10 महीने में दो बार
विधायक बने सत्यनारायण
काराकाट से निर्दलीय प्रत्याशी सत्यनारायण सिंह साल 2005 में राजद से दो बार विधायक बने । ओबरा विधानसभा क्षेत्र से इनके पूर्व दस साल से भाकपा माले के राजाराम विधायक थे । राजद का आधार मतदाता खालीपन का अहसास कर रहा था । साल 1995 में दिग्गज राम बिलास सिंह और 2000 रामनरेश सिंह हार गए थे । राजद को एक साफ सुथरा और सर्व समाज को स्वीकार्य चेहरा चाहिए था । जब सत्यनारायण सिंह आए तो वे व्यवसाई चरित्र के होने के कारण अपने खिलाफ माले के पक्ष में होने वाले मतों के ध्रुवीकरण को रोकने में सफल हो गए । नतीजा 2005 के फरवरी में 38575 मत लाकर 3875 मत से राजाराम को हराने में सफल रहे । लेकिन सरकार नहीं बनी और मध्यावधि चुनाव की रणभेरी बज गई । अक्टूबर 2005 में पुन: चुनाव हुआ सिर्फ जदयू का नया प्रत्याशी प्रमोद सिंह चंद्रवंशी आए । मुकाबला फिर राजाराम से ही हुआ और दूबारा 32618 मत लाकर 8595 मत से जीत गए । साल 2010 के चुनाव में जब जदयू-भाजपा गठबन्धन की लहर थी तब सत्यनारायण सिंह भी हवा में उड गए । निर्दलीय सोमप्रकाश सिंह 36815 वोट लाकर जदयू के प्रमोद सिंह चंद्रवंशी से 803 वोट से जीत गए । सत्यनारायण को मात्र 16851 मत मिले । दरअसल राजद का आधार वोट भी पार्टी को छोड निर्दलीय की हवा में बह गया था नतीज फैसला हैरतंगेज निकला ।
राजद से शुरु की थी
राजनीति
काराकाट से निर्दलीय प्रत्याशी सत्यनारायण सिंह साल 2005 में राजद से दो बार विधायक बने । ओबरा विधानसभा क्षेत्र से इनके पूर्व दस साल से भाकपा माले के राजाराम विधायक थे । राजद का आधार मतदाता खालीपन का अहसास कर रहा था । साल 1995 में दिग्गज राम बिलास सिंह और 2000 रामनरेश सिंह हार गए थे । राजद को एक साफ सुथरा और सर्व समाज को स्वीकार्य चेहरा चाहिए था । जब सत्यनारायण सिंह आए तो वे व्यवसाई चरित्र के होने के कारण अपने खिलाफ माले के पक्ष में होने वाले मतों के ध्रुवीकरण को रोकने में सफल हो गए । नतीजा 2005 के फरवरी में 38575 मत लाकर 3875 मत से राजाराम को हराने में सफल रहे । लेकिन सरकार नहीं बनी और मध्यावधि चुनाव की रणभेरी बज गई । अक्टूबर 2005 में पुन: चुनाव हुआ सिर्फ जदयू का नया प्रत्याशी प्रमोद सिंह चंद्रवंशी आए । मुकाबला फिर राजाराम से ही हुआ और दूबारा 32618 मत लाकर 8595 मत से जीत गए । साल 2010 के चुनाव में जब जदयू-भाजपा गठबन्धन की लहर थी तब सत्यनारायण सिंह भी हवा में उड गए । निर्दलीय सोमप्रकाश सिंह 36815 वोट लाकर जदयू के प्रमोद सिंह चंद्रवंशी से 803 वोट से जीत गए । सत्यनारायण को मात्र 16851 मत मिले । दरअसल राजद का आधार वोट भी पार्टी को छोड निर्दलीय की हवा में बह गया था नतीज फैसला हैरतंगेज निकला ।
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