Sunday 3 August 2014

अनोखी शिल्प रचना है बाबा हेमनाथ मंदिर की


: दाउदनगर गया पथ में भखरुआं से करीब नौ किलोमीटर दूर सिहाड़ी में अनोखा मंदिर है बाबा हेमनाथ का। मंदिर करीब दो सौ साल पहले उस समय के जमींदार रघुनाथ सहाय ने अपनी जमीन में बनवाया था। इसके साथ ही बड़े बड़े कमरों वाली धर्मशाला और पानी पीने के लिए एक कुआं भी है। इसके लिए तब 45 बिगहा कृषि योग्य भूमि सुरक्षित रखी गई थी जो अब अतिक्रमित होकर मात्र 15 बिगहा बच गई है। अब और कम हो गई है। मंदिर भव्य नहीं है मगर अनोखा है। पूरा मंदिर टुकड़ों में है। मंदिर में शिल्प कला की बेहतर रचना है। शिल्प कला अयोध्या का प्रस्तावित राम मंदिर की तरह है। बिना गारा और सीमेंट का बना है। दो सौ साल पूर्व इस तरह के निर्माण की कल्पना थोड़ा मुश्किल लगता है। बनावट ऐसी की मंदिर आप खोल सकते हैं। दूसरी जगह ले जाकर पुन: खड़ा कर सकते हैं। मंदिर के पुजारी श्यामनंदन कुमार गिरी ने बताया कि मंदिर और धर्मशाला के लिए मात्र 13 डिसमिल जमीन बची हुई है। 1बताया कि धर्मशाला की छत पर इस उद्देश्य से निर्माण और मरम्मत का कार्य करा रहा था कि धर्मशाला सुरक्षित रहे। मगर विरोध के कारण उसे स्थगित करना पड़ा। इसे उद्धार की जरुरत है। महाशिवरात्रि में खासा भीड़ लगता है। कार्यक्रम होता है। फतेपुर सिहाड़ी के सुरेश पांडेय बताते हैं कि एक परिवार विशेष के कारण यहां स्थिति तनावपूर्ण बन जाती है। करीब पांच साल पूर्व कुंआ की उड़ाही की गई थी तब काफी मात्र में पशुओं की हड्डियां निकली थी। तनाव उपजा लेकिन सहिष्णु समाज ने इसे निपटा दिया। मंदिर को अतिक्रमण मुक्त और उद्धार कराने की जरूरत है। यह पर्यटन का केन्द्र बन सकता है क्योंकि इस तरह का मंदिर इलाके में नहीं है।

1 comment:

  1. बहुत अच्छी जानकारी है

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