Friday 7 July 2023

जब रकबा मालूम नहीं तो जमीन अतिक्रमण का नोटिस क्यों

 


मामला दाऊद खान के किला परिसर का 

नगर परिषद और अंचल कार्यालय को नहीं मालूम किला का क्षेत्रफल 


सूचना के अधिकार के तहत हुआ बड़ा खुलासा 


संवाद सहयोगी, दाउदनगर (औरंगाबाद) : दाउदनगर को लेकर एक कहावत की पंक्ति है- दाउदनगर शहर है बड़ा नगीना। वाकई कई मामलों में यह अजूबा शहर है। 17 वीं सदी का बसा हुआ दाउदनगर वर्ष 1885 में नगरपालिका बना और फिर 15 जुलाई 1955 को प्रखंड सह अंचल बना। स्थिति यह है कि दाउदनगर की पहचान से जुड़ा हुआ पूरास्थल दाऊद खान का किला का क्षेत्रफल ना तो नगर परिषद को मालूम है और ना ही अंचल कार्यालय को। यह सूचना के अधिकार के तहत खुलासा हुआ है। प्रशासन कैसे काम करता है यह भी इस बात से खुल गया। सवाल यह है कि जब अपनी परिसंपत्ति का क्षेत्रफल ही मालूम नहीं है तो दो मई को अंचल अधिकारी द्वारा नौ व्यक्ति को अतिक्रमण हटाने का नोटिस कैसे भेज दिया गया। किला के समीप बसे अवधेश पाठक को जो नोटिस भेजा गया है उसमें कहा गया है कि प्रभारी पदाधिकारी जिला विकास शाखा के पत्र के माध्यम से बिहार सरकार द्वारा घोषित स्मारक या पुरास्थल को अतिक्रमण मुक्त कराकर प्रतिवेदन दिया जाना है। दाउदनगर किला का स्थलीय निरीक्षण राजस्व कर्मचारी एवं अंचल अमीन द्वारा किया गया। स्थलीय निरीक्षण के उपरांत राजस्व कर्मचारी द्वारा प्रतिवेदित किया गया है कि आपके द्वारा अतिक्रमण किया गया है। अतः आप को निर्देश दिया जाता है कि कब्जा की गई भूमि का साक्ष्य सहित राजस्व कागजात एवं संबंधित अन्य दस्तावेज लेकर आठ मई 2023 तक अंचल कार्यालय में उपस्थित हो। इसके बाद कुछ लोगों ने संबंधित दस्तावेज जमा किया। लेकिन इनके पुत्र बृजेश कुमार ने सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी। अंचल कार्यालय ने साफ कहा दाऊद खां के किला की मापी कभी नहीं हुई है। किले के रकबा से संबंधित दस्तावेज अंचल कार्यालय में उपलब्ध नहीं है। 



बिना नप के एनओसी दिए कैसे हो गयी चारदीवारी

सूचना यह भी मांगी गई थी कि किला परिसर की घेराबंदी से संबंधित नगर परिषद द्वारा निर्गत अनुमति पत्र का सत्यापित छायाप्रति उपलब्ध कराया जाए। इस पर अंचल अधिकारी का जवाब है कि नगर परिषद द्वारा एनओसी नहीं दिया गया है। नगर परिषद के प्रबंधक लोक सूचना पदाधिकारी ने भी बृजेश कुमार को स्पष्ट जवाब दिया कि इलाके से संबंधित कोई दस्तावेज नगर परिषद कार्यालय में संधारित नहीं है, और ना ही इससे संबंधित अनुमति नगर परिषद द्वारा निर्गत किया गया है। 



दो सवाल का जवाब नहीं मिल रहा

सवाल यही है कि जब दोनों ही संस्थानों के पास अपनी परिसंपत्ति का रकबा ही मालूम नहीं है तो फिर अतिक्रमण किया गया है यह घोषित कैसे किया जा सकता है और फिर किसी को जिम्मेदार बताते हुए उसके विरुद्ध नोटिस कैसे दी जा सकती है। दूसरा यह कि बिना एनओसी के ही किला की संबंधित कार्य एजेंसी ने चारदीवारी का निर्माण कैसे करा दिया।



अतिक्रमण वाद नहीं चलाया है : सीओ

अंचल अधिकारी मनोज कुमार गुप्ता का कहना है कि उन्होंने कोई अतिक्रमण वाद नहीं चलाया है। किसी को अतिक्रमण करने का आरोपी नहीं ठहराया है, बल्कि किला के सीमावर्ती जो लोग बसे हुए हैं उनसे उनकी जमीन से संबंधित कागजात जांच के लिए मांगा गया है।



दो ने नहीं दिया है अभी जवाब


बृजेश कुमार ने बताया कि समाहरणालय औरंगाबाद और मुख्यमंत्री सचिवालय से भी किला से संबंधित रकबा की जानकारी मांगी है। जहां से अभी सूचना के अधिकार के तहत कोई जवाब नहीं दिया गया है। लोक सूचना पदाधिकारी सह अंचल अधिकारी ने प्रथम अपील में जारी आदेश के बाद सूचना उपलब्ध कराया है।




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