Sunday, 30 March 2025

‘माड़-भात खायेगें, अनुमण्डल यहीं बनायेगें’ का नारा हुआ बुलन्द

 अनुमंडल के 34 वर्ष -04



‘माड़-भात खायेगें, अनुमण्डल यहीं बनायेगें’ का नारा हुआ बुलन्द


शहरी क्षेत्र वाले चाहते थे नहर के पश्चिम खुले कार्यालय


सामाजिक-राजनीतिक दबाव का द्वंद्व झेल रहे थे मंत्री जी 

उपेंद्र कश्यप, जागरण ● दाउदनगर (औरंगाबाद) : 31 मार्च 1991 को दाउदनगर अनुमंडल गठन की घोषणा परेड ग्राउंड मैदान में होनी है और इसके लिए कार्यक्रम होगा जिसमें लालू यादव जनता को संबोधित करेंगे। इसकी जानकारी लोगों को मिली। शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय (डायट तरार) के एक भवन में अनुमंडल कार्यालय अस्थाई तौर पर शुरू किया जाना है। इधर अनुमंडल कार्यालय कहां खोला जाए, इसे लेकर आंदोलन शुरू हुआ। अनुमण्डल कार्यालय नहर के पूर्व दिशा में भखरुआं बनेगा कि पश्चिम बाजार में। इसे लेकर विवाद शुरू हुआ। शहर वालों ने जब आन्दोलन छेड़ा तो तत्कालीन मंत्री रामबिलास सिंह ने कहा कि जगह का अभाव है। तब डा.राय (ह्वाइट हाउस), शांति निकेतन (पुराना शहर) तथा खुर्शीद खान के मकान दिखाये गये। उधर बारहगांवा का दबाव तत्कालीन मंत्री पर था कि अनुमण्डल भखरूआं ही बने। शहरियों का तब नारा था- ‘माड़-भात खायेगें, अनुमण्डल यहीं बनायेगें।’ देवरारायण यादव की अध्यक्षता में आईबी में बैठक की गयी। इस संवाददाता से बताया था कि तत्कालीन मंत्री श्री सिंह ने कहा- ‘क्या करें? इस उंगली को काटो तो उतना ही दर्द होगा, जितना उसको काटने से।’ यानी वे द्वंद्ध झेल रहे थे। 

इस आंदोलन में शामिल नगर परिषद के पूर्व मुख्य पार्षद परमानंद प्रसाद बताते हैं कि डा. बी के प्रसाद के घर पर बैठक हुई। उनके साथ प्रहलाद पांडेय शामिल हुए और यह विचार बना कि अगर भखरुआं अनुमंडल कार्यालय खुलता है तो बाजार वीरान हो जाएगा। इसके बाद लोगों को गोलबंद करने की सलाह उन्होंने दी। कार्यक्रम से पहले रामविलास सिंह को आना था। नहर पुल पर उनके घेराव की योजना बनी। काफी लोग जुटे। बताया कि अभूतपूर्व शहर बंदी थी। शिव शंकर सिंह (नगर पालिका के अध्यक्ष) के अलावा मनौवर हुसैन, संजय सिंह इस आंदोलन में शामिल हुए। नहरपुल पर श्री सिंह को शहर में आने से रोक दिया गया। सड़क पर कई नेता लेट गए। तत्कालीन मंत्री श्री सिंह ने कहा कि- ई क्या कर रहा है अब तू परमानंद। परमानंद ने कहा कि- शहर वीरान हो जाएगा। देहात में नहीं ले जाइए। इस बीच लोग नारेबाजी करते रहे। किसी ने रोड़ेबाजी शुरू कर दी। मंत्री जी का काफिला वापस लौट गया। इसके बाद वह सिपहां से घूम कर मौला बाग सिंचाई विभाग के आईबी में पहुंचे। वहां शिष्टमंडल मिलने के लिए बुलाया गया। जब शिष्टमंडल से उन्होंने बात की तो लोग शांत हुए और अंततः शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय में अनुमण्डल कार्यालय अस्थाई तौर पर शुरू हुआ। प्रशासनिक इकाई के तौर पर यहां अनुमण्डल कार्य करना शुरू कर दिया। संघर्ष खत्म हो गये। 


 कौन थे रामविलास सिंह 


स्व.राम बिलास सिंह 1967, 1972, 1977, 1985 और 1990 में विधायक बने। वह दाउदनगर हसपुरा और दाऊद नगर ओबरा विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे। तीन बार मंत्री बने। वे समाजवादी नेता रहे। उन्होंने इस संवाददाता से 11 अप्रैल 2009 को बातचीत में बताया था कि अपना पहला चुनाव मात्र 3000 रुपये में लड़े थे और 1990 के चुनाव में मात्र छः से सात हजार रुपये खर्च कर विधायक बने थे।


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