Thursday 16 August 2018

प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने बच्चों से पूछा-पीएम बनोगे? जवाब मिला-नहीं

पीएम ने कुर्सी की ओर इशारा कर पूछा-यहां आना चाहोगे? बच्चे बोले-नहीं। क्यों? जवाब मिला-अच्छे लोग राजनीति में नहीं आते।

फोटो-प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ विवेकानंद स्कूल के बच्चे निदेशक डॉ. शम्भू शरण सिंह के साथ

संसद पर हमले के बाद पहुंची बच्चों की पहली टीम से पूछा था अटल जी ने प्रश्न

दो समूह में विवेकानन्द मिशन स्कूल के मिले थे 28 बच्चे

उपेंद्र कश्यप । डेहरी
जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे, तब वे अपने कक्ष में बच्चों के जवाब से चौंक गए थे। गजब का जवाब उनको बच्चों ने दिया था। ये बच्चे तब कक्षा 8, 9 या 10 में पढ़ते थे। अब सभी 28 बच्चे बड़े हो गए हैं, और विभिन्न क्षेत्रों में देश की सेवा कर रहे हैं। तब का एक वाकया संभव है उनको काफी समय तक स्मरण में रहा हो।
संसद पर हमले (13 दिसंबर 2001) के बाद दाउदनगर के विवेकानंद स्कूल ऑफ एजुकेशन की टोली लेकर निदेशक सह डालमियानगर महिला कॉलेज के इतिहास विभाग के प्रोफेसर (डॉ.) शम्भू शरण सिंह, मनोविज्ञान के प्रो.जयराम सिंह दिल्ली लोकसभा और राज्यसभा की कार्रवाई देखने गए थे। जिनके साथ उपेंद्र कश्यप, अशोक कुमार सिंह, प्रभात मिश्रा, विमल कुमार भी थे। डॉ.शम्भू शरण सिंह ने बताया-यादों में अब भी हैं वे पल। हम सब लोकसभा की कार्यवाही देख रहे थे। उसी वक़्त प्रधानमंत्री के कक्ष  से बुलावा आया और हुई एक अद्भुत विलक्षण व्यक्तित्व वाजपेयी जी से मुलाक़ात। गौरवपूर्ण पल। सबको प्रधानमंत्री कक्ष में ले जाया गया। ऑफर किया-बैठिये। खड़े होकर अपनी कुर्सी की ओर इशारा करते हुए पूछा-इस कुर्सी पर आना/ बैठना चाहोगे? बच्चे का जवाब था-नहीं सर। प्रति प्रश्न हुआ-क्यों? बच्चा तो जी बच्चा होता है। झेंप जरूर गया, किन्तु उत्तर के साथ-अच्छे लोग राजनीति में नहीं आते।

वाजपेयी के संवादों से प्रेरित होकर बने सफल बच्चों के अनुभव, उनकी ज़ुबानी:-

प्रधानमंत्री श्री वाजपेयी के साथ मिले-संवाद किये छः बच्चों के अनुभव -जो जब बच्चे थे, तब प्रधानमंत्री कक्ष में जाकर अटल बिहारी वाजपेयी जी से मिले थे। उनसे संवाद हुआ था, इनका। इसके बाद वे बड़े सफल हुए।

उनके कहे वाक्य से मिलती है प्रेरणा-शिव शंकर
कोल इंडिया लिमिटेड के एमटी शिवशंकर ने कहा- जब प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने पूछा कि संसद आना पसंद करोगे? हंगामा देखने के बाद चूंकि छवि खराब बन गयी थी, तो हमने कहा-नहीं। इसके बाद उन्होंने कहा कि -'देश को बेहतर बनाने में आप सबकी भागीदारी महत्वपूर्ण है। हम ये भागीदारी हमें दिए हुए कार्य को ईमानदारी पूर्वक करके निभा सकते हैं।'
उनकी यह पंक्ति मेरी जिंदगी का मूलमंत्र बन गया। इससे दिए गए काम को करने के प्रति उत्साह बनाये रखता है। ईमानदार बनाये रखता है। काम छोटा हो या बड़ा, उस काम को ईमानदारी से निभाना ही सच्ची देश सेवा है।

