Tuesday 28 March 2017

ससमय नहीं होगा नगर परिषद् दाउदनगर का चुनाव!


नगर निकायों के साथ यहाँ चुनाव नहीं
पहले होगा परिसीमन, बढ़ेंगे कई वार्ड
तीन महीने बाद नगर परिषद का चुनाव    
बिहार में अप्रैल –मई  में होने वाले नगर निकाय चुनाव के साथ दाउदनगर में चुनाव नहीं होगा! जब भी चुनाव होगा तो नगर परिषद् का ही होगा| पटना उच्च न्यायालय के फैसले के बाद बनी संदेह की स्थिति साफ़ हो गयी है| विश्वस्त सूत्रों के अनुसार पटना में पिछले दिन राज्य निर्वाचन आयोग ने निकाय चुनाव से जुड़े प्रदेश भर के अधिकारियों के साथ बैठक की है| इसमें यह तय किया गया है कि नए नगर परिषद् बने प्रदेश के चार निकायों का चुनाव बाद में होगा| जब बिहार में निकाय चुनाव हो रहे होंगे तब इन चार निकायों में परिसीमन का काम कराया जाएगा| सूत्रों के अनुसार राज्य निर्वाचन आयोग ने साफ़ कर दिया है कि चुनाव नए परिसीमन के बाद ही होंगे| ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि निकायों के नियमित चुनाव ख़त्म होने के बाद बिहार में दाउदनगर समेत चार निकायों का चुनाव एक साथ होगा| इस कारण बताया जा रहा है कि करीब तीन महीने बाद यानी जुलाई-अगस्त में यहाँ चुनाव कराया जा सकता है| वार्ड बढ़ेंगे| नगर पंचायत के 132 साल के इतिहास में वह समय अति महत्वपूर्ण होगा, जब नगर परिषद् का चुनाव होगा| सबकी आकांक्षा थी कि नगर परिषद यह बने| शहर की निगाह राज्य निर्वाचन आयोग के फैसले का प्रतिक्षु बना हुआ है|    

132 साल की यात्रा में महत्वपूर्ण घटनाक्रम 

साल 1885 में क़स्बा दाउदनगर नगरपालिका बना| तब से लगातार साल 1983 तक चुनाव होते रहे| इसके बाद बिहार में निकाय चुनाव नहीं हुए| काफी समय के अंतराल के बाद साल 2002 में पुन: चुनाव हुए और यहाँ नगर पंचायत का चुनाव हुआ| इसके बाद चुनाव होने शुरू हुए| स्थानीय शहरी नगरपालिका से नगर पंचायत बनाए जाने को अवनति मानते रहे| उम्मीद जब ख़त्म होती दिखी तो वार्ड पार्षद रामौतार चौधरी उच्च न्यायालय में इस सबंध में याचिका लेकर गए| हालांकि इनके पीछे कई लोग खड़े हुए| गत 18 मार्च 2017 को न्यायालय ने आदेश दिया कि जब भी चुनाव होगा तो नगर परिषद् का ही होगा| अब यह प्रतीक्षा समाप्त होती दिख रही है|

वार्ड गठन को ले अभी कोइ निर्देश नहीं
नगर परिषद के लिए कितने वार्ड गठित होने हैं, इसके लिए अभी राज्य निर्वाचन आयोग से कोइ निर्देश नगर पंचायत या संबंधित निर्वाचन अधिकारियों को नहीं मिला है| वैसे चालीस हजार की आबादी पर नगर परिषद् के लिए 25 वार्ड होना होता है| इसके बाद हर पांच हजार की आबादी पर एक अतिरिक्त वार्ड होगा| ऐसे में जब शहर की आबादी 52340 है तो न्यूनतम 25 और अधिक आबादी के लिए न्यूनतम दो या तीन वार्ड का गठन हो सकता है| संभव है कि कुल 27 या 28 वार्ड हो|

वार्डों के बीच काफी असमान आबादी
वार्डों का यहाँ गठन बेतरतीब ढंग से किया गया था| शहर की कुल जनसंख्या 52364 है| इसमें अनुसूचित जाति की संख्या 6717 है| कुल मात्र 40 अनुसूचित जनजाति की संख्या है जबकि अन्य जातियों की मिश्रित आबादी कुल 45607 है| एक दूसरे वार्ड के बीच आबादी में काफी अंतर है| वार्ड एक में जहां मात्र 1065 की आबादी है| वहीं वार्ड संख्या सोलह की आबादी 4009 है| नए परिसीमन में इस असमानता का भे एख्याला रखना अपेक्षित होगा| हर वार्ड की जनसंख्या का विवरण निम्नवत है----
वार्ड संख्या-कुल जनसंख्या
एक 1065
दो 2234
तीन 2471
चार 1075
पांच 2001
छ: 2267
सात 1764
आठ 2280
नौ 2428
दस 1344
ग्यारह1584
बारह 2148
तेरह 1396
चौदह 3160
पंद्रह 3132
सोलह 4009
सतरह 2570
अठारह 1691
उन्नीस 2823
बीस 2479
इक्कीस 2888
बाईस 2104
तेईस 3451

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