Tuesday 30 January 2024

बिहार में सत्ता संघर्ष से राजनीतिक कार्यकर्ताओं को मिली सबक

मन आहत, विश्वसनीयता का बढ़ा संकट

जनता, कार्यकर्ता को मिली नीतीश, लालू, नमो से सीख 

नैतिकता, सिद्धान्त, आदर्श पर क्या सोचते हैं कार्यकर्ता


बिहार में सत्ता का संघर्ष कई प्रश्न खड़े कर गया है। तमाम प्रश्नों के बीच सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि जो कुछ बिहार की राजनीति में घटित हुआ उससे आम जनता और जमीनी स्तर के राजनीतिक कार्यकर्ताओं को सीखने के लिए क्या मिला। हर घटना कुछ ना कुछ सिखाती है, तो स्वाभाविक है कि जब राजनीति की बड़ी घटना हो रही हो तो राजनीति में रुचि लेने वाले कार्यकर्ताओं को भी सीखने के लिए कुछ ना कुछ मिला। सबसे बड़ा संकट विश्वसनीयता का दिख रहा है। भरोसे की समस्या खड़ी हो गई है। राजनीति में नैतिकता, सिद्धांत, आदर्श को लेकर कार्यकर्ता क्या सोचते हैं। नरेंद्र मोदी हों या नीतीश कुमार और लालू यादव इन तीनों से सीखने को क्या मिला। यही जानने का प्रयास दैनिक जागरण ने किया।



पलटना, समेटना व अवसरवादिता सीखा 



पूर्व विधायक वीरेंद्र कुमार सिंहा के पुत्र पूर्व मुखिया कुणाल प्रताप ने कहा कि नीतीश कुमार ने पलटना, लालू ने समेटना और नरेंद्र मोदी ने अवसरवादिता सीखाया। सिखाया कि पलटो ऐसा कि जलो नहीं। जो कुछ मिल रहा है उसको समेटो और अवसर मिले तो सिद्धांत हटाओ कुर्सी हथियाओ। जब शीर्ष नेताओं के पास ही सिद्धांत नहीं है तो गांव में रहने वाले कार्यकर्ता सैद्धांतिक कैसे हो सकते हैं। आज चुनाव पैरवी, पावर और पैसा का बनकर रह गया है। इसीलिए आम लोग इस तीनों को पाने में लगे हुए हैं।



कोई भरोसा न कर सकेगा अब 



कांग्रेस प्रखंड अध्यक्ष राजेश्वर सिंह कहते हैं कि विश्वास खत्म हो रहा है। राजनीतिक दलों और कार्यकर्ताओं पर कोई अब भरोसा नहीं करेगा। विश्वास का संकट है। बार-बार झूठ बोलने से ऐसी स्थिति बन गई है कि अगर नेता सत्य भी बोले तो उस पर कोई भरोसा नहीं करेगा।



नेताओं से उम्मीद खुद पर कुल्हाड़ी चलाना 



नगर पंचायत के मुख्य पार्षद रहे भाजपा के नेता परमानंद पासवान ने कहा कि नेताओं के दिल, दिमाग और आत्मा में आदर्श, नैतिकता, सुचिता की कोई जगह नहीं बची है। जनता को ही नैतिकता का पाठ पढ़ाना होगा इन नेताओं को। नेताओं से उम्मीद रखना अपने पैर पर खुद ही कुल्हाड़ी मारने के बराबर है। जरूरत इस बात की है कि जनता बुद्धिजीवी बने और सही का चयन करे।


कार्यकर्ताओं के मान सम्मान से खिलवाड़ 



राजद प्रखंड अध्यक्ष देवेंद्र सिंह कहते हैं कि राजनीतिक दलों में कार्यकर्ताओं का मान सम्मान का ख्याल नहीं रखा जाता। एक तपके से सामंजस्य बैठा नहीं कि उसे छोड़कर दूसरे से बनाने की स्थिति आ जाती है। कार्यकर्ताओं की राय नहीं ली जाती है। राजनीतिक कार्यकर्ता पेंडुलम की तरह बना कर छोड़ दिए गए हैं। कभी इस पहलू कभी उसे पहलू डोलते रहिए। राजनीतिक दलों और नेताओं को लेकर विश्वास का भारी संकट है। सत्ता के लिए किसी से गठबंधन करने की प्रवृत्ति खत्म होनी चाहिए।





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