Tuesday 8 November 2016

दूर तलक सुनी गयी संजय की देह की आवाज

   दीपक अरोडा सम्मान ग्रहण करते संजय शांडिल्य

संजय की कविता संग्रह का हुआ प्रकाशन
दाउदनगर के बने ऐसे दूसरे कवि

कोई व्यक्ति जब काम करता है और खास करता है तो उसकी चर्चा कई तरह की सीमा को तोड कर दूर तक होती है। संजय कुमार शांडिल्य की ऐसी ही उपलब्धि साहित्य जगत में सोमवार को दर्ज हुई। उनका काव्य संग्रह ‘आवाज भी देह है’ को बोधि प्रकाशन ने प्रकाशित किया। उन्हें जयपुर में इसी अवसर पर दीपक अरोड़ा स्मृति सम्मान मिला। 
प्रकाशित काव्य संग्रह
स्थानीय सन्दर्भ में यह बडी और इकलौती उपलब्धि है। हालांकि इससे पूर्व श्रीशचन्द्र मिश्र सोम की कविता संग्रह ‘कविता भी हो सकती है’ को संभव प्रकाशन ने प्रकाशित किया है। संजय यहां दाउदनगर महाविद्यालय से सेवारत अध्यापक एसके शांडिल्य और अंकोढा मिडिल स्कूल में कर्यरत शिक्षिका मांडवी पांडेय के बडे पुत्र हैं। यहां विवेकानंद मिशन स्कूल से शिक्षक के रुप में कैरियर प्रारंभ किया था और अभी गोपालगंज सैनिक स्कूल में शिक्षक के रुप में कार्यरत हैं। संजय का जन्म यहां हुआ। मेरे (इस लेखक) साथ उसका युवावस्था बीता। तब सिर्फ हम दो ही अधिक समय तक एक दूसरे के साथ रहते थे। कई यादें जीवित हैं। समाज को समझने का साझा प्रयास हमने किया। प्रकृति की गोद में या घर में शाम को हम जुटते और कई तरह की साहित्यिक चर्चा करते। यहां के सबसे बडॆ तत्कालीन वरिस्ठ कवि, नाटककार, साहित्यकार, रंगकर्मी बायोलोजी के शिक्षक श्रीशचन्द्र मिश्र सोम सर के साथ गप्पे लडाते। कुछ सीखते थे। संजय यहां दाउदनगर महाविद्यालय से सेवारत अध्यापक एसके शांडिल्य और अंकोढा मिडिल स्कूल में कर्यरत शिक्षिका मांडवी पांडेय के बडे पुत्र हैं। यहां विवेकानंद मिशन स्कूल से शिक्षक के रुप में उन्होंने अपना कैरियर प्रारंभ किया था और अभी गोपालगंज सैनिक स्कूल में शिक्षक के रुप में कार्यरत हैं। बिहार गीत भी उन्होंने ही लिखा था। इसके लिए राज्य सरकार ने सम्मानित किया था।

कविता पाठ करते संजय
 बोधि पुस्तक पर्व के चौथे सेट की दस और दीपक अरोड़ा स्मृति पांडुलिपि प्रकाशन योजना के तहत प्रकाशित पांच पुस्तकों का लोकार्पण सोमवार की शाम पिंकसिटी प्रेस क्लब, जयपुर के सभागार में हुआ। मुख्य वक्ता डॉ दुर्गाप्रसाद अग्रवाल ने "पुस्तक संस्कृति और हमारा समय" विषय पर विस्तार से चर्चा की। डॉ हेतु भारद्वाज ने आशीर्वचन कहे और दीपक अरोड़ा की बहन सोनिया अरोड़ा ने अपने संस्मरण साझा किये। कार्यक्रम अध्यक्ष  प्रेसक्लब महासचिव मुकेश चौधरी ने सभी शामिल रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी। दोनों योजनाओं में शामिल रचनाकारों में से उपस्थित रचनाकारों- अंजता देव, विनोद पदरज, गोविन्द माथुर, विपिन चौधरी, अमित आनंद पांडेय, संजय कुमार शांडिल्य और अस्मुरारीनंदन मिश्र का सम्मान किया गया। दीपक अरोड़ा की अर से उनकी बहन ने यह सम्मान स्वीकार किया। अतिथि कवियों के शानदार काव्‍य पाठ के साथ आयोजन का समापन हुआ। दीपक अरोड़ा की कविताओं का पाठ अंजना टंडन ने किया। बोधि प्रकाशन की ओर से बनवारी कुमावत राज ने सभी का आभार व्यक्त किया। आवाज भी देह है किताब के लोकार्पण के अवसर पर प्रेस क्लब के सभागार में दीपक अरोड़ा स्मृति सम्मान ग्रहण करते और कविता पाठ संजय कुमार शांडिल्य ने किया। 

1 comment:

  1. वास्तव में संजय सर के लेखनी का मैं भी कायल रहा हूँ।इनका नाम आते ही बहुत सारी पुरानी यादें मेरे सामने आने लगी,जब हम मीठा बाजार स्थित सबसे पुराना विद्यालय आदर्श विद्या मंदिर में 6 क्लास में पढ़ता था तो ये भी यहाँ हमलोगो को पढाते थे,इस दौरान मेरे मुख से एक सवांद निकला उस संवाद से तुरन्त एक कविता बना डाली।मैं तो दंग रह गया।किसी संस्कृति कार्यक्रम में मैं भाग लिया था,ब्रजेश सर में एक गीत दिया धुन बनाने को,बहुत कोशिशों के बाद भी धुन नही बन पाया,गीत के बोल था। (यु तो जमाने में झंडे बहुत है ,तिरंगे का अपनी जुड़ा शान समझो)
    संजय सर ने ओ गीत मुझसे लिया और तुरंत धुन बना कर मुझे दे दिया,मुझे तो विश्वास ही नही हुआ,तब उस गीत को गाकर उन्होंने सुनाया।सच में बहुत मजा आया और उस गीत को हमने कार्यक्रम में गाया,इसका मुझे प्राइज भी मिला।सचमुच जादू था उनमे।

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