Wednesday 16 November 2016

अब विश्व कर रहा भारत की प्रशंसा

पे पाल में निदेशक अमरेश मोहन (एनआरआई) से बतचीत
अमरेश मोहन

भारत सरकार के नये आर्थिक फैसले को देश में कई नजरिए से देखा जा रहा है। राजनीतिक दलों को अपना हित सर्वोपरि दिखता है। कुछ आलोचना कर रहे हैं, कुछ प्रशंषा। जनता अलग सोच रही है। भारतवंशी जो विदेश में रहता है वह और उसकी सोसाइटी इस मुद्दे को कैसे देखती है? यह जानना भी दिलचस्प होगा। दाउदनगर के सेवा निवृत प्रोफेसर ब्रज किशोर प्रसाद व सेवा निवृत शिक्षिका निर्मला गुप्ता के पुत्र अमरेश मोहन पे पाल प्राइवेट लिमिटेड में रिजनल डायरेक्टर हैं। सिंगापुर रहते हैं। बताया कि एक अप्रवासी के लिए अपने जन्म-देश की विश्व में क्या प्रतिष्ठा है यह शायद सबसे ज़रूरी मुद्दा है। भारत की गिनती अभी तक विश्व के सबसे भ्रष्ट देशों में होती आयी है और किसी सरकार ने सालों से कोई ठोस क़दम नहीं उठाया था।
विश्व देख रहा जनता का रुख
आज सारे देश भारत सरकार के इस साहसी क़दम की ना सिर्फ़ तारीफ़ कर रहे हैं बल्कि ये देख भी रहे हैं की क्या सारे भारतीय अपनी ही सरकार को काले धन के ख़िलाफ़ इस जंग में समर्थन करेंगे या नहीं? अगर पूरा देश इस मुहिम में साथ दे पाये, तो ना सिर्फ़ काले धन में कमी आएगी और आतंकवाद कमज़ोर होगा, बल्कि क़ीमतें भी कम होगी, ख़ासकर ज़मीन और घरों की। कुल मिलाकर, यह एक बहुत आवश्यक और सराहनीय क़दम है जिसका फ़ायदा सारे देश को एक लम्बे समय तक मिल सकता है। ये सुन के दुःख भी होता है की कुछ मौक़ापरस्त बिचौलिये घबराहट फैला कर अपना फ़ायदा करना चाह रहे हैं और इस जंग को कमज़ोर करके कालेधन को चालू रखने की कोशिश कर रहे हैं।
कैशलेस इकोनामी का सवाल
अमरेश ने कहा कि असली मुद्दा पुराने नोटों में छुपे काले धन को एक बार हटा पाना या कम करना नहीं है, बल्कि यह है की क्या भारत "कैश" पर अपनी निर्भरता कम करके बड़े और विकसित देशों की तरह "कैशलेस" या "डिजिटल इकॉनमी" बन सकता है या नहीं?

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