Saturday 26 November 2016

पैसे को ले मजबूर मजदूर ले रहे पुराने नोट

विमुद्रीकरण से मनरेगा की 
योजनाएं भी प्रभावित
नये नोट मांग रहे मजदूर
पुराने हैं उपलब्ध
नोटबंदी से अब मनरेगा भी कार्य प्रभावित होने लगा है। मजदूर अपनी मजबूरी में पुराने नोट लेने को विवश हैं। उन्हें अपनी आजीविका चलाने के लिए पैसे चाहिए। रोजमर्रे के खर्च के लिए वे इसी कारण पुराने नोट भी ले ले रहे हैं। सूत्रों के अनुसार कई जगह काम बन्द हैं। मजदूरों को रोज पैसे चाहिए। वे रोज कमाने खाने वाले लोग हैं। सूत्रों के अनुसार तरार मुख्य पथ से तरारी मुख्य पथ को जोडने वाली करीब 40 हजार फीट लंबी सडक मात्र 500 फीट बन सकी। कम फिलहाल ठप है। समस्या बस यही है कि मजदूर नये नोट मांग रहे हैं और वह उपलब्ध नहीं हो रहा है। कुसुम यादव कालेज से एनएच-98 तक तरारी पंचायत में नाली का निर्माण जारी है। इसमें मनरेगा के तहत काम हो रहा है। लाखों की लागत से यह निर्माण हो रहा है। मौके पर मजदूर रामचन्द्र पासवान ने बताया कि नया नोट नहीं मिल रहा है। पुराना नोट नून-धनिया भर मिल जा रहा है। रामरुप राम, गनौरी चौधरी, अमरजीत कुमार व सिद्धेश्वर चौधरी ने बताया कि 2000 का नोट जब मिल रहा है तो उससे सामान नहीं मिल रहा है। क्योंकि बाजार में छुट्टे नहीं हैं। पुराने नोट लेकर ही काम करना पड रहा है। उसे भी कोई नहीं ले रहा है। बडी मुश्किल हो रही है। रोज कमाना खाना पड रहा है। मजबूरी में कोई विकल्प नहीं दिख रहा है।

मानवीय कारण से मजबूरी-मुखिया
संगीता देवी 


मुखिया संगीता देवी ने बताया कि मनरेगा के तहत मजदूरी बैंक खाते में देना है| इसके बावजूद मजदूरों को मानवीय कारण से नगद पैसे कभी-कभी देना पड़ता है| यह उधार होता है| क्योंकि बिना नगदी के काम नहीं चलेगा| कहा कि मजदूरो को भी परिवार चलाना होता है| रोजमर्रे का खर्चा हो या अवसर विशेष के लिए पैसे चाहीए ही चाहिए| इसलिए पैसे देना पड़ता है|



नगदी नहीं, देते हैं पैसे
शैलेन्द्र कुमार सिंह
बोले पीओ शैलेन्द्र कुमार सिंह
मनरेगा की योजनाओं के नोटबन्दी से होने वाले प्रभाव पर पीओ शैलेन्द्र कुमार सिंह ने बताया कि कोई असर नहीं है। इस योजना में मजदूरों और सामग्री उपलब्ध कराने वालों को पैसे ईएफएमएस (इलेक्ट्रिनिक फन्ड मैनेजमेंट सिस्टम) के जरिए खाते में दिये जाते हैं। इस कारण काम प्रभावित होने का प्रश्न ही नहीं उठता। बताया कि मजदूरों को नगदी पैसे नहीं देने होते है| ऐसा करना गलत है|

 नगदी का लेन देन विवशता
मनरेगा के मजदूरों के साथ नगद लेन देन वैध नहीं है| इसके बावजूद ऐसा होता है क्योंकि यह विवशता है| मजदूर को रोज पैसे चाहिए| बैंक खाता में पैसे जाने और फिर उससे निकालने में समय खर्च होता है| इसलिए वह किसी से मजदूरी नगदी लेता है| बाद मे अपने खाते से निकाल कर वापस दे देता है

1 comment:

  1. साथ ही शहरों में गए मजदुर पैसो की किल्लत की वजह से ठप हुई काम की वजह से उन्हें रोजगार नहीं मिल रहा है और वे घर वापस लौट रहे है ।

    ReplyDelete