Sunday 9 April 2017

..पैसे से भरता है पेट, किंतु भूख है कि जाती नहीं

बेटे ने सवाल किया-पापा हम खाना क्यों खाते हैं? जबाब मिला-पेट भरने के लिए| फिर पूछा –दाल, भात, रोटी से ही पेट क्यों भरता है? खाने को तो कुछ भी खाया जा सकता है? हम परिश्रम करेंगे और समान लाकर बनायेंगे तब खायेंगे| पापा इससे बेहतर आइडिया तो मेरे पास है| पिता चौंका! क्या आइडिया है? सब चीज तो हम खरीदते ही हैं तो क्यों नही पैसे ही खा लें? पेट भी भर जाएगा और परिश्रम भी नहीं करना पडेगा| आइडिया ने सर चकरा दिया| क्या वास्तव में गेहू से पेट भरता है? भरा जा सकता है? गेंहू से पेट भरता तो गरीब मरते क्यों? देश इतना उत्पादन तो कर ही लेता है कि हर भारतीय का पेट भरा जा सके| और घटने पर बाहर देश से मंगाने में सक्षम भी है भारत| फिर समस्या क्या है? भूखे क्यों मरते है लोग| क्या वास्तव में भूख से मौत होती भी है? जिला प्रशासन ऐसा कभी नहीं मानता| जब भी कोइ भूख से मरता है, बवाल होता है और हर भूख के पीछे बीमारी से मौत की ही रिपोर्ट आती है| सरकारी हकीकत भी यही है कि कोइ व्यक्ति भूख से नहीं मरता बल्कि मौत बीमारी से ही होती है| वह बीमारी है गरीबों के गेंहू चावल को उन तक पहुँचने नहीं देने की| खाना उपलब्ध नहीं होने के कारण आदमी भूखे रहता है| इससे वह कमजोर होता है और फिर मर जाता है| दरअसल बीच में ही सब खा जाते हैं वह भी मिल बाँट कर, क्योंकि ऐसा आदर्श रिवाज गरीब और भूखे लोग नहीं निभा सकते, ऐसे हर व्यक्ति की अपनी जरुरत पहाड़ जैसी बना दी गयी है, इसलिए ऊँचे सक्षम लोग खाने का कष्ट भी उन्हें नहीं देना चाहते| आप पांच ट्रक पकड़ लो गेंहू या पचास ट्रक, उससे क्या होगा? गेंहू का काम है पेट भरना| वह पेट ही भरेगी चाहे खड़े साबुत दाना चबाने से पेट भरे या चक्की में पिस कर आटा बन कर या बाजार में बिक कर पैसे से पेट भरे| अब तो खाद्यान से अधिक पेट पैसे से भरते हैं| हालांकि मनुष्य उस ऊँचाई तक पहुँच गया है जहां पहुँचाने के बाद पेट भरता ही नहीं है| खाद्यान तो तब भी अधिक खा लेने से अपच करा देता है किन्तु पैसे चाहे जितने खाओ, वह अपच नही होने देता| इतना स्वास्थ्य अनुकूल और सुपाच्य है पैसा| सो, यह तय है कि गेंहू के हिस्सेदार कई साहबान हैं| सबके पेट भरेंगे ही, अन्य भूखे साहबानों के पेट भी अब भरेंगे पैसे| मील बंद होगा तो फिर गरीब ही मरेंगे| इस पैसे वाले हमाम में जितने नंगे खड़े थे सब साथ होंगे और साहबों के उपरी लेयर को बचायेंगे, छुटके के सर मुडायेंगे| देखना, बाबा पैसे से पेट भरने के दौर में गेंहू अपच करता रहेगा|

अंत में  –
अभी है चंद लोग यहाँ  जो जिंदा है जमीर से
कब तक भला ये भरम,  यूँ ही  पाला जायेगा
कब तक पेट की आग में पानी डाला जायेगा 
जाने  कब भूखों  के  मुंह,  निवाला  जायेगा ||

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