Monday 4 March 2019

किशोरवय के लिए नेशनल बुक ट्रस्ट ने की "सुनो मैं समय हूँ" प्रकाशित

नेशनल बुक ट्रस्ट ने की डेहरी के लेखक की पुस्तक ‘सुनो, मैं समय हूँ’ प्रकाशित

बड़ी उपलब्धि: एनबीटी से प्रकाशित जिले के प्रथम लेखक बने

हिन्दी के बाद अग्रेजी समेत कई भाषाओं में होगी यह प्रकाशित

कृष्ण किसलय ने लिखी है-12 से 14 आयु वर्ग के लिए पुस्तक

विज्ञान पर अच्छी जानकारी देती है 172 पृष्ठ की यह किताब

व्यक्ति की जिज्ञासाओं को शांत करने वाले उत्तर मिलेगी इसमें

०उपेन्द्र कश्यप०

देश के सबसे बड़े प्रकाशक नेशनल बुक ट्रस्ट (एनबीटी) ने डेहरी के कृष्ण किसलय की पुस्तक ‘सुनो, मई समय हूँ’ को प्रकाशित किया है। यह सिर्फ रोहतास ही नहीं बल्कि एक बड़े इलाके के लिए इस सन्दर्भ में उपलब्धि है कि इस प्रकाशक द्वारा किसी दूसरे लेखक की लिखी किताब का प्रकाशन नहीं किया है। दूसरे कई लेखक जिले में ऐसे हैं जिनकी किताबों का प्रकाशन दूसरे कई प्रकाशकों द्वारा हुई है, किन्तु यह बड़े गौरव की बात है कि किसी छोटे शहर के लेखक की कोइ किताब एनबीटी प्रकाशित करे। जिले के इतिहास पर कई शोध-पुस्तक लिख चुके डॉ. श्याम सुन्दर तिवारी ने इस सन्दर्भ में कहा कि-यह गौरव की बात है। जिले में किसी दूसरे लेखक को यह सौभाग्य प्राप्त नहीं हुआ है। देश में प्रकाशन विभाग के बाद यह सबसे बड़ा प्रकाशक है। अर्ध सरकारी है और इसके द्वारा छपा जाना काफी महत्वपूर्ण उपलब्धि है। लेखक और प्रकाशक के बीच हुए एग्रीमेंट के मुताबिक़ हिन्दी में किताब अभी प्रकाशित हुई है, बाद में अग्रेजी समेत कई भाषा में प्रकाशित होगी। यह जिले के मान को विविध भाषा बोलने वालों के बीच राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करने का काम करेगी। यह पुस्तक 12-14 आयु वर्ग के किशोरवय के लिए लिखी गयी है। 172 पृष्ठ है जिसमें दो खंड हैं-ब्रह्मांड और जीवन। लेखक श्री किसलय का दावा है कि हिन्दी में वैज्ञानिक सोच विकसित करने वाली ऐसी कोइ दूसरी किताब नहीं है। ब्रह्मांड कब पैदा हुआ, और कहाँ फ़ैल रहा है, विस्तार का अंत कब होगा, ईश्वर ने सृष्टि बनायी तो ईश्वर को किसने बनाया, नियम से विकसित ब्रह्मांड में इश्वर का क्या काम? जीवन पृथ्वी पर पनपा या आकाश से टपका, क्या एलियन आदमी है, सभी जीवों में एक ही जैव पदार्थ तो पृथ्वी पर आदमी का एकक्षत्र राज्य क्यों? इन प्रश्नों का उत्तर किशोर मन को यह किताब देने की एक कोशिश है, अब इसमें सफलता कितनी मिलेगी यह वक्त तय करेगा। इस किताब के लिए दर्जनों चित्र कोलकाता के कला स्नातक अरूप गुप्ता ने बनाया है। 
ऐसे रही प्रकाशन की यात्रा:-
लेखक कृष्ण किसलय ने बताया कि एनबीटी का चयन सबसे बड़ा प्रकाशन क्षेत्र होने के कारण किया। बताया कि 09.09.2016 को पुरी पांडुलिपि प्रकाशक को भेजा। प्रक्रिया के तहत चयन हुआ और 09 मार्च 2017 को प्रकाशन के लिए स्वीकृति मिली। ट्रस्ट की मुप्रसनि नीरा जैन द्वारा एग्रीमेंट 28 अप्रैल 2017 को किया गया। इसके बाद फरवरी 2019 में किताब प्रकाशित हुई। एग्रीमेंट के मुताबिक हिंदी प्रकाशन पर 6 फीसदी और अन्य भाषाओं में 4 फीसदी रॉयल्टी मिलेगी।

छूट गए अंश का प्रकाशन लक्ष्य:-
लेखक ने बताया कि प्रकाशित किताब में कई हिस्से शामिल नहीं हैं। पृष्ठ संख्या की सीमा को देखते हुए उन्हें हटाना पड़ा था। लक्ष्य है कि छूटे हुए खंड का प्रकाशन कराना। एनबीटी से आग्रह करेंगे कि चूंकि पांडुलिपि स्वीकृत है इसलिए अलग खंड में इसका प्रकाशन करें। यदि कोई कानूनी पेंच न हो तो, ताकि बच्चों को विज्ञान से जुड़ी सारी जानकारी एक साथ मिल सके। कहा-लोग सीखें सवाल करना और सवाल का जवाब तलाशना। यही मूल मकसद इस किताब के लिखने की है।

कौन हैं लेखक कृष्ण किसलय:-
अनुमंडल मुख्यालय स्थित जोड़ा मंदिर के पास रहते हैं कृष्ण किसलय। वर्ष 1978 से लगातार विज्ञान विषयों पर लिखते रहे हैं। चार बड़े अखबार में जिला से लेकर संपादक तक के पद पर काम कर चुके हैं। लेखन के लिए इन्डियन साइंस राइटर्स एसोसियेशन समेत कई संस्थाओं द्वारा सम्मान प्राप्त कर चुके हैं। संप्रति आंचलिक पत्रकारिता को नया आयाम देने वाले सोनमाटी समूह के संपादक हैं।

गौरव का विषय-कवि
काव्य संग्रह ‘आवाज भी देह है’ के लेखक संजय कुमार शांडिल्य का मानना है कि एनबीटी राष्ट्रीय महत्व की लिखी उपयोगी किताबों के प्रकाशन के लिए प्रसिद्ध है। कम मूल्य पर प्रमाणिक किताबों को देश भर के पाठकों तक पहुँचाने का दायित्व निर्वहन करने का कार्य यह करता रहा है। यहाँ से प्रकाशित होना किसी भी लेखक के लिए गौरव का विषय है।

1 comment:

  1. रोहतास के मोहनिया मूल निवासी श्री भगवतीशरण मिश्र की किताब 'आदर्श पौराणिक कहानियां' संभवतः 2007 में नेशनल बुक ट्रस्ट से छप चुकी है।लिहाजा, एनबीटी से छपनेवाले रोहतास के पहले व्यक्ति श्री कृष्ण किसलय नहीं है।
    पुस्तक के बारे में विवरण है:
    आईएसबीएन:81-89364-11-1
    पृष्ठ : 136
    मुखपृष्ठ : सजिल्द

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