Wednesday 13 April 2016

कब्जा कर जमीन गरीबों में बांट दी

पंचायत, राजनीति और इतिहास-9
* हसपुरा का ‘अलपा’ था प्रेरणास्त्रोत
* पुलिस की छिनी राइफल विनती पर लौटाया
* पुलिस से केशो साव को जनता छुडा ली थी

उपेन्द्र कश्यप
दाउदनगर (औरंगाबाद) बेलवां पंचायत में कई जगह जमीन कब्जा की गयी। मजदूर आन्दोलन में  दस बिगहा जमीन कब्जा कर मजदूरों के बीच बांट दी गयी। लाल झंडे वाली पार्टी का तब बोलबाला हुआ करता था। मजदूर आन्दोलन में शामिल सोनी के नेतृत्वकर्ता मजदूरों के अनुसार उन्हें हसपुरा प्रखंड का अलपा गांव प्रेरणा देता था। मालुम हो कि जिला में खेत कब्जा की पहली घटना इसी गांव में हुई थी। इसी के बाद लाल झंडे, पार्टी और नक्सली जैसे शब्द यहां धीरे-धीरे खौफ का प्रयाय बनते चले गये। बताया कि जब भी मजदूर संगठित होते, कारर्वाई की योजना बनाते तो “अलपा” उन्हें हिम्मत देता, प्रेरणा देता और संबल के साथ उम्मीद भी कि सफलता मिलकर रहेगी-बस संघर्ष जारी रखो। 1990 के दशक में उचकुंधी में 10 बिगहा जमीन कब्जा की गयी। उस पर लला झंडा गाडा गया। यह जमीन अब भी गरीबों के कब्जे में है। इसका वितरण कर दिया गय। किसी को दो कट्ठा तो किसी पांच कट्ठा कर। सभी खेती करते हैं और अपनी आजीविका चलाते हैं। आन्दोलनकारियों ने बताया कि जमीन्दार का अहरा पर कब्जा था। मछली मारने के लिए मजदूर-गरीब चढाई करने पहुंचे। लडाई मछली पर कब्जे का था। पुलिस पहुंची तो मजदूरों ने पुलिस का राइफल छिन लिया। पुलिस प्रशासन ने आग्रह किया, सशर्त राइफल लौटा दिया गया। मुकदमा नहीं किया गया। महिला, पुरुष की भीड देख पुलिस सहम गयी थी। हालांकि पुलिस ने केशो साव को पकड लिया था। जनता आक्रामक होकर पुलिस के कब्जे से उन्हें छुडा लिया। इसके बाद पुलिस ने कभी भी गरीबों को मछली मारने से रोका नहीं, तंग भी करना छोड दी।    

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