मुस्लिम मतदाताओं का होगा ध्रुवीकरण
या फिर....
विकास कम साम्प्रदायिकता
अधिक महत्वपूर्ण मुद्दा
उपेन्द्र कश्यप
नीतीश कुमार जब भाजपा से
नरेंद्र मोदी के मुद्दे पर अलग हुए तो उन पर अल्पसंख्यकों के तुस्टीकरण का आरोप
लगा। कहा गया कि बिहार में अकेली बडी शक्ति बनने के लिए उन्होंने विकास के मुद्दे
को पीछे कर साम्प्रदायिकता को आगे कर दिया। अब वे इस चक्रव्युह में फंस गए दिखते
हैं। उनको मुस्लिम वोट मिलेगा? मिलेगा तो कितना मिलेगा? क्या मुस्लिम उनको गले
लगाएगा? केंद्र में उनकी भुमिका संदिग्ध है। राजद कांग्रेस के साथ है। इस गठबंधन
को छोडकर मुस्लिम क्या जदयू को गले लगाएंगे? टोपी और टीका बनाम विकास में मुस्लिम
किसे पसंद करेंगे? इन सवालों के संदर्भ में अल्पसंख्यक मतदाताओं का मन टटोलने की
जगरण ने कोशिश की।
जहांगीर से अवधेश कुमार
पांडेय ने पूछा कि अल्पसंख्यक मत किधर जाएगा? उसने तपाक से बिना किसी लाग लपेट के
कह दिया कि जो भाजपा को हाराएगा उसे उनका वोट जाएगा। स्थिति थोडी असहज सी बन गई।
मन ने सवाल पूछा कि क्या विकास के मुद्दे पर साम्प्रदायिकता भारी पडेगी? युवा अनवर
फहिम को विकास चाहिए लेकिन यह वोट तय नहीं करता। कहा मुस्लिमों में शिक्षा नहीं
है। आर्थिक स्थिति कमजोर है। दिल्ली, कोलकाता और मुम्बई के कल कारखानों में
बेरोजगार परिश्रम करते हैं। चाहकर भी बच्चों को पढा नहीं पाते। जिला में कोई ऐसी
संस्था नहीं जहां कम खर्च पर बच्चे डाक्टर या इंजीनियर की पढाई कर सकें। तलाकशुदा
महिला को पेंशन चाहिए। रोजगार, बारुन-बिहटा रेल लाईन चाहिए। तो वोट उसे मिलना
चाहिए जो विकास कर रहा है? नहीं, मसलमानों को सबसे पहले शांति चाहिए। राजद
कांग्रेस मजबूत है सो वोट उधर ही जाएगा। मो.सोहैल अंसारी का कहना है कि कोई सरकार
बने हमें अमन और शांति चहिए। मुस्लिमों पर विशेष ध्यान दे। साम्प्रदायिकता की दरार
न आने दे। गुंडागर्दी न हो। राजद काल पर ही गुंडागर्दी के आरोप लगने के सवाल पर
कहा कि हमारा अनुभव ऐसा नहीं रहा। हमें इंत्मिनान रहा। नीतीश कुमार ने
अल्पसंख्यकों के लिए बहुत काम किया के सवाल पर बोले- यह उनकी मेहरबानी है। लेकिन
बच्चों के शिक्षा का स्तर नहीं बढा। बच्चे खिचडी, पोशाक, छत्रवृति में उलझ कर रह
गए। हमारे लिए साम्प्रदायिकता सबसे पहला मुद्दा है। युवा गुलाम रहबर थोडी उदारता
से विचार करते है। बोले-मुख्यमंत्री ने बहुत कुछ किया। सुकून से जिन्दगी जी रहे
हैं। सीएम से मिलना आसान है लेकिन सांसद तो कभी दिखे ही नहीं। वोट साम्प्रदायिक
आधार पर ध्रुवीकृत होगा ऐसा नहीं दिखता। विकास भी मुद्दा है। जो सुख दुख में साथ
दे हमें उसके साथ रहना चाहिए। जमाना बदल गया, सोच बदलने की जरुरत है।
वाकई क्या विकास पर
साम्प्रदायिकता भारी पडेगी? लगता है मुस्लिम मतों में विभाजन राजद, जदयू और
निर्दलीय सत्यनारायण के पक्ष में हो सकता है। कैडर वोट भाकपा माले के पाले में
जाएगा। शायद उसके ध्रुवीकरण में शरीक होने की गुंजाइश कम है। यह कितना फिसद किसके
पक्ष में होगा यह कोई भी अनुमान नहीं लगा सकता। किसी का भी दावा विश्वसनीय नहीं
माना जा सकता। लेकिन विभाजन या ध्रुवीकरण फैसला पर असर डालेगा यह तय है।
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