Wednesday, 22 January 2025

जहां आए थे बोस, वह बने प्रेरणा स्थल तो पीढियां होंगी प्रेरित


 लंबे प्रयास के बाद बनी प्रतिमा, विकास की आस अधूरी 

1939 में नौ और 10 फरवरी को चौरम थे सुभाष चंद्र बोस 

चतुर्थ गया जिला कांग्रेस सम्मेलन में लिए थे भाग 

प्रेरणा स्थल के रूप में किया जाना चाहिए विकसित


 उपेंद्र कश्यप, जागरण ● दाउदनगर (औरंगाबाद) : वर्ष 1939 में नौ और 10 फरवरी को यहां के चौरम में चतुर्थ गया जिला कांग्रेस सम्मेलन का आयोजन किया गया था। सुभाष चंद्र बोस शामिल हुए थे। उन्होंने यहीं से तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा का नारा बुलंद किया था और जवाहरलाल नेहरू को एक पत्र लिखा था। इन यादों को संरक्षित करते हुए यहां सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा स्थापित की गई है। वर्ष 2021 में जब यहां वंदना कुमारी मुखिया बनी तब उन्होंने यहां उनकी आदमकद प्रतिमा स्थापित की। इसके पहले लंबे समय तक यह कोशिश चलती रही। विकास की आस अभी अधूरी है। वास्तव में इस स्थल को युवाओं के लिए प्रेरणा स्थल बनाया जा सकता है। जिससे पीढियां प्रेरित होकर राष्ट्रभक्ति के जज्बे से सराबोर हो सकेंगे। यहां तब बड़े-बड़े नेताओं का जुटान हुआ था। यदि चौरम खेल मैदान की चारदीवारी कर इसे प्रेरणास्थल के रूप में विकसित किया जाए, यहां बड़ा पुस्तकालय का निर्माण हो, जिसमें सुभाष चंद्र बोस की जीवनी से संबंधित पुस्तक हो, तब आयोजित चतुर्थ गया जिला कांग्रेस सम्मेलन से जुड़ी यादें रखे जाएं तो यहां आने वाली पीढियों को प्रेरित कर सकेगा। उनमें राष्ट्रवाद का जज्बा भर सकेगा। लेकिन यह उम्मीद कब पूरी होगी या पूरी होगी भी कि नहीं, फिलहाल यह कहने की स्थिति में कोई नहीं है। इसी पंचायत के विकास कुमार कहते हैं कि जनप्रतिनिधियों ने स्टेडियम बनाने का वादा तो किया लेकिन इस दिशा में कोई काम नहीं हुआ।




होता है बड़े खेल आयोजन, बने स्टेडियम 

विकास कुमार कहते हैं कि इसे बड़े स्टेडियम का आकार दिया जाना चाहिए। यहां कई अंतरराज्यीय फुटबाल और क्रिकेट टूर्नामेंट हो चुका है और प्रायः आयोजन होते रहते हैं। दूर-दूर से यहां खिलाड़ी आ चुके हैं। यदि इसे बड़े स्टेडियम के रूप में विकसित किया जाए तो युवाओं को बेहतर माहौल और खेल परिसर मिल सकता है।




हो राजकीय समारोह, बने पुस्तकालय 

श्री सुभाष चंद्र बोस संघर्ष समिति चौरम के अध्यक्ष मनु कुमार ने कहा कि वे जयंती कार्यक्रम करते हैं। लेकिन यहां चारदीवारी व स्टेडियम बनाया जाना चाहिए। बड़े पुस्तकालय की आवश्यकता है। यह ऐतिहासिक महत्व का स्थल है। जिस तरह से ऐतिहासिक धरोहरों को सरकार संरक्षित करती है, उसके विकास का काम करती है वैसा यहां नहीं हो रहा। यहां राजकीय समारोह किए जाने की जरूरत है।

23 जनवरी 2025 को दैनिक जागरण में प्रकाशित