अल्पसंख्यक, गरीब, पिछडे समेत कई को सहलाने की कोशिश
भूल गए कि बिहार में अवैश्य पिछडे अति पिछडे है
काराकाट लोकसभा क्षेत्र
के ओबरा विधानसभा क्षेत्र के दाउदनगर में अब तक यह पहली सबसे बड़ी वीआइपी चुनावी
सभा थी। शनिवार को कार्यक्रम में फोकस सांप्रदायिकता और आरक्षण पर केंद्रित रहा।
विकास का कोई नामलेवा नहीं। कभी हल्के से हुई तो सिर्फ आलोचना। राजद या यूपीए क्या
करेगा? इस पर बोलने से बचने की
हर संभव कोशिश की गई। हद यह कि जाति को चुनकर संबोधित किया गया। छोटू मुखिया की
विधवा पत्नी सोनम को मंच पर जगह दी गई। लालू ने भी जगदेव बाबू का प्रसंग उठा कर इस
समाज को सहलाते हुए यही कोशिश की कि एक जाति विशेष के लोगों को ध्रुवीकरण हो।
इलियास हुसैन ने सांप्रदायिकता का कार्ड खेलते वक्त खूब तल्खी दिखाई। डा. एजाज अली
ने भी फर्जी शब्द का खूब इस्तेमाल किया। फर्जी पीएम, फर्जी गरीब, फर्जी पिछड़ा
कहा। फर्जी एनकाउंटर से जोड़ा। गांवों को गुजरात बनाने से बचाने को कहा। आरक्षण पर
खूब चर्चा कर पिछड़ों, अतिपिछड़ों और दलितों
को प्रभावित करने की कोशिश की गई। लालू ने खुद को वीपी की लाइन में खड़ा किया। वोट
के चक्कर में डा. एजाज भूल गए कि बिहार में वैश्य भी पिछड़ा और अतिपिछड़ी जाति की
सूची में शामिल है। उन्होंने कह दिया कि तिलक तराजू और तलवार से बचना है। क्या
लालू भी भूल गए कि वैश्य के सहयोग से ही वे पहली बार सीएम बने थे? उनके जंबोजेट मंत्रलय से अधिक वैश्य कभी मंत्री
नहीं बन सके?
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