Wednesday 27 August 2014

ज्ञान को चुनौती देते हैं ओझा!


शिक्षिका का उतारा गया विष 
दूर से यहां आते हैं ग्रामीण
झाड़ फूंक के बाद अंग्रेजी दवा की मनाही
 दाउदनगर (औरंगाबाद)  यह तस्वीर विज्ञान के इस युग में अंधविश्वास का एक रूप दिखाता है। पहली तस्वीर और चौंकाती है, क्योंकि जिस स्त्री की पीठ पर ओझा थाली सटाए हुए है वह मालती सिन्हा हैं। मालती राजकीय कृत हरवंश हाई स्कूल गोरडीहां की प्रभारी प्रधानाध्यापिका हैं। पढ़ी लिखी नौकरी पेशा संभ्रांत परिवार। सहसा यह जान कर भरोसे को झटका लगा। मगर सच आंखों के सामने था। उनके पति अनिल सिंह भी साथ हैं और बताते हैं कि दो घंटे में सर्प का विष बुधन बिगहा गांव निवासी चंद्रदेव सिंह ने झाड़ से उतार दिया। मालती बताती हैं कि स्कूल परिसर में जहरीले करैत ने काटा था। पूरा बदन अकड़ रहा था। अब राहत है। तभी दूसरे शहर में पढ़ रहे पुत्र ने मोबाइल पर चिंता जाहिर करते हुए चिकित्सक से दिखाने का सलाह दिया। श्री सिंह ने कहा नहीं, ऐसा मत करिएगा। शरीर से विष पूरी तरह निकाला जा चुका है। अगर डाक्टर विष मारने के लिए दवा दिया तो परिणाम बुरा हो सकता है।पति बोले- बेटे को बोल देंगे कि डाक्टर से दिखा लिया है।यह है आधुनिक भारत, अंध विश्वास से लड़ते हिंदुस्तान की तस्वीर। युवा पीढ़ि के बदलाव की इच्छा भी परंपरावादी मानसिकता के आगे दम तोड़ देती है। दूसरी तस्वीर में दिख रहे हैं-उब के रामपुर से आई उषा देवी। इन्हें बिछउत ने पंद्रह दिन पूर्व काट लिया था। शरीर में पूरा बेचैनी थी। गर्मी से आग की तरह बदन जल रहा था। लगातार पंद्रह दिन उनके बदन से विष उतारा गया। बताया कि अगर विष नहीं उतरता तो पूरे शरीर में फोड़ा निकल जाता। नीमा के रामदेव सिंह को बहिरा सांप ने काटा था। ओझा चंद्रदेव सिंह ने बताया कि बहिरा सांप काटने पर पंद्रह दिन रोजाना दो दो घंटे विष उतारना पड़ता है। गेहूंमन और करैत के काटने पर दो घंटा में पीड़ित के शरीर से सारा विष उतर जाता है। अब इसे क्या कहा जाए चमत्कार, अंधविश्वास या फिर विज्ञान से होड़ लेता जादू टोना।शिक्षक एवं ग्रामीणों का विष उतारते ओझाजागरण

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