Sunday 5 March 2017

आजादी, आजादी, हाय आजादी क्या चाहिए आजादी या मुक्ति?

बड़ी शोर है बाबा|  आजादी, आजादी| ले के रहेंगे आजादी| सुनते सुनते यह भ्रम होने लगा है कि हम भारत में है, जो 1947 में आजाद हो गया था, या फिर अभी भी गुलाम है? सवाल भीतर तक बेध रहा है कि आजादी के मायने बदल गए या गुलामी के अर्थ? हम किसके खिलाफ नारे लगा रहे हैं और किससे आजादी चाह रहे हैं? जब बड़े बड़े सुरमा भोपाली भी नारा बुलंद करने वालों के महफ़िल में नाचने पहुँच जाते हैं तो भ्रम और घना हो जाता है| समझ में नही आता कि हम इसको कैसे लें? हर गरीब चाहता है कि उसको कठिन परिश्रम से आजादी मिले| हर व्यक्ति जब किसी सरकारी कार्यालय में काम के लिए पहुंचता है तो काम बिना रिश्वत हो यही चाहता है| उसकी यह चाहना 70 साल में पूरी नहीं हुई| वह बेचारा आजादी चाहता है भ्रष्टाचार से, रिश्वतखोरी से, भूख से और गुंडा नेताओं के गुंडई से, दबंगई से? कहाँ मिल सकी इस सबसे भला आजादी? आजादी तो हम इससे भी चाहते हैं कि बीच सफ़र में घंटों ट्रेन की प्रतीक्षा न करनी पड़े| आजादी हर परेशानी से चाहती है आबादी| मगर यह मुआ आजादी कहीं मिला ही नही रही है| क्या आपको मिली है कहीं? किसी मोड़ पर, किसी चौराहे पर, किसी दूकान पर सौरी राजनीति की दूकान पर, कही मिली है तो बताइए और नहीं तो जब मिल जायेगी आजादी तो बताइयेगा| आपकी प्रतीक्षा और करूंगा| अभी तो सत्तर साल ही आयु हुई है हमारी| भारतीय मैथोलोजी में यह उम्र वृद्धाश्रम का है| स्वर्गारोहण का है| इसी लिए मुक्ति की कल्पना की गयी है| इस उम्र के बाद मुक्ति मिलने की चाहना होती है| मुक्ति समस्या से नहीं हर समस्या से, सदा के लिए| मोह- माया, लोभ-लाभ से मुक्ति की कामना अब है| स्वतंत्रता के बाद जिस तरह आजादी के नारे इस बुढ़ाते भारत में लग रहे है, जब कि आबादी जवान है, अब लगता है, स्वतंत्रता मिले न मिले मुक्ति मिल जायेगी| भारत से, उसके शरीर से, उसके भूगोल से, उसकी आत्मा से| आखिर मृतात्मा ही डायन बनती है, और भारत माता तो डायन ही बतायी जा रही है| इंतज़ार करीए, समय आने वाला है जब सबको मुक्ति मिल जायेगी| तब न भारत होगा न भारतीयता होगी, न भारतीय होंगे, सब मुक्त होंगे| इस भारतीयता धूरी कौन है? आप समझिए, अन्यथा चरित्र बदलते ही आजादी के नारे लगाने लायक भी आजाद नहीं रह सकिएगा|

   

और अंत में ----
ये नफरत बुरी है , न पनपने दे इसे
दिलो में बैर है , तो मिटा दो इसे|
न तेरा ,न मेरा ,न इसका , न उसका
यह सब का वतन है , यह सब का आँगन है|

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