Thursday 8 May 2014

कई पुस्तकों के लेखक थे अनीसे बेकशां



                              फोटो- अनीसे बेकशां एवं अन्य का मजार 
साहित्य के अलावा हिकमत पर भी लिखी थी किताबें

 पुरानी शहर में खानकाह आलिया कादरिया अब्दालिया के तत्वावधान में हजरत सैय्यद शाह अनीस अहमद कादरी का 71 वां उर्स मनाया गया। उनको अनीसे बेकशां के नाम से भी जाना जाता है। इन्होंने कई पुस्तकें लिखी हैं। इनके वंशज सबा कादरी ने बताया कि फारसी और उर्दू में हेयात सैयदना, अजकारे तैयबा, अनीसुलकलुब, कलाम ए रब्बानी, सफीन-ए-हयात, कशकोल, दिवाने अनीस नाम से किताबें लिखी हैं। इसके अलावा हिकमत यानी आयूर्वेद पर भी किताब लिखी। कई नुस्खे इजाद किया जिसे लाहौर के रिसाले अलहकीम एवं अल अतबा में प्रकाशित हुए हैं। पटना हाई कोर्ट के सेवानिवृत जज एवं बीपीएससी के सदस्य रहे सैयद बहाउद्दीन ने अपनी किताब गुलस्ताने हजार रंग में भी अनीस के शेर शामिल किए थे। जिस पर शिक्षा मंत्री अब्दुल कलाम आजाद ने प्रशंसा किया था। सबा ने बताया कि 847 हिजरी में सैयदना अमझरी बगदाद से भारत आये। ये सूफी संत थे। सिलसिला कादरिया का प्रचार भी किया। इनके खानदान में ही हिजरी 1300 में चार रज्जब को अनीस अहमद कादरी का जन्म हुआ। बडे होने पर अपने पिता और चाचा से तथा अमझर शरीफ में मदरसा कादरिया में सैयद शाह इसा कादरी से शिक्षा ग्रहण किया। हिकमत की शिक्षा दिल्ली जाकर हकीम अजमल खान से ली। शिक्षा पुरी करने के बाद खनकाह आए और तत्कालीन सज्जादानशीं गुलाम नजफ कादरी से मुरीद होकर खलिफा बन गए। नजफ कादरी के निधन के बाद खुद अनीस कादरी खनकाह के सज्जादानशीं हो गए। पुरी जिम्मेदारी से इस कार्य को निभाया। अपनी हिकमतगीरी से जनता को फायदा पहुंचाया। 63 साल की उम्र में चार रज्जब हिजरी 1364 को उनका इंतकाल हो गया। इस खानकाह के सज्जादानशीं  सज्जाद अहमद कादरी लोगों को अध्यात्मिक शिक्षा दे रहे हैं। मकसद है लोगों तक इंसानियत का पैगाम पहुंचाना। जहां तक और जब तक पहुंचे।


No comments:

Post a Comment