Sunday 11 May 2014

साइस से फरिस्ता बन गए घोडेशाह बाबा



फोटो-घोडेशाह बाबा का मजार
थाना परिसर में है इनका मजार
हिन्दु-मुस्लिम सभी हैं बाबा के मुरीद

यहां के दिलो-जीगर में बसे हजरत इसमाइल शाह उर्फ सैय्यदना घोड़े शाह बाबा का दाऊदनगर थाना परिसर में मजार है। गुलाम भारत में जब थानेदार,दारोगा, सिपाही इस क्षेत्र का दौरा करने आते थे तो उन्हे घोड़ा दिया जाता था। इन घोड़ों की हिफाजत के लिए यहाँ घोड़े शाह साइस के पद पर नाफीज थे। साइसी के बाद जो वक्त बचता था उसका इस्तेमाल वे इबादत-रेयादत में करते थे। इनकी मृत्यु के बाद थाना परिसर में उनकी याद में एक मजार बनाया गया। इसी थाना में दारोगा अब्दुल अजीज एक बार थानेदार के पद पर पदस्थापित हुए। एक बार वे प्रशासनिक कार्य से जरूरी कागजात लेकर कहीं जा रहे थे। इनका कागज खो गया। किसी ने सलाह दी की वे इस मजार पर फतेहा कर अपनी मुराद रखें। उन्होंने वैसा ही किया। शाम के वक्त कोई अजनबी शख्स आकर उनका खोया हुआ कागज वापस कर दिया। अब्दुल अजीज ने चादरपोशी की और कव्वाली का आयोजन किया। यह दस रज्जब को हुआ था इसलिए हर साल इस तारिख को प्रशासन द्वारा यहाँ चादरपोशी एवं कव्वाली का आयोजन कराया जाने लगा। यह परंपरा बन गई। यहां इस दिन डीएम, एसपी समेत तमाम आला अधिकारी आते रहे हैं। इनको मामने वालों में हिन्दु भी शामिल हैं। कई हिन्दु ऐसे हैं जो रोजाना इस मजार पर अगरबत्ती जलाकर अपनी दुआ मांगते हैं। बिना ऐसा किए वे रोजमर्रे का काम भी शुरु नहीं करते। डीएवी के प्राचार्य डा.आरके दूबे इनको मानने वालों में एक बडा नाम है। वे प्राय: यहां आकर शिष नवा जाते हैं। स्कूल में होने वाले हर कार्यक्रम में वे पहला आमंत्रण पत्र घोडेशाह बाबा को देना नहीं भूलते। इसके बाद ही किसी को वे न्योता देते हैं।


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