सर ने ठहाका लगा कर चिंता व्यक्त किया:-धीरज कुमार

एकेडेमिया सोलुशन प्रा.लि. के मैनेजर धीरज कुमार ने कहा कि वाजपेयी जी के शाँत स्वभाव और सादगी से हम प्रभावित हुए थे। रुक रुक कर बात करने का अंदाज बताता है कि वो एक सुलझे हुए इंसान थे। सहपाठी द्वारा राजनीति में नहीं आने की बात सुन कर जोर से ठहाका लगाया और फिर चिंतित हो कर बोले कि- 'हमारी युवा पीढ़ी राजनीति को इतना बुरा मानती है कि वो राजनीति में आना पसंद नहीं करती। यह चिंता का विषय है औऱ हमें मंथन करने पे मजबूर करती है।' दो शब्द-
बिछड़े कुछ इस अदा से कि रुत ही बदल गई।
इक शख़्स सारे देश को वीरान कर गए।।

उनके ठहाके से मन की घबराहट खत्म हो गयी:-सीतेश वत्स

अग्रसेन मेडिकल कॉलेज हिसार में एमबीबीएस, एमएस डॉ.सीतेश वत्स ने कहा कि अटल जी से मिलना एक अदभुत क्षण था। एक बड़े व्यक्तित्व से मिलने की ख़ुशी भी थी और मन में कुछ घबराहट भी था। उनसे बातचीत के दौरान उनकी हँसी और ठहाकों ने सारा माहौल हल्का कर दिया। मन शांत हो गया। इतने सहजता से वे मिले थे। वह पल आज भी याद है। उनकी कविता की ये पंक्ति "क्या हार में क्या जीत में किंतित नहीं भयभीत मैं" अपने आप में उनके व्यक्तित्व की सारी कहानी कहती है। उनकी कविताएं और उनके शब्द हमारे लिए प्रेरणा के स्रोत रहेंगें।

उनके पथ चलने का लिया संकल्प:-अवनीश कुमार
यूके इंडस्ट्रीज फरीदाबाद में क्यू ए इंजीनियर सह इनकमिंग क्वालिटी हेड अवनीश कुमार ने कहा कि उनसे मिलने के बाद सोच और विकसित हुआ। बालमन था। हमने उनके पथ चलने का संकल्प लिया। आज उनकी प्रेरणा से ही सफल हुए हैं। जब मिले थे तब सिर्फ हम सब एक प्रधानमंत्री के रूप में उन्हें जानते थे। उनके प्रतिभा और उनके व्यक्तित्व से हम सब अनभिज्ञ थे। मिलने के बाद हम सब ने उन्हें अलग अलग माध्यम से जाना। किसी भी व्यक्ति के सामान्य जीवन को प्रेरणास्रोत बनाने का वे ज्वलंत उदाहरण हैं। वे अभिभावक होने के साथ साथ हम सब के आदर्श भी है। उनके पथचिन्हों पर अपनी जिंदगी की गाड़ी दौड़े ये हमारा संकल्प है।

क्षितिज सा अनन्त और समुद्र से शांत थे अटल:-प्रो.मुरारी
आकाश एजुकेशन सर्विस लि. पटना के वनस्पति विज्ञान के लेक्चरर और डेहरी निवासी मुरारी सिंह ने कहा कि-
एक हंसी अभी भी मेरे ज़ेहन में गूंजती है...हाँ.... एक खुले दिल से तब के माननीय प्रधानमंत्री अटल जी की हँसी। क्षितिज के भाँति अनंत... समुद्र के भांति शांत..गंगा की तरह पवित्र। फिर भी अत्यंत ही सरल, प्रेरणादायी..... हाँ ऐसे थे अपने पूर्व प्रधानमंत्री माननीय अटल बिहारी वाजपेयी जी।

120 सेकेंड वाजपेयी के साथ:-आलोक सिंह
अर्जेंटीना में मेडिटरेनीयन शिपिंग कंपनी(MSC) में सीनियर मरीन इंजीनियर के पद पर कार्यरत आलोक सिंह कहते हैं-
भारतवर्ष के प्रधानमंत्री होकर भी बच्चों से यूं संजीदगी से मिलना और बातें करना, घुटनों के हालिया ऑपरेशन के दर्द के बावजूद, प्रोटोकॉल से हटकर खुद खड़े हो हम बच्चों के साथ फोटो के लिए खड़े हो जाना, हमसे हमारे दिल्ली भ्रमण के बारे में पूछना, वाजपेयी जी के व्यक्तित्व की सरलता और गहराई हम सब के लिए आदर्श हैं। उनकी सादगी और मृदुल स्वभाव को मैं अपने जीवन में उतारना चाहता रहा। उस 120 सेकेंड की मुलाकात ने मेरे चरित्र को सुदृढ करने के लिए 120 वर्षों का 'जीवनवायु' दिया था।

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