Sunday 23 April 2017

चाचु, भैया, आओ चलें दहेज़ रहित विवाह समारोह घुम आयें


बड़े साहब ने कहा है कि जिस विवाह में दहेज़ लिया-दिया जा रहा हो, उसमें शामिल न हों| हमरा प्रदेश में तो पहिले से ही शराबबंदी है तो शादी समारोह सादा होने लगा है| नागिन डांस अब नहीं दिखता| इसके कारण मजा ही नहीं आता| कभी कभी डीजे बंद से परेशानी होती है| नोटबंदी ने अलग से रौनक छीन रखी है| अब साहब ने ऐलान किया है कि दहेज वाले शादी के समारोह में न जाएँ| दहेज़ ऐसा पाप है ही| जब उनको कई बार पढ़ा तो याद आ गए महावीर प्रसाद मधुप| उन्होंने लिखा है-
क्रूर आज बनकर मानव ने मानवता को किया विकल।
इस दहेज के दानव ने सारे समाज को दिया कुचल।।
जिस गृहस्थ-आश्रम की गरिमा को वेदों ने गाया है|
संयम, नियम, साधना का सन्मार्ग जिसे बतलाया है|
उस पावन थल को दहेज ने बना दिया है वधशाला|
होली सब आदर्शों की घर-घर में आज रही है जल।
इस दहेज के दानव ने सारे समाज को दिया है कुचल।।
अब तो दहेज़ का दानव इस वर्णन से भी विशाल हो गया है| खराब हो गया है| मुझे लगा कि शहर में लगन के समय खूब शादियाँ हो रहीं है, तो क्यों न कुछ समारोह घूम आयें| घुमने निकला तो याद आया अपनी जवानी से पहले के दिन| कैसे विवाह नहीं हो रहा था तो मित्रमंडली में चर्चा करते थे- यार इस बार लड़की की शादी अधिक हुई कि, लडके की? आज फिर उसी तरह बड़े नेता जी के प्रवचन के बाद से उलझ गया हूँ| यह कैसे तय करें की किस दुल्हे के बाप ने शादी में तिलक ली या तिलक नहीं ली? यह कैसे तय करें कि किसे बेटी के बाप ने तिलक दिया या नहीं दिया? मित्र ने सुझाया कि जहां खूब खर्च होता दिखे समझ लेना तिलक लेन देन हुआ है| जहां कम खर्च होता दिखे, सुविधाएं कम दिखे समझ लें कि तिलक रहित विवाह है| दूसरे मित्र ने बोला- यह कैसे तय होगा कि जो अमीर है वह अधिक खर्च कर रहा होगा, जो गरीब है वह कम खर्च कर रहा होगा| इससे तो यह स्पष्ट नहीं होगा कि उपलब्ध सुविधा या फोकस तिलक से प्रभावित है| पैसे जिसके पासा जितने हैं उस मुताबिक़ खर्च करता है| कदम लडखडाये| बिना पैक मारे ही दिमाग को झटका लगा| बात तो सही है| गरीब आदमी कम खर्च करेगा और अमीर अधिक| किसी कार्ड पर यह नहीं लिखा होता है कि शादी में तिलक लिया गया है या नहीं| आम जन के लिए यह तय करना मुश्किल है|
और अंत में------
 सामूहिक रणनीति बनी कि हम अपने सबसे बड़े वाले मुखिया को पत्र लिखे और मांग करें कि-हर शादी कार्ड पर यह घोषणा करना अनिवार्य बना दें कि शादी में दहेज़ लिया गया है या नहीं| मित्र बोला-तब तो हर कार्ड पर लिखा होगा-दहेज़ रहित शादी| अरे यार, यह सरकार समझे-हम तो फंसने से बच जायेंगे| सरकार किस रास्ते जा रही है ????


1 comment:

  1. आपके जवानी से पहले की मित्रमंडली में चर्चा काफी रोचक थी। क्षेत्रीय दृष्टिकोण से न देखें तो शादीयां सामान्यत: लड़के और लड़कियां की बराबर ही हुई होगी। :-)

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