Saturday 5 July 2014

दहशतगर्दी में डूबे इराक से आये थे सूफी संत

                            दहशतगर्दी में डूबे इराक से आये थे सूफी संत

दहशतगर्दी में डूबे इराक से ही आये थे सूफी संत
फोटो- अमझर शरीफ स्थित बगदादी का मजार
दहशतगर्द बगदादी बनाम सुफी संत कादरी बगदादी
इराक का अबू बकर अल बगदादी दूसरा लादेन
अमझर शरीफ के कादरी बगदादी भी इराक के
उपेन्द्र कश्यप,
इराक विश्व भर में आज दहशतगर्दी में डूबे होने के कारण काफी चर्चा में है। कभी दस लाख की अबादी वाला विश्व का पहला शहर था इराक। जहां से एक सूफी संत अमीर मोहम्मद कादरी बगदादी इस अनुमंडल के हसपुरा प्रखंड के अमझर शरीफ आये थे और यहीं की जमीन में दफन होकर आज भी आशीर्वाद बांट रहे हैं। इराक में कोहराम मचा रहे आतंकवादी संगठन आईएसआईएस के मुखिया अबू बकर अल-बगदादी का दूसरा नाम अबू दुआ और डा इब्राहिम अवाद इब्राहिम अली अल-बद्री अल-समाराई है। माना जाता है कि बगदादी का जन्‍म बगदाद के उत्‍तर में स्थित समारा में 1971 में हुआ था। बगदादी ने इस्लामिक स्टेट इन इराक एंड अल-शाम (आईएसआईएस) का गठन किया है। अल-शाम का मतलब है-महान सीरिया। इसी का प्रमुख है अल बगदादी। वह अपने कमांडरों से बात करता है तो मास्‍क पहन लेता है। इसीलिए उसे 'द इनविजिबल शेख' के नाम से पुकारा जाता है। वाशिंगटन पोस्‍ट के मुताबिक ओसामा बिन लादेन का अगर कोई  सच्चा उत्‍तराधिकारी है तो वह अल-बगदादी ही है। टाइम मैगजीन ने बगदादी को 'दुनिया का सबसे खतरनाक शख्स' करार दिया है। वहीं, फ्रेंच मैगजीन 'ला मोंडे' ने उसे नया 'बिन लादेन' कहा है।
इसी बगदादी के बगदाद से हिजरी 847 यानी सन 1443 में सैय्यद अमीर मोहम्मद कादरी बगदादी बिन सैय्यद दुर्वेश मोहम्मद कादरी बगदादी हिंदुस्तान के लिए चले। तारीखे दाउदिया के तरजुमे के अनुसार तब हसनपुरा (अब-हसपुरा) के शेख अली बगदाद पहुंचा और और हजरत साहब के मजार पर फरियाद की कि हिन्दुस्तान के इस इलाके में कोल राजा लोगों को परेशान कर रहा है। धार्मिक ममलों में पाबन्दियां लगाता है। उससे मुक्ति चाहिए। इसके बाद ख्वाब में कादरी को मो.पैगंबर ने निर्देशित किया कि वे फौरन हिन्दुस्तान रवाना हो। तब 40 चेलों के साथ आवश्यक सामग्री लेकर हिन्दुस्तान के लिए चले। कोल राजा करमुद जीवन को पराजीत कर दुश्वारियों से मुक्ति दिलाया। इसके बाद अमझर में वे ठहरे। अपनी सूखी लाठी जमीन में गाडी और वह दरख्त बन गया। अपने पिता के बताये मुताबिक वे यहीं अपना आशियाना बनाया और फिर यहीं के होकर रह गये।
आज हर हिन्दु मुसलमान अपनी मुराद लेकर इस मजार पर मत्था टेकता है। सूफी संत ने सूफी पैगाम दिया मगर आज इन्हीं के बगदाद का बगदादी धार्मिक उन्माद फैलाकर शरिया कानून वाला देश बनाना चाहता है। 


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