Sunday 31 January 2021

पूर्व में आया है 04 बार अविश्वास प्रस्ताव : रोचक राजनीति और परिणाम जानिए



बिहार में नगर निकाय का चुनाव 1983 में होने के बाद 19 साल तक नहीं हुआ था। वर्ष 2002 में जब राबड़ी देवी मुख्यमंत्री थी तो नगर निकायों का चुनाव शुरू हुआ था। तब तक दाउदनगर नगरपालिका के नाम से जाना जाता था और चुनाव के वक्त वह नगर पंचायत का नाम पाया। वर्ष 2002 से शुरू चुनावी राजनीति में शनिवार 30 जनवरी 2021 से पहले चार बार अविश्वास प्रस्ताव सदन में लाया जा चुका है। जब चुनाव हुआ तो सबसे पहले आयहां 2002 में नारायण प्रसाद तांती और रोहिणी नंदिनी क्रमश: चेयरमैन और वाइस चेयरमैन बने। तब नगर पंचायत में कुल 18 वार्ड पार्षद हुआ करते थे। अप्रैल 2005 में अविश्वास प्रस्ताव आया और नारायण प्रसाद तांती की सत्ता चली गई।  09 जून 2005 को चुनाव हुआ और सावित्री देवी चेयरमैन बन गई। तब रोहिणी नंदिनी लगातार 5 साल तक वाइस चेयरमैन की कुर्सी पर डटी रही। 09 जून 2007 को परमानंद प्रसाद चेयरमैन और अजय कुमार पांडे उर्फ सिद्धि पांडे वाइस चेयरमैन बने। जून 2009 में दोनों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित हो गया। दोनों की सत्ता चली गई लेकिन फिर दोनों क्रमशः चेयरमैन और वायस चेयरमैन बने। 21 सितंबर 2011 को इनके खिलाफ फिर अविश्वास प्रस्ताव आया। दोनों मिल गए और नतीजा परिणाम को अपने पक्ष में लाने में सफल रहे। तब अविश्वास प्रस्ताव गिर गया और दोनों की कुर्सी पूर्ववत बची रही। फिर जब चुनाव हुआ तो 9 जून 12 को धर्मेंद्र कुमार चेयरमैन और कौशलेंद्र कुमार सिंह उप मुख्य पार्षद बने। सिर्फ धर्मेंद्र के खिलाफ जून 2014 में अविश्वास प्रस्ताव आया और यह पारित हुआ। तब 27 जून 14 को परमानंद प्रसाद पुनः मुख्य पार्षद बन गए और कौशलेंद्र कुमार सिंह बिना अविश्वास प्रस्ताव का सामना किये हुए ही दोनों के साथ उप मुख्यपार्षद बने रहे। दोनों ने अपना तय कार्यकाल पूरा किया।



मात्र दो मुख्य पार्षदों को अविश्वास से पड़ा है हटना :

अविश्वास प्रस्ताव को ले कुछ रोचक किस्से 

अप्रैल 2005 में अविश्वास प्रस्ताव सिर्फ नारायण प्रसाद तांती के खिलाफ आया था जो तब चेयरमैन थे, लेकिन रोहिणी नंदनी जो वाइस चेयरमैन थी उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव नहीं आया था। अप्रैल 2005 से चेयरमैन बनी सावित्री देवी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव कभी नहीं आया। चूंकि अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए 2 वर्ष का कार्यकाल का होना जरूरी है और यह भी शर्त है कि 5 साल की कार्य अवधि पूरी होने के 6 माह पहले तक अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है, 06 माह अवधि शेष रहने पर नहीं। इन दोनों शर्तों के कारण सावित्री देवी अविश्वास प्रस्ताव की राजनीति से बची रही। नारायण प्रसाद तांती के समय वाइस चेयरमैन रोहिणी नंदिनी को कभी अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना ही नहीं पड़ा। वह श्री तांती के साथ सावित्री देवी के समय भी उप मुख्य पार्षद बनी रही। दो बार अविश्वास प्रस्ताव झेल चुके परमानंद प्रसाद और अजय कुमार पांडे उर्फ सिद्धि पांडे से जुड़ी घटनाएं सबसे रोचक रही हैं। दोनों के बीच टकराव भी रहा और दोनों अविश्वास प्रस्ताव की राजनीति में विजेता बनकर उभरते रहे। नारायण प्रसाद तांती के अलावा सिर्फ धर्मेंद्र कुमार ही ऐसे मुख्य पार्षद रहे जो अविश्वास प्रस्ताव से हटाए गए। दो दशक की इस राजनीतिक यात्रा में इन्हीं दो को अपनी कुर्सी अविश्वास प्रस्ताव के कारण गंवानी पड़ी , वरना रोहिणी नंदिनी तथा कौशलेंद्र कुमार सिंह को अविश्वास प्रस्ताव का सामना ही नहीं करना पड़ा। अजय कुमार पांडेय ने सामना दो बार किया और और दोनों बार विजेता बनकर निकले।



01 बनाम 04 के समर्थन की खूब चर्चा

30 जनवरी 21 को आये अविश्वास प्रस्ताव में एक रोचक घटना घटी जिसकी चर्चा और व्याख्या लोग अपने अपने तरीके से कर रहे हैं। मुख्य पार्षद को एक यानी सिर्फ स्वयं का तो उप मुख्य पार्षद को कुल 04 वार्ड पार्षदों का समर्थन मिला। यह बहुत कुछ कहता है। माना जा रहा है कि अंदरखाने भी आपस में असंतोष हो सकता है। लोग इसकी चर्चा चटखारे लेकर कर रहे हैं। विरोधियों या विपक्षियों का कहना है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक मत मात्र मिला। दूसरे को चार मत मिलने का मतलब है कि आपसी तनाव हो सकता है, खुद को बचाने का एक पक्ष द्वारा अधिक प्रयास किया गया होगा।



विकास जो भी हुआ वह पूर्व बोर्ड का : कौशलेंद्र 


अविश्वास प्रस्ताव लाने वाले पूर्व उप मुख्य पार्षद कौशलेंद्र कुमार सिंह ने परिणाम के बाद मीडिया से बात करते हुए कहा कि विकास कार्य में यह बोर्ड असफल रहा था। विकास कार्यों में लूट और निर्माण कार्य में गुणवत्ता की खराबी के कारण जनाक्रोश काफी था। उन्होंने कहा कि जितने विकास कार्य हो रहे हैं वह सब पूर्व के बोर्ड का की देन है। नाला, सड़क का निर्माण हो, मुख्यमंत्री निश्चय योजना के तहत कार्य हो या बिजली पानी का मामला हो, सभी पूर्व में जो बोर्ड था उसके लिए गए निर्णय के आधार पर काम हो रहे हैं।

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