Thursday 24 May 2018

दाउदनगर नगर परिषद चुनाव: जातियों का विमर्श

नगर परिषद दाउदनगर का नया नक्शा 


(किस जाति से कितने 
और कौन-कौन जीते)
ऐसा समाज बना रहे हम जहां जाति बिना कुछ नहीं
-: उपेंद्र कश्यप :-

दाउदनगर नगर परिषद का चुनाव परिणाम आने के बाद शहर के मिजाज का आकलन कर सकते हैं, यदि आपको जातीय विमर्श में यकीन हो। भर चुनाव जाति और जातिवाद की चर्चा रही है, इससे किसी को इंकार नहीं हो सकता। वास्तव में हम एक ऐसा समाज निर्मित कर चुके हैं जहां बिना जाति के किसी भी सामाजिक-राजनीतिक घटना का विश्लेषण नहीं कर सकते। और अब एक हद तक आर्थिक विश्लेषण भी, जाति विमर्श की दरकार रखने लगा है। यह स्थिति अकेले दाउदनगर की नहीं है। ऐसा समझने की भूल भी न करें। ऐसी स्थिति बिहार, हिन्दी पट्टी या कह सकते हैं अब पूरे भारत की है।
यहाँ दाउदनगर कॉलेज में प्रोफ़ेसर डॉ.ब्रज किशोर प्रसाद गुप्ता और कन्या मिडिल स्कूल की प्रधानाध्यापक उनकी शिक्षिका पत्नी निर्मला गुप्ता रहती थीं। एक बार चुनावी चर्चा में श्री मति गुप्ता ने इस पत्रकार से कहा था कि- ‘यह बनिया मिजाज का शहर है’। इस सन्दर्भ में यदि चुनाव परिणाम पर जातीय विमर्श करें तो अंतिम निष्कर्ष कुछ ऐसा ही निकलता है। इसे आप जातिवार सूची में देख सकते हैं। अधिकाँश जीते पार्षद या तो वैश्य जातीय समूह से हैं या इनके साथ आपसी राजनीतिक-सामाजिक-आर्थिक सहयोग या तालमेल रखने वाले जीते हैं। अपनी हनक दिखाने वाले, पूरे चुनाव में जातीय समीकरण का गणित बनाने वाले राजनीतिज्ञ अब भले ही ‘चुनाव में जातीय फैक्टर’ की उपस्थिति से इंकार करें किन्तु ऐसा वे अब अपना सामाजिक चेहरा बनाने, बचाने की वजह से ही कर रहे हैं। वरना पूरा कटु सत्य यही है कि प्राय: सभी ने चुनाव जीतने के लिए जाति का इस्तेमाल किया। सफल होना तो 27 को ही था, यह पूर्व निर्धारित था। बाकी के 129 की हार तय थी, और वे हारे भी। अब कोइ तुर्रम खां, और राजनीतिक विश्लेषक भले बनाता फिरे, उससे कोइ फर्क पड़ने वाला नहीं है। समाज ने अपनी पसंद-नापसंद साफ़ कर दिया है। अब जो जीते हैं, उनको अपनी पसंद का बोर्ड गठित करना है, जिसके लिए कोई भी विजेता- जनता की नहीं, मतदाता की नहीं, अपनी ही सुनेगा, और उसकी ख़ास वजह सभी जानते हैं। अब उसी दिशा में काम हो रहा है।       

वार्ड वार विजेता वार्ड पार्षद की जाति:-
वार्ड संख्या 01 से जागेश्वरी देवी-पासवानवार्ड संख्या 02 से सीमन कुमारी-कोइरी, वार्ड संख्या 03 से तारीक अनवर-अंसारी, वार्ड संख्या 04 से शकीला बानो-अंसारी, वार्ड संख्या 05 से बसंत कुमार-माली, वार्ड संख्या 06 से सुहैल राजा उर्फ सुहैल अंसारी-अंसारी, वार्ड संख्या 07 से राजू राम-रविदास, वार्ड संख्या 08 से हसीना खातून-अंसारी, वार्ड संख्या 09 से सुमित्रा साव -तेली, वार्ड संख्या 10 से कांति देवी -मल्लाह, वार्ड संख्या 11 से प्रमोद कुमार सिंह-चंद्रवंशी, वार्ड संख्या 12 से मीनू सिंह-राजपूत, वार्ड संख्या 13 से दीपा कुमारी-रौनियार वैश्य, वार्ड संख्या 14 से सुशीला देवी-गंधर्व, वार्ड संख्या 15 से ममता देवी-कुम्हार, वार्ड संख्या 16 से ललिता देवी-कुम्हार, वार्ड संख्या 17 से लिलावती देवी-तांती, वार्ड संख्या 18 से सोनी देवी-स्वर्णकार, वार्ड संख्या 19 से पुनम देवी-कुम्हार, वार्ड संख्या 20 से रीना देवी उर्फ रीमा देवी-तांती, वार्ड संख्या 21 से दिनेश प्रसाद-तेली, वार्ड संख्या 22 से नंदकिशोर चौधरी-पासी, वार्ड संख्या 23 से सीमा देवी-चंद्रवंशी, वार्ड संख्या 24 से कौशलेन्द्र कुमार-राजपूत, वार्ड संख्या 25 से पुष्पा कुमारी-यादव, वार्ड संख्या 26 से इंदु देवी-रजक व वार्ड संख्या 27 से सतीश कुमार-यादव

नोट:- तांती व्यावसायिक जाति अब अनुसूचित जाति हुई है तकनीकी, कानूनी तौर पर कुछ अन्य जातियां अनुसूचित जाति में भले हैं, दाउदनगर के सन्दर्भ में उनका सामाजिक जीवन वैश्य विरादरी समूह की जातियों के सामान ही है

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