Friday, 11 April 2014

ढह गई विवादित परंपरा की दीवारें


ढह गई विवादित परंपरा की दीवारें
शमशेरनगर और अरई में एक पक्षीय मतदान 
संवाद सहयोगी, दाउदनगर (औरंगाबाद) : शमशेरनगर और अरई एक जाति विशेष के गांव के रूप में जाने जाते हैं। पूर्व का इतिहास रहा है मतदाता दो गुटों में बंटे रहते थे। इस बार पहली दफा विवादित परंपरा की यह दीवार लहर में ढह गई। मतदान बाद अब चर्चा मतों के रुझान पर, जीत हार पर और यूपीए एनडीए के सीट लाने पर केंद्रित हो गई है। किसी को टीवी का न्यूज नहीं सुहा रहा। सबके पास जाति विशेष के रुख की पक्की-सूचनाहै। उसे साझा कर रहे हैं। विश्लेषण कर रहे हैं। शमशेरनगर में प्रवीन का किराना दुकान चौपाल बन गया है। बबलू शर्मा के साथ कई बैठे हैं। सबके दावे हैं कि ऐसी लहर कभी नहीं देखा। अंडर करंट है। राजद का आधार वोट भी दरका है। हद यह कि अल्पसंख्यकों के दो चार वोट राजग को मिलने का पक्का भरोसा। नाम भी जुबान पर है। यह ब्रजेश कुमार शर्मा का दलान है। ब्रजभूषण शर्मा, सुशील, देवेंद्र शर्मा, बासकीनाथ शर्मा बैठे है। ये लोग तो राजग को 300 सीट दे गए। सरकार बननी पक्की है। बोले सब उलट गया है। पहले कहा जाता था कि भाजपा का वोट शहर में है। कोई आकर देख जाए कि गांव अब कहां है? इस स्थिति के लिए जिम्मेदार बयानों को सुनाया जाता है। तर्क कि ऐसे ही विभाजक और सम्मान को चोट पहुंचाने वाले बयान से यह लहर चली है जो अब आंधी बनती जा रही है। अतिपिछड़ा और महादलित वोट बैंक ध्वस्त हो गया। बताया गया कि जदयू के दो नेता आये थे। मंत्री जी और विधायक जी। जब भाजपा की बात कही गई तो जाति के कारण जदयू को वोट देने को कहा गया। इसका जमकर विरोध हुआ। इस चौपाल का दावा है कि जदयू का सफाया हो जाएगा। धर्म विशेष के वोट के लिए गठबंधन तोड़ना महंगा पड़ेगा। खैर. चाय की चुसकी के साथ चौपाल इस नारे पे खत्म हो गया कि-सब पड़े हैं पंखा के चक्कर में, कोई नहीं है टक्कर में।


प्रचार के कारण बढ़ा मत का प्रतिशत
संवाद सहयोगी, दाउदनगर (औरंगाबाद) : शहर को छोड़ दें तो विधानसभा या लोकसभा और फिर राज्य के स्तर पर मतदान का प्रतिशत दस से बारह फीसदी तक बढ़ा है। ऐसा क्यों हुआ है? इस पर बहस चल रही है। यहां भी कई विचार सामने आए। एक तरह से परस्पर विरोधी धारा के कारण ही मतदान प्रतिशत में वृद्धि मानी जा रही है। चुनाव आयोग के निर्देश पर भी जागरूकता अभियान चलाने का लाभ दिखता है। सिद्धी पांडेय, मिनहाज नकीब, आनंद प्रकाश और नंदकुमार प्रसाद की माने तो मुख्यत तीन कारण रहे। नगर पंचायत के पूर्व उपमुख्य पार्षद अजय कुमार पांडेय उर्फ सिद्धी पांडेय ने कहा कि युवा वर्ग बढ़ा है, काफी संख्या में युवा मतदाता बढ़े हैं। जो दस फीसदी मतदान बढ़ा है उसकी वजह यही है। शहर के लोगों को घर से निकलने में लाज लगती है, इसलिए अब भी शहर सिर्फ हवाबाजी करता है, वोट देने नहीं निकल रहा। राजद के नेता मिनहाज नकीब का मानना है कि एक समूह नमो को आगे बढ़ाना चाहता है तो दूसरा उसे रोकना चाहता है। समाज का यह अंतर्विरोध ही मतदान प्रतिशत बढ़ने की एक मात्र वजह है। अब किस समूह का मतदान अधिक बढ़ा निर्णय इस पर निर्भर करेगा। अभी से कुछ भी कहना उचित नहीं। मेरा अनुभव रहा कि बाहर में नमो-नमो करने वाला एक व्यक्ति बूथ पर अपनी पत्नी को समझा रहा था कि तीर का बटन दबाना। अब ऐसे में क्या आकलन किया जा सकता है। युवा आनंद प्रकाश कहते हैं कि युवा तबका अपनी बेरोजगारी के साथ भ्रष्टाचार, महंगाई समेत कई परेशानियों से त्रस्त है सो वह उत्साहित होकर व्यवस्था बदलने को आगे निकला है। आखिर सबसे अधिक व्यवस्था की कमियों का खामियाजा तो युवा वर्ग को भुगतना पड़ता है। इस बार निर्वाचन आयोग के प्रयास का भी प्रतिफल है। गणित के जानकार नंदकुमार प्रसाद का मानना है कि मुद्दा सिर्फ नरेंद्र मोदी हैं इसलिए लोग मतदान के लिए आगे बढ़े। पक्षधर और विरोधी दोनों खेमे के लोग आगे आए हैं। मतों का ध्रुवीकरण हुआ सो मतदान का प्रतिशत बढ़ गया।
राजद एवं राजग ने मनाया जीत का जश्न
दाउदनगर (औरंगाबाद) : मतगणना का कार्य पांच सप्ताह बाद 16 मई को होना है लेकिन यहां राजद और राजग समर्थकों ने जीत का जश्न मना लिया। उपेंद्र कुशवाहा की जीत की खुशी में गुरुवार को मतदान के तुरंत बाद विभिन्न क्षेत्रों से मिली सूचना के आधार पर मनाया गया। भाजपा प्रखंड अध्यक्ष अश्विनी तिवारी ने बताया कि कार्यालय में मिठाईयां बांटी गई। शुक्रवार को राजद समर्थकों ने कांति सिंह की जीत का जश्न मनाया। राजद नगर अध्यक्ष मुन्ना अजीज, छात्र जिला अध्यक्ष सुमित यादव, युवा प्रखंड अध्यक्ष अरुण यादव, राहुल कुमार एवं अन्य ने मिठाईयां बांटी। जीत का जश्न दो दलों द्वारा मनाया गया। पूर्व में भी 2010 के विधानसभा चुनाव में प्रमोद सिंह चंद्रवंशी की जीत का जश्न मनाते हुए लोगों ने परात में मिठाइयां बांटी थी और पांच मिनट बाद ही सोमप्रकाश विजेता घोषित किए गए थे।

1 comment:

  1. ये भाई, अरई में तो सब लईकन मिलकर एकदम से नमो-नमो कर दिया, इतना बढ़िया वोटिंग भरसक कहीं नहीं हुआ होगा. एकाध आदमी शुरू में अलबालाए, लेकिन आँधी में पाँच मिनट भी नहीं टीक पाए.

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