Thursday 9 November 2017

बिना ‘गिवअप’ किए ही बंद हो गयी एलपीजी सब्सिडी, सरकार ने कहा –धन्यवाद!

ग्राहक बोल रहे-सब्सिडी छोड़ने के लिए कभी नहीं दिया आवेदन
उपेन्द्र कश्यप। डेहरी

केंद्र सरकार अपनी पीठ खूब थपथपा रही है| उसे फक्र है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वाहन पर देश के एक करोड़ नागरिकों ने अपना एलपीजी गैस सब्सिडी छोड़ दिया है| इससे ‘प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना’ के तहत पांच करोड़ परिवारों को लकड़ी के धुंए से मुक्ति दिलाने का अभियान चल रहा है| यह तब अच्छी बात होती जब वास्तव में परिवारों ने खुद ‘गिवअप’ किया होता। किन्तु जमीनी हकीकत कुछ और है| जिन लोगों को गिवअप करने के बदले पीएम ने धन्यवाद पत्र भेजा है, उसमें से किसी ने स्वेच्छा से सब्सिडी नहीं छोड़ा है| दैनिक भास्कर ने पीएम ने धन्यवाद पत्र जिनके लिए भेजे हैं उनमें से दस लोगों से पूछा, तो सबने कहा कि उन्होंने सब्सिडी नहीं छोडी है। पाली रोड स्थित देव इंडेन के संचालक अशोक पासवान ने भी इस बात की पुष्टि की कि किसी ग्राहक ने आज तक सब्सिडी छोड़ने के लिए आवेदन उन्हें नहीं दिया है। उनके यहाँ ऑन लाइन नंबर लगाने की सुविधा भी नहीं है| इनके अनुसार मोबाइल से नंबर लगाने के लिए कॉल करते वक्त गिवअप के लिए बटन दबाने को बोलता है और लोगों ने अज्ञानतावश या भूलवश वही बटन दबा दिया होगा| नतीजा बड़ी संख्या में लोग बिना जाने ही गिवअप कर गए। सरकार ने उनके नाम “धन्यवाद पत्र” भेज दिया।

कईयों को पता नहीं तो कई लगा रहे दौड़
गिवअप के बाद कइयों को यही ज्ञात नहीं है कि उनके खाते में सब्सिडी जा रही है या नहीं। बहुत ऐसे हैं जो पासबुक चेक ही नहीं करते। कुछ ऐसे ग्राहक भी हैं जो दौड़ रहे हैं कि उनके खाते में सब्सिडी की राशि नहीं आ रही| कुछ बैंक और गैस आपूर्तिकर्ता के बीच दौड़ रहे हैं और तीनों पक्षों को ही पता नहीं कि सब्सिडी खान और क्यों अटकी पडी है। कई ऐसे लोग भी हैं जिनके खाते में सब्सिडी जा रही है और गिवअप के लिए धन्यवाद पत्र भी आया हुआ है।

विवाद के कारण नहीं बाँट रहे “धन्यवाद पत्र” 

देव इंडेन में 55 ग्राहकों के लिए धन्यवाद पत्र आया हुआ है। अशोक पासवान का कहना है कि उन्हें यह कंपनी के चैनल से प्राप्त हुआ है। कुछ ग्राहकों को उन्होंने दिया तो विवाद शुरू हो। प्राय: सभी ने कहा कि उन्होंने सब्सिडी छोड़ने के लिए कोइ आवेदन नहीं दिया है।

हमने मांगा अनुदान, पीएम ने भेजा “धन्यवाद पत्र’
दैनिक भास्कर ने पीएम से धन्यवाद प्राप्त करने वाले ग्राहकों से सवाल पूछा तो जवाब मिला-
० नौडीहा के पांडेपुर से कृष्णा साह बोले-रौंग नंबर|
० चितौलीचौक रमडीहरा से रौशन कुमार बोले-गिवअप नहीं किया है| कोइ आवेदन नहीं दिया| खाता चेक नहीं किया है|
० परमेश्वर बीघा से गनपत सह बोले-काहे सब्सिडी बंद कर दिए? जब छोड़ा ही नहीं सब्सिडी तो पीएम धन्यवाद काहे देंगे?
० परमेश्वर बीघा से प्रेमलाल कुमार बोले- बैंक से पता चला कि सब्सिडी नहीं आ रहा, हम छोड़े नहीं हैं|
० पीतांबरपुर से अशोक कुमार सिंह बोले- बैंक और गैस एजेंसी ने आधार नंबर माँगा| जमा आकिया तब भी सब्सिडी नहीं आ रहा| हम नहीं छोड़े हैं सब्सिडी|

धन्यवाद पत्र का अंश---
प्रधान मंत्री, भारत सरकार, नई दिल्ली 
स्नेही जन
... मैंने ये पत्र आपको और आपके परिवार को धन्यवाद देने और अभिनन्दन करने के लिए लिखा है। 27 मार्च 2015 को मैंने देशवासियों से आह्वाहन किया था कि क्यों न हम रसोई गैस पर मिलने वाले अनुदान का त्याग करें। आपने सहित देश के एक करोड़ से अधिक परिवारों ने गैस सब्सिडी छोड़ दी। आपके छोड़े गए सब्सिडी से देश “प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना” से देश के पांच करोड़ गरीब परिवारों को लकड़ी के धुएं से मुक्ति दिलाने में सहयोग मिल रहा। मुझे उम्मीद है कि अर्थशास्त्र के जानकार और निराशा भरी बात करने वाले कुछ लोग आपके इस त्याग के बाद जन शक्ति को एक नए नजरिए से देखेंगे। 
मैं आभारी हूँ कि आपके इस फैसले से देश के विचार प्रवाह को नया आयाम  मिला है। 

पीएम का कुछ और निवेदन:-    
पीएम नरेन्द्र मोदी ने इस धन्यवाद पत्र में ‘जनता से कुछ और भी निवेदन’ किया है:-
1 -आप अपने और कम से कम 10 परिचितों के घर में बिजली के लिए एलईडी बल्ब का इस्तेमाल शुरू  इससे बिजली भी बचेगी और पैसों की भी बचत ।
2-स्वच्छता को अपना स्वभाव । जिस भी जगह पर आप हैं वहां इसे जन आन्दोलन का स्वरूप देने की कोशिश ।  

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