जगन मोड तक दुकान भर गई। मौलाबाग से पुरानी शहर चौक तक, मौला बाग में दुकानों की संख्या बढ़ गई। मौला बाग से पासवान चौक तक पचकठवा मन्दिर होकर जाने वाली सड़क पर भी कई दुकानें खुल गई। दुकानों का विस्तार लखन मोड़ से भखरुआं तक हुआ है। दाउदनगर - बारुण रोड पर भी पासवान चौक से लेकर पीराही बाग तक दुकान खुल गई। इन क्षेत्रों में बैंक्विट हाल शादी विवाह या उत्सव का आयोजन करने के लिए खुले। होटल, माल और प्रतिष्ठित व्यावसायिक प्रतिष्ठानों की फ्रेंचाइजी भी शहर में आई। नतीजा शहर का पूरा आउट लुक बदल गया। अब यह ट्रेंड यहां भी हावी हो रहा है कि जन्मदिन और विवाह के वर्षगांठ से लेकर शादी विवाह तक होटल के हाल में हो रहे हैं, या बड़े-बड़े होटल बुक किये जा रहे हैं। यहां होटल व्यवसाय भी बड़े पैमाने पर उभरा है। शहरी क्षेत्र और भखरुआं को अगर मिला लें तो अब प्रायः सभी मार्गो में कोई ना कोई बढ़िया होटल खुल गया है। जहां खाने पीने के साथ उत्सव मनाने की सुविधा उपलब्ध है। कपड़ा, ज्वेलरी, एफएमजी वस्तुओं समेत तमाम प्रकार के जीवन उपयोगी सामग्रियों के माल यहां खुल गए हैं। फ्रेंचाइजी हैं। अब 200 रुपये तक में दाढ़ी बनने लगे हैं, शहर में तो समझा जा सकता है कि शहर का स्वरूप कितना बदला है। आउटलुक अगर बदला है तो इनपुट और आउटपुट की उसमें बड़ी भूमिका रही है।
गद्दी से उठकर काउंटर बनाने लगे दुकानदार
ज्वेलरी व्यवसाय एक ऐसा क्षेत्र है जो बाजार की अर्थव्यवस्था का सबसे बड़ा मानक होता है। शहर में जो ज्वेलरी की दुकान होती थी वह सभी गद्दी बनाकर रखते थे। यानी जेवर आप खरीदने जा रहे हैं तो पालथी मार कर बैठकर पसंद करें। इससे जमींदारी ठाट का अनुभव होता है। अब शहर में लगभग आधा दर्जन ऐसे ज्वेलरी दुकान हैं जो गद्दी नहीं बल्कि काउंटर बनाकर चला रहे हैं। स्वर्णकार आभूषण व्यावसायिक संघ के अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद सर्राफ कहते हैं कि इससे आधुनिकता भी बढ़ी, ग्राहकों का आकर्षण भी बढा और शहरीकरण में इसकी बड़ी भूमिका रही।
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