Sunday 6 November 2022

पहली बार व्यापार मंडल अध्यक्ष की कुर्सी अंछा को मिली

 


फ़ोटो-व्यापार मंडल का नया-पुराना गोदाम

08 बार कुर्मी, 04 बार राजपूत व एक बार यादव जाति से बने अध्यक्ष

उपेंद्र कश्यप । दाउदनगर (औरंगाबाद)

व्यापार मंडल के अध्यक्ष पद का चुनाव परिणाम जब आया तो अंछा गांव उछल पड़ा। कारण स्पष्ट है कि पहली बार इस गांव के किसान नेता को यह कुर्सी मिली और जातीय संदर्भ में चौथी बार राजपूत जाति से कोई व्यक्ति अध्यक्ष बना। इसके पहले सिर्फ जिनोरिया निवासी सुदेश सिंह ही इस जाति से इस पद पर रहे हैं। वे तीन बार अध्यक्ष रहे हैं। 1983 के चुनाव से अब तक का इतिहास जो ज्ञात है, उसके अनुसार उप चुनाव और कार्यकारिणी द्वारा अध्यक्ष चुने जाने समेत 13 बार अध्यक्ष बने हैं। चुन्नू 12 वें अध्यक्ष बने थे। 13 वें अध्यक्ष राम बचन सिंह बने। व्यापार मंडल पर कुर्मी जाति का एकाधिकार रहा है। आठ बार कुर्मी जाति के नेता अध्यक्ष बने हैं। जबकि चार बार राजपूत और एक बार यादव जाति से। 1978 में तरारी से मुखिया बने बेलाढी निवासी दिनेश सिंह कुर्मी थे। वे 1983 और 1986 में व्यापार मंडल का अध्यक्ष बने। इनके बाद 1989, 1992 और 1995 में लगातार तीन बार संसा के हीरालाल सिंह अध्यक्ष बने। वे भी कुर्मी थे। उसी तरह 1998 और 2001 में गोरडीहां निवासी मुखिया रहे भगवान सिंह अध्यक्ष बने। वे भी कुर्मी हैं। 04 जनवरी 2016 को बेलाढी निवासी दीपक सिंह अध्यक्ष बने, वे भी कुर्मी थे। बताया कि कार्यकारिणी से उन्हें कार्यकारी अध्यक्ष तब बनाया गया था। जब सुदेश सिंह की हत्या से यह कुर्सी खाली पड़ी हुई थी। बीच में सिर्फ सुदेश सिंह ही ऐसे सवर्ण नेता रहे जो तीन बार अध्यक्ष बने। वे जाति से राजपूत थे, जिनोरिया के निवासी। करमा पंचायत के मुखिया भी रहे हैं। 2004 में कार्यकारिणी ने उनको अध्यक्ष चुना था। 2007 में चुनाव जीत कर अध्यक्ष बने और फिर तीसरी बार अगस्त 2012 में अध्यक्ष बने थे। 04 अक्टूबर 2012 को हत्या होने तक वे इस पद पर रहे। सुदेश सिंह भी पिछड़ा और राजद की राजनीति करके ही व्यापार मंडल का अध्यक्ष बने थे। वर्ष 2017 में पहली बार हुआ था जब चुन्नू यादव व्यापार मंडल के अध्यक्ष बने। अब वे हार गए हैं और राम बचन सिंह अध्यक्ष बने हैं।


  



पिताजी की दुर्घटना के कारण हार : पूर्व अध्यक्ष

फोटो-चुन्नू यादव

पराजित व्यापार व्यापार मंडल अध्यक्ष चुन्नू यादव ने बताया कि सेवानिवृत्त शिक्षक पिता ललन सिंह के दुर्घटनाग्रस्त होने के कारण उन्हें किसानों के बीच जाने का वक्त कम मिला। वे उनके इलाज में व्यस्त व तनावग्रस्त रहे। जब मिले भी तो तनावपूर्ण स्थिति में रहे। इसका प्रभाव पड़ा। बेहतर कार्यालय ना बनवा सकने का सपना जहां अधूरा रह गया वहीं जीतने के बाद किसानों को पहली बार बताया कि व्यापार मंडल धान भी खरीदता है। किसानों को लाभ पहुंचाया।



हार जीत की समीक्षा कर रहे नेता व समर्थक

 राम बचन सिंह व्यापार मंडल के अध्यक्ष बन गए और इस कुर्सी से विदा हो गए सुजीत कुमार सिंह उर्फ चुन्नू यादव। जिस चुन्नू यादव को पक्के तौर पर विजेता मान लिया गया था उनकी हार की वजह क्या है। राजनीतिक प्रेक्षकों का मानना है कि लगभग 450 मतदाता अंछा गांव के हैं। इसके बाद बड़ी संख्या में लगभग 250 या इससे अधिक मतदाता करमा पंचायत के हैं। 125 से 150 तक मतदाता बेलवां, चौरी और नगर परिषद क्षेत्र में है। राजनीतिक प्रेक्षकों का मानना है कि पिछले चुनाव में अंछा के मतदाता रामबचन सिंह के साथ खड़े न होकर चुन्नू यादव के साथ खड़े हुए थे। इस बार उन्होंने रामबचन सिंह का समर्थन किया और इस कारण चुनाव परिणाम प्रभावित हुआ। जो वर्ग प्रखंड प्रमुख के चुनाव के वक्त की गयी कथित जातीय राजनीति का आरोप लगा रहा था वह अब परिणाम से उत्साहित है। ऐसे समूह की मंशा पूरी हो गई है। जिसकी चर्चा इलाके में है। मण्डली से घिरे होने को भी लोग कारण बता रहे लेकिन इस तरह के आरोपको चुन्नू यादव ने खारिज कर दिया है।



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