Friday 22 March 2024

कुशवाहा लैंड में कुशवाहा ने किया कुशवाहा का पत्ता साफ

उपेंद्र कुशवाहा के आने से दो बार के सांसद हुए बेटिकट 

वर्ष 2014 में हो चुका है उपेंद्र और महाबली में मुकाबला 


चुनाव जीतने की रणनीति पर काम कर रहे थे महाबली

उपेंद्र कश्यप, दाउदनगर (औरंगाबाद) : भाजपा ने सीट शेयरिंग फार्मूला के तहत काराकाट की सीट राष्ट्रीय लोक मोर्चा को दी है। इस पार्टी से अधिक चर्चा इस बात की है कि भाजपा ने उपेंद्र कुशवाहा को यह सीट दिया है। इससे यह साफ संदेश जा रहा है कि काराकाट लोकसभा सीट से एनडीए के प्रत्याशी उपेंद्र कुशवाहा ही होंगे। लगातार कुशवाहा जाति के व्यक्ति के सांसद बनने से इसे कुशवाहा लैंड कहा माना जाने लगा है। ऐसी स्थिति बनते ही दो बार के सांसद रह चुके जदयू के नेता महाबली सिंह बेटिकट हो गए। जबकि वह लगातार परिश्रम कर रहे थे और चुनाव जीतने की रणनीति पर काम कर रहे थे। सूत्रों के अनुसार महाबली सिंह ने अपने खास कार्यकर्ताओं को सक्रिय भी कर दिया था और चुनावी मैनेजमेंट के सभी आयामों पर काम करने का निर्देश दे रखा था। लगातार इलाके का दौरा कर रहे थे। सब कुछ उस वक्त धराशाई हो गया जब एनडीए में उपेंद्र कुशवाहा के लिए काराकाट सीट देने के लिए जदयू ने अपने सीटिंग सीट से समझौता कर लिया। महत्वपूर्ण है कि उपेंद्र कुशवाहा पहली बार सांसद बने तो काराकाट के मतदाताओं के कारण। वर्ष 2008 में अस्तित्व में आये इस सीट पर जब 2009 में चुनाव हुआ तो राजग गठबंधन से जदयू के प्रत्याशी महाबली सिंह सांसद बने और राजद के कांति सिंह को यहां हार मिली थी। वर्ष 2014 में जब नरेंद्र मोदी भाजपा के प्रधानमंत्री चेहरा घोषित किए गए तो जदयू अलग हो गई और तब यहां से राजग का सहयोगी बनकर राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के उपेंद्र कुशवाहा चुनाव लड़ते हैं। महाबली सिंह जदयू से प्रत्याशी रहते हैं और राजद से डा.कांति सिंह। पहली बार इसी चुनाव में उपेंद्र कुशवाहा को जीत मिली और वह लोकसभा पहुंच सके। फिर 2019 के चुनाव में रालोसपा राजद के साथ जुड़ गई और दो बार हार के कारण राजद ने डा. कांति सिंह की जगह उपेंद्र कुशवाहा को टिकट दे दिया और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी से वह चुनाव लड़ कर हार जाते हैं। इस चुनाव में महाबली सिंह जदयू के टिकट पर चुनाव लड़ते हैं और चुनाव जीत जाते हैं। अब जब फिर से उपेंद्र कुशवाहा सामने आ गए हैं तो महाबली सिंह का टिकट कट गया। उनकी सारी रणनीति धरी की धरी रह गई। उनका विश्वास टूट गया।




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