Sunday 20 July 2014

सावन का सोमवार भगवान शंकर का महत्वपूर्ण दिन



                                 फोटो- देवकुंड का मन्दिर और शिवलिंग
देवकुंड में श्रीराम ने किया था लिंग स्थापना
वाणभट्ट ने च्यवनाश्रम का किया था जिक्र
उपेन्द्र कश्यप
सावन में सोमवार का अलग महत्व है। इसे भगवान शंकर का दिन माना जाता है। प्रथम ज्योतिर्लिंग का नाम सोमनाथ होने के कारण यह दिन शिव को भी अति प्रिय दिन है। जल और विल्व पत्र चढाने वालों की हर मनोकामना पूर्ण होती है। शिव पर एक माह तक जल चढाने की कथा अलग है। पं.लालमोहन शास्त्री के अनुसार समुद्र मंथन के वक्त जब जहर निकला तो उसका पान शिव ने किया। तब माता सती ने उनका कंठ पकड लिया था जिस कारण विष गला से नीचे नहीं उतर सका। शिव निलकंठ बन गये और उनके अन्दर विष के व्याप्त ताप को नष्ट करने के लिए उनपर निरंतर एक महीने तक जल चढाया जाने लगा। यह परंपरा बन गई। गंगा जल चढाने से शिव प्रसन्न होते हैं और अन्न, धन और जन प्राप्त कराते हैं। मगध में महत्वपूर्ण तीर्थ च्यवनाश्रम है जो देवकुंड के नाम से जाना जाता है। पटना गाय घाट से जल लाकर यहां चढाया जाता है। इस शिवलिंग को दुग्धेश्वर महादेव कहा जाता है। आनन्द रामायण के अनुसार च्यवनाश्रम आकर श्री राम ने सहस्त्र धारा देवकुंड में स्नान कर इस शिवलिंग की स्थापना किया था। ब्रह्म पुराण के अनुसार रामेश लिंग का नाम दुग्धेश्वर महादेव है। बाणभट्ट ने च्यवनाश्रम को “चैत्ररथ कल्पं काननम” कहा है। उन्होंने इसकी चर्चा की है। ब्रह्म रामायण के अनुसार इस क्षेत्र में बैर, गुग्गुल और परास समिधा खूब पाये जाते थे।


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