Tuesday 14 November 2017

व्यापार मंडल के 34 साल के इतिहास में पहली बार "यादव अध्यक्ष"


विजेता चुन्नू सिंह की आरती उतारती हुई मां श्रीमति कान्ति देवी   
चुन्नू सिंह बने सहकारिता के "इतिहास पुरुष"
08 बार कुर्मी और 03 बार राजपूत बने अध्यक्ष
उपेंद्र कश्यप (लेखक, पत्रकार)
व्यापार मंडल का चुनाव पूर्ण हो गया है। दाउदनगर (औरंगाबाद) के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण इतिहास रचा गया, जो कलमकारों की आंखों ने नहीं देखा, या समझा। सुजीत कुमार उर्फ चुन्नू सिंह व्यापार मंडल के अध्यक्ष बन गए। खबर मात्र इतनी भर नहीं है। इस खबर से अधिक महत्वपूर्ण इसका ऐतिहासिक पक्ष है। चुन्नू 'इतिहास पुरुष' बन गए हैं। उनका नाम व्यापार मंडल दाउदनगर के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में लिखा जाएगा। जब भी स्थानीय इतिहास कोई कलमबंद करेगा। यदि उसे स्थानीय राजनीतिक इतिहास का ज्ञान हो। चुन्नू सिंह पहले “यादव अध्यक्ष” बने हैं। 1983 के चुनाव से अब तक का इतिहास ज्ञात है। इसके अनुसार उप चुनाव और कार्यकारिणी द्वारा अध्यक्ष चुने जाने समेत 11 बार अध्यक्ष बने हैं। चुन्नू 12 वीं अध्यक्ष बने हैं। 

व्यापार मंडल पर कुर्मी जाति का एकाधिकार रहा है। सात बार कुर्मी जाति के नेता अध्यक्ष बने हैं। जबकि तीन बार राजपूत। 1978 में तरारी से मुखिया बने बेलाढी निवासी दिनेश सिंह कुर्मी थे। वे 1983 और 1986 में व्यापार मंडल का अध्यक्ष बने। इनके बाद 1989, 1992 और 1995 में लगातार तीन बार संसा के हीरालाल सिंह अध्यक्ष बने। वे भी कुर्मी थे। उसी तरह 1998 और 2001 में गोरडीहां निवासी मुखिया रहे भगवान सिंह अध्यक्ष बने। वे भी कुर्मी हैं। 04 जनवरी 2016 को बेलाढी निवासी दीपक सिंह अध्यक्ष बने, वे भी कुर्मी हैं। बीच में सिर्फ सुदेश सिंह ही ऐसे सवर्ण नेता रहे जो तीन बार अध्यक्ष बने। वे जाति से राजपूत थे, जिनोरिया के निवासी। करमा पंचायत के मुखिया भी रहे हैं। 2004 में कार्यकारिणी ने उनको अध्यक्ष चुना था2007 में चुनाव जीत कर अध्यक्ष बने और फिर तीसरी बार 2012 में अध्यक्ष बने। 04 अक्टूबर 2012 को हत्या होने तक वे इस पद पर रहे। सुदेश सिंह भी पिछड़ा और राजद की राजनीति करके ही व्यापार मंडल का अध्यक्ष बने थे। यह पहली बार हुआ है कि कोई यादव व्यापार मंडल का अध्यक्ष बना। 

विडंबना देखिए, इस बार चुन्नू भाजपा जदयू के समर्थन और सवर्ण मतों के सहयोग से अध्यक्ष बने। पिछडावाद की राजनीति करने वाले 'सबका साथ सबका विकास' में यकीन नहीं रखते और नतीजा इतिहास का हिस्सा नहीं बन सके। चुन्नू की जीत इस ऐतिहासिक संदर्भ में भी देखा जाना चाहिए। यह तब महत्वपूर्ण दिखेगा जब इतिहासबोध हो।

चुन्नू सिंह का जीवन परिचय-
पिता-ललन प्रसाद सिंह-सेवा निवृत प्रधानाध्यापक
माता-कान्ति देवी- सेवा निवृत शिक्षिका
भाई-अजीत सिंह-अध्यक्ष-नगर परिषद् पैक्स व आरएसओडी, मंटू सिंह|
घर-मझिआंव-ओबरा|

1 comment: