सोमप्रकाश को
लेकर राजनीति गरमाई
: पटना उच्च न्यायालय ने
शुक्रवार को ओबरा विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय विधायक सोमप्रकाश सिंह के निर्वाचन
को अवैध घोषित कर दिया है। न्यायाधीश नवनीति प्रसाद सिंह ने जनता दल यूनाइटेड के
तत्कालीन उम्मीदवार प्रमोद सिंह चंद्रवंशी की ओर से दायर याचिका की सुनवाई करते
हुए यह फैसला सुनाया है। प्रमोद ने बताया कि निर्वाचन को अवैध घोषित करते हुए
अदालत ने चुनाव आयोग को रिक्त हुई इस सीट पर शीघ्र चुनाव कराने का आदेश दिया है।
फैसले की सूचना दाउदनगर और ओबरा प्रखंड में मिलते ही इलाके में राजनीतिक चर्चाएं शुरू
हो गई। यूं कह लीजिए इलाके की राजनीति गरमा गई है। सोमप्रकाश सिंह द्वारा गठित
नौजवान सभा के सदस्य नागेंद्र सिंह ने फैसले को अफसोसजनक बताया। मालूम हो कि पुलिस
की नौकरी करते हुए सोमप्रकाश पर कई विभागीय कार्रवाई चल रही थी जिसमें ओबरा के
नवनेर में नक्सली पुलिस मुठभेड़ और बख्तियारपुर में रेलवे को पहुंची क्षति जैसे
महत्वपूर्ण मामले शामिल थे। ओबरा विधानसभा क्षेत्र के लिए जब नामांकन किया जा रहा
था तब उन्होंने इस्तीफा दिया था। एक ही दिन में इस्तीफा स्वीकार करना और नामांकन
प्रपत्र को वैध घोषित करना तब चर्चा का विषय बना था। उम्मीदवारी रद न हो जाए इस डर
से ही सोमप्रकाश ने अपनी पत्नी को उम्मीदवार बनाया था तब इनके खिलाफ विभागीय
कार्रवाई चल रही थी और ऐसे में इस्तीफा देना और इस्तीफे को स्वीकार कर लेना दोनों
कानून सम्मत नहीं माना गया था। हार के बाद प्रमोद सिंह चंद्रवंशी इसी मुद्दे को
लेकर हाईकोर्ट चले गए जहां यह फैसला आया। फैसले के बाद सोमप्रकाश के सर्वोच्च
न्यायालय जाने की चर्चा है। हालांकि उनके मोबाइल नंबर 9471003295 पर बात करने का प्रयास किया परंतु उन्होंने
मोबाइल नहीं उठाया। प्रखंड जदयू अध्यक्ष जितेंद्र नारायण सिंह एवं प्रदेश
उपाध्यक्ष अभय चंद्रवंशी ने न्यायिक फैसले पर खुशी जाहिर की है। कहा कि करीब साढ़े
तीन साल बाद यह न्याय मिला है। जदयू को अब अपनी जीत की संभावना नजर आने लगी है।
हालांकि राजनीतिक गलियारे में कई तरह की चर्चाएं हैं।
निर्दलीय लेकिन
जदयू के साथ
दाउदनगर (औरंगाबाद)
: ओबरा के निर्दलीय विधायक सोमप्रकाश सिंह चुनाव लड़ते वक्त प्रचार करते थे - सब
दलों में दलदल है, सबसे बेहतर
निर्दल है। चुनाव जीतने के बाद जब जून 2013 में राजग का गठबंधन टूट गया तो वे जदयू के पाले में बैठ गए।
निर्दलीय विधायक विनय बिहारी, पवन कुमार जायसवाल,
दुलारचंद गोस्वामी और खुद सोमप्रकाश जदयू की
बैठक में शरीक होने मुख्यमंत्री के 1 अणो मार्ग स्थित आवास पर पहुंच गए थे। उन्होंने जदयू के सरकार को समर्थन देने
के करीब एक पखवारे बाद बयान दिया था कि उन्होंने बिना शर्त सरकार को समर्थन दिया
है लेकिन जब सोन पर पुल निर्माण की घोषणा मुख्यमंत्री ने कर दिया तब कहा कि समर्थन
पुल की मांग पूरी करने की शर्त पर ही दिया गया था।
मात्र 803 वोट से
जीते थे सोम
दाउदनगर
(औरंगाबाद) : ओबरा के थानाध्यक्ष रहे सोमप्रकाश सिंह राजनीति में आंधी की तरह आए
और 18 दिन के महाभारत में मात्र
803 वोट से चुनाव जीतकर
विधायक बन गए। उन्हें 36,815 वोट मिले थे जबकि
जदयू प्रत्याशी प्रमोद सिंह चंद्रवंशी को 36,012 वोट मिले। राजग की जब पूरे बिहार में आंधी चल रही थी वैसे
में इनकी जीत मामूली वोट के अंतर के बावजूद राजग के लिए बड़ा झटका था। राजद के
सत्यनारायण सिंह ने इमानदारी बचाओ आंदोलन तब किया था जब सोमप्रकाश ओबरा थाना के
थानेदार थे और उनका ट्रांसफर कर दिया गया था तब सत्यनारायण को यह अनुमान नहीं था
कि उनके लिए यह आंदोलन ही घातक साबित होगा। सोमप्रकाश पर यह आरोप लगते रहे हैं कि
बतौर ओबरा थानाध्यक्ष भी उन्होंने राजनीतिक की जमीन मजबूत करनी शुरू कर दी थी।
उनकी जीत के बाद इमानदारी का खूब नगाड़ा पीटा गया। हालांकि अब उनसे नाराज तबके की
संख्या बढ़ी है।
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