Tuesday 27 June 2017

कैसे हो पढाई: 900 बच्चों के लिए मात्र आठ कमरे


फोटो-जिला में नौवां स्थान लाने वाला नीरज अपनी माँ के साथ
कक्षा नौवीं व दसवीं में है 13 सेक्शन


प्रति कमरा 70 विद्यार्थी एक 
सेक्शन

उपेन्द्र कश्यप


राष्ट्रीय इंटर स्कूल एक बार फिर चर्चा में है| यहाँ के विद्यार्थी नीरज कुमार ने 433 अंक लाकर  जिला में नौवां स्थान प्राप्त किया है| उसके पिता  रामराज शर्मा मजदूर हैं| वह जिनोरिया में रह कर कोचिंग किया और यह मुकाम हासिल किया| इस स्कूल की स्थिति भी ज़रा जानिए| सूत्रों के अनुसार यहाँ करीब नौ सौ बच्चे नामांकित हैं| मात्र आठ कमरा है यहाँ| प्रति कमरा 70 बच्चों का औसत आता है जो नियमों का खुला उलंघन है| अधिकतम 40 बच्चे होने चाहिए वैसे नियमत: औसतन तीस बच्चे पर एक कमरा व एक शिक्षक होना चाहिए| शिक्षकों की संख्या 12 है अर्थात शिक्षक-छात्र औसत भी नियमानुकूल नहीं है| इसके लिए किसी प्रधानाध्यापक को कैसे जिम्मेदार ठहराया जा सकता है| यह स्थिति तो किसी प्रधानाध्यापक के लिए ही चुनौतीपूर्ण है कि वह क्लास कैसे मैनेज करेगा? आप समझ सकते हैं कि यहाँ नौवीं में सात और दसवीं में छ: सेक्शन है| अब तेरह सेक्शन और कमरा आठ| कितना चुनौतीपूर्ण है स्कूल चलान? बताया गया कि संस्कृत में कोइ शिक्षक नहीं हैं| अंगरेजी व विज्ञान में मात्र एक-एक शिक्षक और गणित के दो शिक्षक कार्यरत हैं| बताया गया कि कुल 489 परीक्षार्थियों में से 301 पास और 188 फेल हुए हैं| इस स्कूल की व्यवस्था बदलने की चुनौती है और सरकारी महकमा आँख कान बंद कर चुका है|

16 साल से संस्कृत के शिक्षक नहीं
बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की व्यवस्था के अनुसार यदि कोई परीक्षार्थी संस्कृत विषय में फेल हो जाए और अन्य सभी विषयों में 100 फिसदी अंक भी प्राप्त कर ले तो वह मैट्रिक की परीक्षा में फेल हो जाएगा। रास्ट्रीय इंटर स्कूल में संस्कृत का शिक्षक गत सोलह साल से नहीं हैं। सेवानिवृत प्रभारी प्रधानाध्यापक कृष्ण कुमार सिंह ने बताया था कि कई बार विभाग ने रिक्तियों की सूची मांगी किंतु शिक्षक नहीं मिले। हर बार भेजी गयी सूची ही भूल जाती रही। जरा सोचिए कि जब संस्कृत के शिक्षक ही नहीं हैं, पढाई ही नहीं होती है तो फिर यहां के छात्र परीक्षा में पास कैसे करते हैं? इसका जवाब किसी के पास नहीं है क्योंकि मामला ओपेन सिक्रेट है।   

1953 का राष्ट्रीय हाई स्कूल

शहर में राष्ट्रीय मध्य विद्यालय खोले जाने के बाद राष्ट्रीय उच्च विद्यालय खोलने का सपना देखा गया। जुलाई 1953 में इसका प्रारंभ चुडी बाजार में कबीर मियां (मो.अकबीरुद्दीन अंसारी) की बाडी में किराया पर किया गया। बाद में अंकोढा और पिलछी के लोगों से जमीन खरीद कर वर्तमान राष्ट्रीय इंटर स्कूल के भवन की बुनियाद रखी गई। 01 जनवरी 1961 माघ शुक्ल पंचमी को भुतपूर्व विधायक रामनरेश सिंह (अब स्वर्गीय) ने शिलान्यास किया। इस विद्यालय के भवन में लगे शिलापट्ट इसकी गवाही देते हैं कि जुलाई 1953 में तत्कालीन विधायक राम नरेश सिंह व पदारथ सिंह, हजारी लाल गुप्ता और रामकेवल सिंह ने इसकी स्थापना की थी|   




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