Friday 7 February 2020

औरंगाबाद डीएम क्यों और कहां बोले कि चढ़ रहा आँखों पर चश्मा...


डीएम बोले-बड़े होने पर बच्चे अवश्य पढ़ें-'गुनाहों का देवता'
दाउदनगर के संस्कार विद्या परिसर में आयोजित तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय बाल फिल्म महोत्सव का 07 फरवरी 2020 को उद्घाटन करने के बाद औरंगाबाद के डीएम राहुल रंजन महिवाल ने कहा- कला जीवन को जीवंत बना देती है। कलाकार कितनों का संबल बन जाता है। अंतरराष्ट्रीय फ़िल्म फेस्टीवल गोवा, मुम्बई में देखा-सुना था। कान तरस जाते हैं, जिला में अंतरराष्ट्रीय शब्द सुनने के लिए। आज सुन रहा हूँ। अंतरराष्ट्रीय स्तर की फिल्में दिखाई जायेंगी। इसके विभिन्न आयामों को बच्चों को बताया जाएगा। टीवी की दिक्कत थी, जब हम बच्चे थे। रामायण और महाभारत देखने के लिए बहुत दूर जाना पड़ता था। अब जमाना बदल गया है। अब लोग छोटा भीम देखते हैं। माई नेम इज कलाम देखा। हिंदी साहित्य का उपासक रहा हूँ। गुनाहों का देवता धर्मवीर भारती का उपन्यास है, इसे बच्चे जरूर पढ़ें। जब बड़ा हो जाएं। दिनमान का जिक्र किया। टीवी, कार्टून, मोबाइल देखने का नफा-नुकसान है। आंखों पर चश्मा चढ़ जाता है। हम लोगों का बचा, क्योंकि टीवी, मोबाइल नहीं था।

सीख सकते हैं हिंदी शब्दों का शुद्ध उच्चारण :-
डीएम ने कहा कि टीवी से शब्द का उच्चारण सीखने का अवसर मिलेगा। इससे सीखिए। हिंदी शब्द का शुद्ध उच्चारण सीखने को इससे मिलता है। हमें प्रारंभिक दौर में उच्चारण गलत सीखाया जाता है। फिर और फीर में क्या अंतर है, यह जानना चाहिए। कान्वेंट स्कूल में जाने पर फर्क पड़ता है। अंग्रेजी शब्द भी सीख सकते हैं। शब्दों का चयन बेहतर तरीके से सीख सकते हैं। श्रम करना है। जो हो रहा है वह ऐतिहासिक हो रहा है। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनेगी।

हारने से टूटता है इंसान:-
डीएम ने कहा कि जब व्यक्ति हारता है तो तकलीफ होती है। हारने और तकलीफ होने से टूटता है इंसान। यह अभिभावक ध्यान दें। अभिभावकों से कहा कि-अनुरोध है कि बच्चों पर अपनी महत्वाकांक्षा और सपने के लिए इतना दबाब मत डालिये कि वह परेशान हो जाये। मैट्रिक फेल हो गए, किन्तु क्रिकेट के भगवान माने गए सचिन। अमिताभ को संघर्ष करना पड़ा। बहुत बार असफल होना पड़ा। ऊंची जगह पढ़े थे। पिता नामी थे, पैसा की कमी नहीं थी। नौकरी के लिए सेलेक्शन में छांट दिए गए।

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