Saturday 30 January 2021

किन कारणों से गिरी दाउदनगर नप की सत्ता

 


968 दिन में बाहरी व्यक्ति के हस्तक्षेप के कारण गंवानी पड़ी सत्ता 

सशक्त स्थाई समिति की राजनीति भी महत्वपूर्ण 

विकास कार्यों में मनमानी से शर्मसार हो रहे थे वार्ड पार्षद 

जन आक्रोश और जन दबाव भी सत्ता के विरुद्ध गोलबंदी का कारण 


उपेंद्र कश्यप । दाउदनगर (औरंगाबाद)

नगर परिषद की सत्ता गंवाने वाली मुख्य पार्षद सोनी देवी और उप मुख्य पार्षद पुष्पा देवी 9 जून 2018 को सत्ता हासिल करने में सफल रही थी। तमाम तरह के आरोपों, विवादों और चर्चाओं के बावजूद सत्ता चली आ रही थी। क्योंकि दो वर्ष का कानूनी लॉकिंग पीरियड रहता है। कायदे से 9 जून 2020 के बाद कभी भी अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता था। पूर्व में कौशलेंद्र कुमार सिंह द्वारा अविश्वास प्रस्ताव लाने की कोशिश भी की गई थी लेकिन सफलता नहीं मिली। अब 968 वें दिन उनको कामयाबी मिली और दोनों के हाथ से सत्ता चली गई। शहर में इस बात की चर्चा जोर शोर से है कि सत्ता गई तो क्यों गई। जबकि मुख्य पार्षद सोनी देवी के ससुर यमुना प्रसाद पूर्व में चेयरमैन रह चुके हैं और खुद बहुत ही प्रभावशाली और प्रतिष्ठित व्यक्ति माने जाते हैं। एक अधिकारी के अनुसार नगर परिषद के कर्मचारियों और तमाम वार्ड पार्षदों द्वारा उन्हें काफी मान सम्मान दिया जाता रहा और उनकी प्रतिष्ठा का ख्याल रखता हुआ हर कोई दिखता था। सवाल है कि फिर भी सत्ता क्यों चली गई। नगर परिषद परिसर में शनिवार के दिन जो चर्चा रही उसके मुताबिक इसकी सबसे बड़ी वजह बाहरी व्यक्तियों की दखल रही। बाहरी व्यक्तियों की मनमानी, रौबदार दखल, किसी भी वार्ड पार्षद को झिड़क देना, पार्षदों को कोई अपेक्षित सम्मान नहीं देना, कुछ पार्षदों के साथ अभद्रता के साथ पेश आना प्रमुख कारण बना। असंतोष की चिंगारी यहीं से राख के नीचे जमा होती गयी और अंततः विस्फोटक बन गया। नगर परिषद परिसर में हुई चर्चा के मुताबिक सशक्त स्थाई समिति के दो सदस्यों तारिक अनवर और सुमित्रा साव से मौखिक वादा किया गया था कि उन्हें ढ़ाई साल तक इस पद पर बने रहने दिया जाएगा, लेकिन करीब 2 महीना पूर्व दोनों को हटा दिया गया और इनकी जगह सीमन कुमारी और हसीना खातून को सशक्त स्थाई समिति का सदस्य बना दिया गया। महत्वपूर्ण है कि तारिक अनवर और उनकी मां शकीला बानो वार्ड पार्षद हैं। इस कारण उनकी ताकत किसी भी वार्ड पार्षद से दोगुणा है। सुमित्रा साव विपक्ष की राजनीति में उप मुख्य पार्षद संभावित है। इसलिए दोनों कौशलेंद्र सिंह के पाले में चले गए। अविश्वास प्रस्ताव पर हुआ मतदान यह बताता है कि सीमन कुमारी और हसीना खातून ने भी मुख्य पार्षद को अपना समर्थन नहीं दिया। संभव है दोनों ने उप मुख्य पार्षद को भी अपना समर्थन न दिया हो, हालांकि इसकी पुष्टि नहीं की जा सकती, क्योंकि उप मुख्य पार्षद को चार मत जबकि मुख्य पार्षद को मात्र एक मत ही प्राप्त हुआ है। कुछ पार्षदों के अनुसार विकास कार्यों में मनमानी होती थी  विभागीय कार्य में लूट मचा हुआ था। एक वार्ड पार्षद ने बजाप्ता पचाकठवा सड़क का उदाहरण दिया। काम की गुणवत्ता खराब होने के कारण जनता में आक्रोश था। एक वार्ड पार्षद का कहना था कि जिस तरह से कार्य किए जा रहे थे और सोशल मीडिया से लेकर मौखिक बातचीत में जनता जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल करती थी उससे पार्षदों को अपनी प्रतिष्ठा बचानी मुश्किल हो गई थी। संभव है यही कारण रहे हों कि मुख्य पार्षद और उप मुख्य पार्षद के विरुद्ध गोलबंदी इस हद तक हुई कि परिणाम देखकर कई तरह के सवाल उठने लगे हैं।



 दो मतपत्र अवैध का रहस्य क्या 

नगर परिषद में मुख्य पार्षद और उप मुख्य पार्षद दोनों के ही खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर हुए मतदान में 1-1 मतपत्र अवैध घोषित किए गए। यह मानना कठिन है कि यह अज्ञानता वश हुआ हो। चर्चा के अनुसार यह नफरत का परिणाम है। दोनों मतपत्र पर प्राप्त जानकारी के अनुसार अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में और विपक्ष में भी मत दिया गया, इस कारण दो मत रद्द घोषित हुआ। माना यह जा रहा है कि यह नफरत की वजह से हुआ और साथ रहते हुए भी साथ न देने का उदाहरण है।


 विकास जो भी हुआ वह पूर्व बोर्ड का : कौशलेंद्र 

अविश्वास प्रस्ताव लाने वाले पूर्व उप मुख्य पार्षद कौशलेंद्र कुमार सिंह ने परिणाम के बाद मीडिया से बात करते हुए कहा कि विकास कार्य में यह बोर्ड असफल रहा था। विकास कार्यों में लूट और निर्माण कार्य में गुणवत्ता की खराबी के कारण जनाक्रोश काफी था। उन्होंने कहा कि जितने विकास कार्य हो रहे हैं वह सब पूर्व के बोर्ड का की देन है। नाला, सड़क का निर्माण हो, मुख्यमंत्री निश्चय योजना के तहत कार्य हो या बिजली पानी का मामला हो, सभी पूर्व में जो बोर्ड था उसके लिए गए निर्णय के आधार पर काम हो रहे हैं।

No comments:

Post a Comment