अनुमंडल के 34 वर्ष -03
रफीगंज और नबीनगर भी अनुमंडल बनने की होड़ में शामिल
गैर सरकारी संकल्प में उठाया था रामबिलास सिंह ने मुद्दा
दिया था आंकड़ों के साथ मजबूत तर्क
उपेन्द्र कश्यप, जागरण ● दाउदनगर (औरंगाबाद) : 1990 के दशक में रामबिलास सिंह की अध्यक्षता में ‘अनुमण्डल संघर्ष समिति’ का गठन किया गया था। उसके बाद इसकी काट में विरोधी जमातों ने भी अपनी अपनी राजनीति शुरु की। रामविलास सिंह ने इस संवाददाता को बताया था कि रफीगंज के लिए सत्येन्द्र नारायण सिन्हा (पूर्व मुख्यमंत्री) के करीबी विधायक डा. विजय सिंह सक्रिय थे तो नबीनगर के लिए विधायक रघुवंश प्रसाद सिंह। ये तीनों कांग्रेसी थे और सत्ता भी इसी पार्टी की थी। इनकी राजनीतिक लौबियां काफी मजबूत थीं। सत्येन्द्र नारायण सिन्हा स्वयं सन 1989 में मार्च से दिसम्बर तक मुख्यमंत्री रहे हैं। लेकिन नवीनगर और रफीगंज दोनों की कुछ कमजोरियां थी। रफीगंज का अनुमण्डल बनना मदनपुर के लोगों को स्वीकार्य नहीं था, भौगोलिक कारण सहित कई कारण थे। नवीनगर मुख्य पथ से जुड़ा हुआ नहीं था। इस कमजोर कडी के बावजूद लेकिन कोशिशें जारी रहीं, मकसद वही था कि इस बहाने किसी एक को अनुमंडल बनाने का अवसर अधिक हो। अपने निधन से पूर्व तत्कालीन मंत्री रामविलास सिंह ने अनुमंडल बनाने की चली राजनीति पर कई घंटे इस संवाददाता से बात किया था। इस वार्ता में बताये तथ्यों एवं घटनाओं के अनुसार तब सदन में प्रत्येक शुक्रवार को ‘गैर सरकारी संकल्प’ लाया जाता था। विधायक रामबिलास सिंह ने सदन में दाउदनगर अनुमण्डल बनाये जाने का प्रस्ताव लाया और आंकड़ों के साथ तर्क दिया। इसी सदन में डा. विजय सिंह एवं रघुवंश सिंह ने क्रमश: रफीगंज एवं नवीनगर को अनुमण्डल बनाये जाने का प्रस्ताव रखा। तब लोकदल से विधायक बने रामबिलास सिंह ने सदन में कहा था- ‘मैं रफीगंज या नवीनगर को अनुमण्डल बनाये जाने का विरोधी नहीं हूं, मैं चाहता हूं कि दाउदनगर अनुमण्डल बने। बेहतर होगा तीनों क्षेत्रों की तुलना की जाये और जो सारी अहर्ता पूरी करता हो उसे अनुमण्डल बना दिया जाये।’ सदन के अध्यक्ष ने व्यवस्था दी की- ‘सरकार विचार करेगी।’ मामला फिर लटक गया।
सामाजिक न्याय की सरकार बनी तो घोषणा
बिहार में तब सामाजिक परिवर्तन की लड़ाइयां लड़ी जा रही थी। कांग्रेस की सत्ता के विरुद्ध लालू प्रसाद यादव के नेतृत्व में बिहार में सामाजिक समीकरण की राजनीति की जा रही थी। इस बीच वर्ष 1990 में बिहार विधानसभा का चुनाव हुआ और सत्ता का स्वरूप बदल गया। सामाजिक बदलाव का नारा बुलंद करने वाले लालू प्रसाद को मुख्यमंत्री बनाया गया। जातीय, राजनीतिक समीकरण प्रभावित हुए तो स्वभावतः सत्ता का भीतरी चेहरा भी प्रभावित हुआ। सत्ता के गलियारे में नयी जमात का प्रभाव बढ़ना शुरू हुआ। तब सरकार के एक आयुक्त (कोइ श्रीवास्तव-रामविलास बाबु को याद नहीं) ने रामबिलास सिंह को बताया कि अनुमण्डल गठन की बात चल रही है, सूची तैयार है और उसमें दाउदनगर का नाम भी है। फिर वे सक्रिय हुए।
और इस तरह हुई घोषणा
फिर 31 मार्च 1991 को शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय परिसर (परेड ग्राउंड) में मगध प्रमंडल के तत्कालीन आयुक्त ने राज्यपाल द्वारा जारी अधिसूचना माइक पर पढ़कर यह जानकारी दी कि आज से दाउदनगर अनुमंडल का गठन किया जाता है। सभा स्थल पर तालियों की गूंज सुनाई पड़ने लगी। इसके बाद विधिवत उद्घाटन तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद ने किया और बतौर क्षेत्रीय विधायक एवं कारा सहायक पुर्नवास मंत्री रामबिलास सिंह इस समारोह में उपस्थित रहे। अनुमंडल कार्यालय परेड ग्राउंड के पास तरार में शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय के एक भवन में प्रारंभ हुआ।
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