काराकाट के ओबरा विस क्षेत्र का आकलन
फोटो-ओबरा विधान सभा
क्षेत्र का मानचित्र
हुआ खूब जातीय और
सांप्रदायिक ध्रुवीकरण
मुद्दा विकास नहीं सिर्फ
नमो नमो
उपेन्द्र कश्यप
काराकाट लोकसभा क्षेत्र के ओबरा विधानसभा क्षेत्र में पंखा
चलेगा या लालटेन जलेगा? यही एक मात्र प्रश्न मतदान बाद की फिजा में तैर रहा है।
बाकी तमाम दल चर्चा से ही गायब हैं। इलाके में किसी मुद्दे की कोई चर्चा नहीं रही।
मतदान सिर्फ जातीय खांचें में सांप्रदायिक विभाजन पर हुआ। दो जाति जिस पक्ष में
रहीं, बाकी उसके खिलाफ रहीं या उसके साथ नहीं रहीं। जदयू के सांसद महाबली सिंह खुद
मुद्दा बने रहे। इनके समर्थन में सिर्फ दलीय या व्यक्तिगत निष्ठा वाले ही सक्रिय रह
गए थे। पार्टी का एक धडा भी साथ नहीं था तो जिम्मेदार खुद सांसद और इनके आशीर्वाद
प्राप्त जनाधारविहीन नेता ही थे। जो या तो जातीवाद कर बदनाम हुए या फिर सांसद को
कई समूहों से दूर रखने की राजनीतिक अदूरदर्शिता दिखाई। ऐसे में सांसद प्रतिनिधि
अधिक दोषी थे। बाकी प्रत्याशी की चर्चा तक नहीं है। रालोसपा के उपेंद्र कुशवाहा को
भाजपा का साथ था। पंखा नया चुनाव चिन्ह था। बहुतों को ईवीएम में यह नजर नहीं आया
क्योंकि वे कमल खोज रहे थे। ऐसी चर्चा है। ऐसे वोटर तीर का बटन दबा गए हैं। पंखा
की खासियत नमो से शुरु होती है और नमो पर खत्म हो जाती है। कोई किसी को सुनने को
तैयार नहीं। कुशवाहा महाबली से भी अधिक नाराज करेंगे इस डर, आशंका के बावजूद
उन्हें काफी वोट मिला है। कोई जाति ऐसी नहीं जिससे राजग को वोट नहीं मिला हो।
क्योंकि मुद्दा सिर्फ मोदी थे, वोटरों का एक बडा हिस्सा या तो इसके साथ था या इसके
खिलाफ। खिलाफ वाले ध्रुव का नेतृत्व राजद-कांग्रेस गठबन्धन के प्रत्याशी डा.कांति
सिंह कर रहे थे। इनके साथ राजद का माय समीकरण पुरी तरह एकजुट दिखा। अन्य जातियों
से कम ही वोट मिले हैं। हालांकि एक नेता ने कहा भी था कि दूसरी जातियों की जरुरत
भी नहीं है। शायद इसी समझ के तहत दूसरी जातियों के बीच संपर्क भी ना के बराबर ही
किया गया। मंच से राजद सुप्रिमो लालू प्रसाद ने कहा भी था कि-अब 36 परसेंट हैं कोई
मुकाबला में नहीं है। इसी मंच से डा.एजाज अली के ‘तिलक तराजु और तलवार’ वाले बयान
से इस जाति विशेष से जुडे लोग विदक गए। इस समुदाय का जो ‘कुशवाहा’ फैक्टर के कारण
नाराज वोट जो राजद के पाले में जाता वह सीधे राजग के पाले में चला गया। राजद का एक
सकारात्मक मजबूत पक्ष रहा कि उपेन्द्र कुशवाहा को हराने की गरज में जदयू दरक गया।
नीतिश कुमार की जाति का वोट भी इस उम्मीद में राजद को मिला कि इससे राजग हार
जाएगा। चर्चा रही कि कुशवाह जीतेंगे तो नीतीश की मुखर खिलाफत करेंगे। जातीय
राजनीति की जरुरत पुरी करने का वे माध्यम बन सकते हैं। पुरे चुनाव के विश्लेषण
करने वाले इन्हीं फैक्टर के इर्द गिर्द हैं। अब जीत किसकी होगी यह वक्त बताएगा।
