बदलता शहर
भखरुआं में यात्रियों के लिए सिर्फ खुले में शौच का विकल्प
शहर में चार शौचालय का संचालन कर रही नगर परिषद
जिला परिषद द्वारा निर्मित शौचालय शुरू नहीं
उपेंद्र कश्यप, जागरण ● दाउदनगर (औरंगाबाद) : विकास के काफी काम हो रहे हैं। तमाम प्रकार के दावे और प्रति दावे किए जाते हैं। इस बीच एक हकीकत यह भी है कि आज भी शौच के लिए संसाधन की उपलब्धता अपर्याप्त है। भखरुआं नगर परिषद का हिस्सा नहीं है लेकिन शहर का सबसे व्यस्त इलाका है। शहर से बाहर कहीं भी जाना हो या आना हो यह एक आवश्यक पड़ाव है। यहां चौराहा है। दो एनएच क्रमशः 139 पटना औरंगाबाद और 120 बिहार शरीफ से डुमरांव एक दूसरे को काटती है और चौराहे का निर्माण होता है। यहां से प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में ही नहीं बल्कि सीमावर्ती झारखंड, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल समेत कई प्रदेश के लिए भी सवारी वाहन गुजरते हैं। कहीं से भी आने-जाने के लिए यहां आना आवश्यक होता है। लेकिन अगर यात्रियों को शौच लग जाए तो खुले में जाने के अलावा कोई विकल्प उनके पास मौजूद नहीं है। यहां तक कि मूत्र त्याग करना भी मुश्किल का काम है। या तो आप खुले में करें या फिर नहर पर जाना पड़ेगा। कोई शौचालय उपलब्ध नहीं है। स्थानीय प्रशासन द्वारा कई बार इसकी कोशिश की गई लेकिन सफलता नहीं मिली। पूर्व में बाजार रोड में शौचालय का निर्माण किया भी गया था। उसकी उपयोगिता नहीं रह गई नतीजा उसे ध्वस्त कर हटा दिया गया। भखरुआं में जिला परिषद द्वारा तीन शौचालय बनाया गया और कोई शुरू तक न हो सका है। अगर नगर परिषद क्षेत्र में आए तो यहां शौचालय की संख्या चार है, जिसे सुलभ शौचालय से समझौता कर नगर परिषद संचालित कर रहा है। लेकिन यह अभी पर्याप्त नहीं है। नगर परिषद द्वारा संचालित शौचालय स्वयं उसके कार्यालय परिसर में, नगर पालिका या पुराना मछली मार्केट में, चूड़ी बाजार और मौला बाग मोड पर है। इन्हें सुलभ शौचालय के माध्यम से चलाया जा रहा है जिन पर एक लाख रुपये प्रति माह का खर्च है। इसके अलावा अनुमंडल कार्यालय के पास एक पुराना जर्जर शौचालय है। यह बर्बाद है। प्रखंड कार्यालय परिसर में भी स्थित शौचालय गंदा रहता है।
शौचालय संचालन की बड़ी चुनौती
फोटो- प्रमिला कुमारी
जिला परिषद सदस्य प्रमिला कुमारी कहती हैं कि उन्होंने अनुमंडल कार्यालय परिसर में महिला और पुरुष के लिए अलग-अलग दो शौचालय बनवाया। इसके अलावा के लाला अमौना के पास गया रोड में। लेकिन सबसे बड़ी चुनौती इसके संचालन की है। आखिर संचालन कौन और कैसे करेगा यह तो सरकार को तय करना है। जब शौचालय का संचालन होगा तो विद्युत बिल आएगा, उसके संचालन के लिए मानव बल चाहिए, उसका भुगतान कौन करेगा। यह सब सरकार को तय करना है।
बनाएं जाएंगे और यूरिनल
फोटो-अंजली कुमारी
मुख्य पार्षद अंजली कुमारी ने बताया कि शहर में यूरिनल की कमी महसूस की जा रही है। स्थल चयन किया जा रहा है। जगह उपलब्ध होते ही कई यूरिनल का निर्माण करा दिया जाएगा। लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरुक होने की जरूरत है। यह काम दीवाल लेखन, नुक्कड़ नाटक के माध्यम से जागरूक किया जा रहा है।
पिंक शौचालय सिर्फ कल्पना भर फोटो- ऋषिकेश अवस्थी
नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी ऋषिकेश अवस्थी से जब यह पूछा कि पिक शौचालय नगर परिषद में क्यों नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि जो शौचालय बने हैं उनमें से चूड़ी बाजार स्थित शौचालय को पिक शौचालय में बदला जा सकता है। लेकिन समस्या यह है कि उसका संचालन कैसे होगा। जब पिंक शौचालय होगा तो उसके संचालन की जिम्मेदारी महिलाओं के पास होगी। ऐसे में पुरुष की वहां आवाजाही सहज नहीं रह जाएगी। कई तरह की समस्या खड़ी हो सकती है।
प्रतिदिन 100 व्यक्ति करते हैं इस्तेमाल
चूड़ी बाजार शौचालय के संचालक प्रदीप कुमार बताते हैं कि प्रतिदिन लगभग 100 आदमी आते हैं। इनमें से कुछ शौचालय तो कुछ मूत्रालय का इस्तेमाल करते हैं। कुछ लोग स्नान भी करते हैं। कुछ लोग कुछ रुपये दे देते हैं। प्राय: लोग नहीं देते हैं। सुलभ शौचालय और नगर परिषद ने उन्हें रखा है और यही से उन्हें भुगतान होता है।
No comments:
Post a Comment