फिलहाल गर्मी काफी बढती जा रही है। गर्मी में पंखे की जरुरत है, इस जुमले को हवा
मिली थी। लहर के बीच पंखे की हवा सुकून देती है। रात्रि में जब बिजली नहीं रहती है
तो ललटेन की जरुरत पडती है। दोनों पक्ष मिठाइयां जीत की खुशी में बांट चुके हैं।
असली खुशी तो किसी एक के हिस्से ही आएगी।
गोह के 42 बूथों पर बंफर वोटिंग
फोटो-गोह विधान सभा
क्षेत्र का मानचित्र
हुआ 60 फिसदी से अधिक
मतदान
संवाद सहयोगी,
दाउदनगर(औरंगाबाद) काराकाट लोकसभा क्षेत्र के गोह विधान सभा क्षेत्र में 42 ऐसे
बूथ हैं जहां 60 प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ है। दिलावरपुर में 992 में 608, महुली
में 396 में 307, चांदी में 649 में 467, मलहारा द्क्षिणी भाग में 825 में 540,
नगौली में 383 मे 283, देवहरा विहटा में 854 में 588, हैवसपुर में1157 में728,
मउवारी में 917 में 596, दुर्गापुर में 473 में 343, चौराही पश्चिमी में 831 में
519, बाघाकोल में 698 में 542, अल्पा में 985 में 603, ईटवां वजीरपुर में 777 में
490, मुंजहर में 843 में 615, सोनवर्षा में 586 में 361, दुलार बिगहा में 862
में 534, बख्तियारपुर में 808 में 507, हरिगांव में 588 में 376, मियांपुर में 593
में 410, तेयाप पूर्वी में 978 में 637, इब्राहिमपुर में 635 में 465, अहियापुर
में 487 में 301, दाउदपुर में 629 में 471, कैथी शिरो में 605 में 515, मही में
451 में 367, घाटो में 750 में 456, असेयास में 399 में 307, लोहडी बांया में 624
में 454, कैथी बेनी में 1149 में 695, घेजना में 694 में 453, जमुआईन में 833 में
512, सोहलपुरा में 586 में 449, रामपुर में 424 में 279, पेमा में 978 में 588,
बन्देया में 747 में 495, रुकुन्दी में 713 में 443, प्रतापपुर में 490 में 357,
खरौना बुजुर्ग में 837 में 568, भारतीपुर में 1354 में 915, पौथु दक्षिणी भाग में
816 में 502 तथा बरुणा में 1380 में 1161 मत पडे।
साथ की 1 बाक्स खबर................
शांतिपूर्ण बूथ कब्जे का है फल
संवाद सहयोगी,
दाउदनगर(औरंगाबाद) गोह सामाजिक और जातीय संघर्ष का इलाका है। किसी हिस्से में
नक्सकियों की तूती बोलती थी तो किसी हिस्से में सामंती अकड की दुर्गन्ध उठती रही
है। कई बूथ ऐसे हैं जो घोर नक्सली इलाके में हैं। कई हिस्से ऐसे रहे हैं जहां
कमजोर तबके को वोट देने का अधिकार बडों की मेहरबानी पर निर्भर रहा है। इस स्थिति
में बदलाव आया है। सामाजिक समरसता बढ रही है लेकिन अब भी कई इलाकों में यह तीखा
है। राजद नेता राजेश कुमार उर्फ मंटु सिंह कहते हैं कि कई इलाकों में अब भी बहुमत
वाले कमजोर को वोट नहीं देने देते हैं। अगडा हो या पिछडा जो जिस बूथ पर बहुमत में
है उसने शांतिपूर्ण समझौते के तहत बोगस मतदान कर मत प्रतिशत को बढा दिया है। खासकर
जिन बूथों पर 70 फिसदी से अधिक मत पडे हैं।
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